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Vaishali Kahale
Vaishali Kahale
ittu Sa
ओऊ मेरी प्यारी मिठ्ठी, मिट्ठू की मिठ्ठी। भोली मिठ्ठी,गुड़िया मिठ्ठी। थोड़ी मिर्ची खालों, हरी हरी मिर्ची खालों। थोड़ी मिट्ठू को खिला दो,थोड़ी चाबी घूमा दो(मिट्ठू की)। इत्तु सा पैग़ाम मिठ्ठी के नाम। #nojoto #diduuu ओऊ मेरी प्यारी मिठ्ठी, मिट्ठू की मिठ्ठी। भोली मिठ्ठी,गुड़िया मिठ्ठी। थोड़ी मिर्ची खालों, हरी
Vaishali Kahale
Vaishali Kahale
मनोज मानव
SAMBHAV JAIN
वो तुम्हारा चाय को होठों से लगाकर अजीब सी आवाज़ निकालना नहीं बदला, गोलगप्पे वाले भाई से तुम्हारा "तीखा और" कहना नहीं बदला, तुम्हे याद है वो वाडा पाव वाले से तुम्हारा हरी मिर्च लेना नहीं बदला, कितना कुछ बदल गया है तुम नहीं बदले तुम्हारा मिज़ाज नहीं बदला, अनोखा अंदाज नहीं बदला, मेरे लिए तुम्हारा प्यार नहीं बदला, हम नहीं बदले। ©SAMBHAV JAIN तुम नहीं बदले... #तुमनहींबदले #collab #badalav #Nojoto #nojotohindi #nojotoquote #Change वो तुम्हारा चाय को होठों से लगाकर
Sultan Mohit Bajpai
#OpenPoetry समय का काल चक्र --–---–--------–------ मेरी कविता पूरी कविता कैप्सन में पढ़े समय का काल चक्र ------–--–---–----– समय मांगता है परिवर्तन का सतत प्रवाह समय निष्ठुर नही है समय आखिर दिखा देता है सच का आईना समय बदल कर रख
Pnkj Dixit
🌷खुशी या ग़म 🌷 "उदित सब सामान रख लिया न बाबू , हरी मिर्च का अचार , घी का डिब्बा.... ओर " "उफ्फ ममा ! बच्चा नहीं हूँ मैं , आईआईटी टॉपर हूँ .. ओर ... ओर इन सबकी कोई जरूरत नहीं है, बाजार से सब मिल जाएगा ।" "पर बाबू ! माँ के हाथ ..... " "अरे बस करो ना तुम भी । गधे की तरह लाद दोगी क्या ? मेरा बेटा पढ़ने जा रहा है कोई मजदूरी करने नहीं ।" .... उदित ! तू निकाल इन सबको । "पापा रहने दो ना , ममा ने कितने प्यार से बनाया है भैया के लिए ... भैया की पसंद है न ये , क्यों भैया , है न ।" "तू चुप रह चुहिया , तू तो बोलिए भी मत .... साथ चलने वाली थी और पकड़ लिया ये बिस्तर । " अब मेरी हेल्प कौन करेगी ? सॉरी भैया ! मुझे क्या पता था जरा-सी लापरवाही इतना बड़ा रोग लगा देगी ।... ओए सुन हीरो ! आई एम सो हेप्पी , मेरे भाई ने डिस्ट्रिक्ट में नाम कमाया है । अच्छा चल जल्दी कर बेटा ; ये वाली ट्रेन निकल गई तो पूरे चार घंटे इंतजार करना पड़ेगा । सुनो ! ज्योति को आधे घंटे बाद दवाई दे देना । अब हम चलते हैं । किरन बेटे और सूरज को छोड़ने चौखट तक आई । "बाय ममा, बाय दीदी" ख्याल रखना अपना । चारपाई पर लेटे-लेटे ही ज्योति ने भाई को निहारा , हाथ उठाकर "बाय" बोलने की ताकत उसमें नहीं बची थी । जब तक बाप-बेटे आंखों से ओझल नहीं हो गए किरन चौखट के सहारे खड़ी होकर देखती रही ; फिर उसने ज्योति की तरफ देखा । बेटी की आंखों से आंसुओं का झरना फूटता हुआ उसके सूख चुके गालों से होते हुए तकिए को भीगो रहा था । किरन के सब्र का बांध टूट गया । वह निढाल - सी होकर वहीं चौखट के पास बैठ गई और मुँह में साड़ी का पल्लू ठूंस लिया । बेजान आंखों से टप-टप आँसू गिरने लगे । किरन समझ नहीं पा रही थी कि आखिर इस पल को वो क्या नाम दें ... खुशी या ग़म । २३/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷खुशी या ग़म 🌷 "उदित सब सामान रख लिया न बाबू , हरी मिर्च का अचार , घी का डिब्बा.... ओर " "उफ्फ ममा ! बच्चा नहीं हूँ मैं , आईआईटी ट