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Pankaj R
| छलावे का डरावना एहसास | | छलावे का डरावना एहसास | उस समय मेरे पिताजी नगर परिषद अचलपुर मे नौकरी पर थे। ऊस वक्त ऊनकी ड्युटी परतवाडा से 3 कीमी दुर गौरखेडा के नाके पर लगती थी। गाडी का जमाना ना होने के कारण पिताजी सायकल से आना जाना करते थे । रात बेरात की ड्युटी हूआ करती थी। हमारा घर भी गौरखेडा मेँ होने के कारण एक रात पिताजी 1 बजे नाके के लिए निकले। संतरे के बगीचो की थंडक थी। रास्ते पर एक दो लाईटे थी । नाके पर पहूँचे बाद 20-30 मिटर के अंतर पर उन्हें एक बस दिखाई दी | वो बस वहा नाके पर आकर रुकी और उस बस के ड्राईवर ने कंडक्टर को नीचे उतरकर देखने को कहा कि नाका आया या नहीं | मेरे पिताजी को ये देखकर सुकून मिला कि चलो कोई तो बस आयी | मेरे पिताजी ने देखा कि नाके से कोई आदमी बाहर नहीं आया तो वो खुद ही अंदर चले गए | नाके के अंदर उन्होंने देखा कि अंदर एक आदमी बड़ी गहरी नींद में सो रहा था | मेरे पिताजी ने उसको उठाया और बोला “अरे बाहर गाडी आयी है और तुम अंदर आराम से सो रहे हो ” | वो आदमी एक बार तो चौंककर बोला कि “मैंने तो कोई आवाज़ नहीं सुनाई दी ” | फिर भी वो मेरे पिताजी के कहने पर बाहर आया तो बाहर कोई बस नहीं थी | मेरे पिताजी तो बुरी तरीके से घबरा गए कि बस एकदम से कैसे गायब हो गयी | वो नाके वाला आदमी जानता था कि मेरे पिताजी ने जो देखा वो छलावा था | नाके वाले ने सिर्फ ये कहा कि गाँव वालो से इसके बारे में पूछ लेना वो सब कुछ तुम्हे बता देंगे | अगले दिन सुबह मेरे पिताजी ने एक गाँव वाले किसान से पूछा “कल रात १ बजे मुझे सवारियों से भरी एक बस दिखाई दी और थोड़ी देर बाद वो गायब हो गयी ” | तो उस गाँव वाले ने बताया कि आज से 5 साल पहले इसी नाके पर एक बस दुर्घटना हुई थी जिसमे ड्राईवर ,कंडक्टर समेत 20-30 यात्री मारे गए | तब से अब तक कई लोगो को उस बस समेत ड्राईवर कंडक्टर का छलावा नजर आता है | मेरे पिताजी ये सुनकर काफी घबरा गए | उसके बाद उन्हें वो बस कभी नजर नहीं आयी ©Pankaj R छलावे का डरावना एहसास
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
RAHUL VERMA
आज मुझे समझ आया .... जब तक किसी व्यक्ति के बातो को मानते रहोगे तब तक आप उनके लिए अच्छे है । डरावना सच..
Vivek
मेरा जिस्म हर किस्म के जख्म से भरा हुआ है । अंधेरा तो छोड़िए, अब तो ये दिल उजाले से भी डरा हुआ है । ©Vivek #डरावना उजाला
Pushpendra Pankaj
सुगंथित हवा की हलचल, बहते जल की कल-कल हृदय को आनंदित करती तन को स्फूर्ति से भरती।। दृश्य यह बङा अनोखा कभी ना देता धोखा यह रंगबिरंगी धरती मन की पीङा हरती ।। किन्तु एक ऐसा डर है बनाया दिल मे घर हे प्रकृति बिगङ ना जाये आत्मा सोच सोच डरती।। ©Pushpendra Pankaj #safar डरावना
Mamta kumari
बचपन मे मैंने देखा एक भयानक सपना सपनों में आ जगा जाता जैसे हो वो अपना लगता है वो कुछ कहना चाहता था इसलिए, मुझे सपनो में डरा खूब दिखाया करता था रचना डरावना सपना ।
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
डरावना.... मंज़र वो कितना डरावना था ? #Daraavna #NojotoWritingPrompt