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Roopanjali singh parmar
उसके जाने के बाद भी मैंने, बस उसे ही महसूस किया है। मैंने उससे मोहब्बत नहीं कि, बल्कि खुद में उसे जिया है।। #रूपकीबातें #nojoto #शायरी #रूपकीशायरी
Roopanjali singh parmar
जब इंसान छल करता है तो आप दंड देते हैं, ईश्वर के सामने जाकर कर्मों की दुहाई देते हैं.. मगर जब छल ईश्वर ही करे तो क्या करना चाहिए?? #रूपकीबातें #roopanjalisingh #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #roop #nojoto #रूपकीबातें #रूपकासवाल
Rupak Kumar
हमको तुमसे प्यार करते है , तुम ना करो तो ना ही सही । हमको तुमपे ऐतबार है , तुम ना करो तो ना ही सही । हम तुम्हारे सिवा किससे प्रेम करें, तुम हमसे प्रेम ना करो तो ना ही सही । #रूपक
Roopanjali singh parmar
कमरे का बिखरा समान समेट ही रही थी, की अचानक टूटा हुआ गमला बोला.. .. हमें तो तुम समेट लोगी, मगर तुम्हें कौन समेट सकेगा..?? #रूपकीबातें #roopanjalisingh #roopkibaatein #roopanjalisinghparmar #roop #nojoto #रूपकीबाते pc- google
Roopanjali singh parmar
तुम कहते हो ना अक्सर की मैं कुछ नहीं बन सकती, देखो मैं तुम्हारी तो बन सकती हूँ ना। #रूपकीबातें
Roopanjali singh parmar
हमारी कविता "मैं जानती हूँ" की कुछ पंक्तियां (आशा है कि आप सब को पसंद आये) करके बदनाम मुझे तुम भी क्या पा लोगे, मेरी बर्बादी में तुम सबकुछ अपना गवां लोगे.. मेरे किस्सों को लिख लिख कर किताबों में, तुम दबी चिंगारी को हवा दोगे, मैं जानती हूँ।। #रूपकीबातें
Roopanjali singh parmar
कपड़े कितने भी साफ हों, मगर यदि आपका मन मैला है, तो आप भी मैले हैं। रूपकीबातें
Roopanjali singh parmar
#2YearsOfNojoto अदावत रही रिश्तों में, मोहब्बत ना रही। #रूपकीबातें
Roopanjali singh parmar
ये अलग बात है तुमसे निभाये ना गए, पर तेरे वादे कमाल के थे। #रूपकीबातें
Roopanjali singh parmar
जब हम शायद 7 या 8 साल के थे तब की एक तस्वीर है हमारी...... जिसमें हम लहंगे के ऊपर स्कूल का स्वेटर पहन के खड़े हैं। फुल मेकअप है चहरे पर, यह तस्वीर स्वेटर की वजह से फनी लगती है, वो भी स्कूल यूनिफार्म का स्वेटर। यह तस्वीर किसी एनुअल फंक्शन की है जिसमें हमने डांस किया था। दरअसल जब सब हमारे डांस को देख रहे थे, तब केवल एक शख्स हमारे डांस के ख़त्म होने का इन्तजार कर रहे थे, क्योंकि तब मौसम सर्दियों का था। वो हैं पापाजी.... जब हम डांस करने के बाद स्टेज से उतरे तो पापाजी ने सबसे पहले स्वेटर पहनाया। तस्वीर भी खिंचने नहीं दी। स्वेटर भी स्कूल यूनिफार्म का था, क्योंकि स्कूल यूनिफार्म में ही स्कूल जाना था और फिर वहाँ तैयार होने के वक़्त लहंगा पहनना था। उनको कुछ ना मिला तो यूनिफार्म का स्वेटर ही पहना दिया। पिता के प्यार को शब्दों की ज़रूरत नहीं होती, आप गौर करिए तो हर चीज में प्यार है। हर काम हर बात में प्यार है। #रूपकीबातें