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Sushil
White बस 🫴तेरी आंखों❤️🔥 से पढ़ने दे ❣️ तेरे दर्द की कहानी रहनें दे खामोश अल्फाजों को कुछ चहरे पे आने दे ✍️ ©Sushil #good_night तेरी कहानी
Ashwani Rahul
White किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल कोई हमारी तरह उम्र भर सफर में रहा। ©Ashwani Rahul #emotional_sad_shayari मेरी कहानी
Mr Pappu
White लौक डाउन का दूसरा चरण देश में चल रहा था. नर्मदा नदी पुल पर बने जिस चैक पोस्ट पर मेरी ड्यूटी जिला प्रशासन ने लगाई थी,वह दो जिलों की सीमाओं को जोड़ती थी. मेरे साथ ड्यूटी पर पुलिस के हबलदार,एक पटवारी ,गाव का कोटवार और मैं निरीह मास्टर.आठ आठ घण्टे की तीन शिफ्ट में लगी ड्यूटी में हमारा समय सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर के 2 बजे तक रहता.आठ घंटे की इस ड्यूटी में जिले से बाहर आने जाने वाले लोगों की एंट्री करनी पड़ती थी. यदि कोई कोरोना संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों से जिले की सीमा में प्रवेश करता,तो तहसीलदार को इसकी सूचना दी जाती और यैसे लोगों की जांच कर उन्हें कोरेन्टाईन में रखा जाता. मई महिने की पहली तारीख को मैं ड्यूटी के लिए सुबह 6 बजे ककरा घाट पर बनी चैक पोस्ट पर पहुंच गया था. नर्मदा नदी के किनारे एक खेत पर एक किसानअपनी मूंग की फसल में पानी दे रहा था . काम करते हुए उसकी नजर नदी की ओर गई ,तो उसे नदी में कोई भारी सी चीज बहती हुई किनारे की तरफ आती दिखाई दी. थोड़ा करीब जाने पर किसान ने एक दूसरे से लिपटे युवक युवतियों को देखा तो चैक पोस्ट की ओर जोर से आवाज लगाई " मुंशी जी दौड़ कर आइए ,ये नदी में देखिए लड़का लड़की बहते हुये किनारे लग गये हैं" मेरे साथ ड्यूटी कर रहे पुलिस थाना के हबलदार बैनीसिंह ने आवाज सुनकर पुल से नीचे की तरफ दौड़ लगा दी. सूचना मिलने पर पुलिस टीम भी मौक़े पर आ गई . आस पास के लोगों की भीड़ नदी किनारे इकट्ठी हो गई, मुझसे भी रह नहीं गया . तो मैं भी नदी के घाट परपहुंच गया . सबने मिलकर आपस में एक दूसरे से लिपटे दोनों लड़का-लड़की के शव को नदी से निकाल कर किनारे पर कर दिया . जैसे ही उनके चेहरे पर मेरी नजर गई तो मैं दंग रह गया. ©Mr Pappu #Night अधूरी प्रेम कहानी
Mr Pappu
White पावसाळी दिवसातील ती दुपार होती, साधारण २-३ वाजले असतील पण सूर्याचा कुठेच ठाव-ठिकाणा नव्हता. आकाश काळ्या ढगांनी भरले होते, पावसाची बारीक-बारीक रिपरिप चालूच होती., सगळी धरती हिरवी-गार झाली होती, नारळाची झाडे मुक्त होऊन वाहणाऱ्या वाऱ्या बरोबर डोलत होती. घरात बसूनही कंटाळाच आला होता, मग कपडे चढवले, पायात चप्पल अडकवली आणि सरळ बाहेर पडलो. रत्नागिरीत तशी मनोरंजनाची ठिकाणे फार नाहीत. मग जायला कुठली वाट नसली की मी सरळ समुद्र किनाऱ्याची वाट धरतो. समुद्राची रूप पण किती वेगवेगळी असतात, सकाळी कोवळ्या सूर्यप्रकाशात अवखळ भासणारा हाच समुद्र, दुपारी मात्र अंतःकरणात फार मोठे गुपित साठवून वागणाऱ्या गंभीर माणसासारखा भासतो. ओहोटीला, रुसून बसलेल्या मुलासारखा आपल्यापासून ©Mr Pappu #Couple अधुरी प्रेम कहानी