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Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
संदीप
*मीरा का विश्वास* मीरा संग जब हो 'विश्वास' तो क्यों करे वो देखो किसी से आस रिश्तों के अटूट बंधन में बंधकर, निभाए वो जीवन भर का साथ। पत्नी धर्म को निभाए हँसी-खुशी से फिर क्यों करे वो किसी पर विश्वास बिन मीरा संग विश्वास लगे अधुरा लगता है मन देखो जग में बेकार बिन मीरा के हर संयोग है अधुरा- विश्वास बेगैर होए ना सपना कोई पूरा अपने घर-आँगन को वा प्यार से सजाए दामन खुशियों का भर मन वा छा जाए हर सुख-दुःख में मीरा साथ निभाए फिर क्यों करे वो किसी से आस *संदीप कुमार'विश्वास'* ©संदीप कविता
"Hare Krishna "(कवि/गीतकार)
गिर गिर कर उठने कोशिश करते रहना है । चलना ही जीवन है प्यारे चलते रहना है ।। ©"Hare Krishna "(कवि/गीतकार) कविता
Shahid0007
Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही, चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी, हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर, ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी 🙂 ©Shahid0007 #कविता
Arora PR
Blue Moon ये कविता यूँ ही नहीं कविता बन जाती. ये कविता उतरती है ह्रदय के कैनवास पर.... और आती है ब्रह्माण्ड के अनचीन्हे कोनो से परिंदो के पँख पर बैठ कर. ©Arora PR कविता
HintsOfHeart.
"सपने की एक किरण मुझको दो ना, है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना। और सब समय पराया है, बस उतना ही क्षण अपना। तुम्हारी पलकों का कँपना, तनिक-सा चमक खुलना, फिर झँपना।"¹ ©HintsOfHeart. #Good_Night 💖 1.अज्ञेय की कविता #पलकों_का_कँपना का अंश।