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Ek villain
देश के कई पूर्वोत्तर राज्यों के बीच अपनी सीमा विवाद लंबे समय से जारी है विवाद हो रहे असम और मेघालय राज्य के आठ से 84 किलोमीटर की सीमा में कुछ 12 स्थान विवादित है जिनमें से 6 गांव का समझौता हो गया जिन क्षेत्रों का समझौता हुआ है उस हिसाब से देखा जाए तो लगभग 70% सी महिला का विवाद मुक्त हो गया इस गृह मंत्री ने उम्मीद जताई है कि शेष छह स्थानों का विवाद में जल्दी सुलझ जाएगा गृह मंत्री अमित शाह के पद संभालने के बाद पूर्व राज्य में कई विवाद के स्थाई समाधान निकालने की जरूरत थी तेजी इससे पहले अगस्त 2019 में तेरी बुद्धि में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा एनएलएफटी के साथ समझौता पर हस्ताक्षर किए गए इसके बाद 23 जनवरी 2020 को ब्रू रिंग शरणार्थियों के लिए दो 23 वर्ष पुराने विवाद को समाप्त करने के लिए समझौता किया गया इसके 4 दिन बाद 27 जनवरी 2020 को इंग्लैंड के 50 वर्ष पूरे विवाद को खत्म करने में सफलता हासिल 4 दिसंबर 2021 को कार्विंग समुद्र देने में कार्य क्षेत्र में चल रहा विवाद समाप्त हो गया है ©Ek villain #अशांति की राह पर अग्रसर पूर्वोत्तर #VantinesDay
#अशांति की राह पर अग्रसर पूर्वोत्तर #VantinesDay #Society
read moreArvind Kumar
बिहार की राजधानी कहां है ©Arvind Kumar बिहार की राजधानी कहा है
बिहार की राजधानी कहा है #जानकारी
read moreAzeem Khan
सौदा ये हकीकत बहुत पुरानी है । " दिल" मोहब्बत की राजधानी है । by # malikzada zaved # दिल मोहब्बत की राजधानी है ।#
# दिल मोहब्बत की राजधानी है ।#
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हाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने यह कहकर हलचल मचाई कि मैं और पूर्व मंत्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं चाहते थे कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रतिशोध की राजधानी हो यह साफ है कि उनके विचारों को अहमियत नहीं दी गई का आशा सहयोगी प्रगतिशील गठबंधन पानी यानी संप्रदा सरकार शरद पवार और मनमोहन सिंह की सलाह मान ली थी आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री है तो उसका बड़ा कारण यही रहा है कि तत्कालीन प्रसंग सरकार ने लगातार उनके खिलाफ प्रतिशोध आत्मक और निंदा अभियान चलाया खुद कांग्रेसी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर तक कहा संप्रग और उसकी सरकार ने यह प्रदर्शित करने की कोशिश की कि 2002 में जिस तरह के दंगे गुजरात में हुए पैसे देंगे उससे पहले कभी नहीं हुए हालांकि यह भी सुना था कि अन्य कई सांप्रदायिक दंगों के आंकड़े उसकी पुष्टि नहीं करते कि गुजरात दंगा सर्वाधिक भयावह है ध्यान रहे कि शरद पवार ने प्रतिशोध शब्द का इस्तेमाल किया है लेकिन किसी की गलती के खिलाफ कार्रवाई करना या उसके अभियान चलाने को प्रतिशोध नहीं कहा जाता उस वजह कार्रवाई कहते हैं प्रतिशोध उसे कहते हैं जो प्रसंग सरकार मोदी के खिलाफ कर रही थी राजनीतिक पर सिखों के अनुसार प्रसंग सरकार के प्रतिशोध आत्मक अभियानों और कार्रवाई यों के कारण भी देश के ऐसे अनेक माह में लोग दिल दिमाग और नरेंद्र मोदी के लिए सहानुभूति पैदा हो गई जो पहले भाजपा के समर्थक नहीं तो स्वाभाविक रूप से उनसे राजनीतिक परिदृश्य और एक बड़ा अंतर पैदा किया गया चुनावी आंकड़ों से यह स्पष्ट भी है शरद पावर की बात से यह साफ हुआ कि गुजरात दंगे के लिए नरेंद्र मोदी जिम्मेदार नहीं थी असलियत यह भी थी कि मोदी ने दंगों को रोकने के बस कर कोशिश की थी अंधा अदालत ने भी मोदी को दोषी नहीं माना जो किसी मामले में दोषी नहीं उसे लेकर अगर मौत का सौदागर खोने की दलदली करने जैसे नापाक इरादे लगाए जाए तो माहौल उल्टे पलक खिलाफ होगा ©Ek villain # प्रतिशोध की राजधानी के परिणाम #Glow
# प्रतिशोध की राजधानी के परिणाम #Glow #Motivational
read moreEk villain
वोट बैंक की राजनीति की भक्ति देश में मुफ्त खोरी की राजनीति का आगाज हो चुका है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब तक इसका दायरा बढ़ाने में जुटा गए हैं पंजाब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश और गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा कर रहे हैं इसी के अनुसरण में समाजवादी पार्टी में भी औपचारिक तौर पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान कर दिया इसलिए स्पष्ट है कि मुफ्त बिजली सत्ता हासिल करने की स्थिति बन चुकी है ऐसे में आने वाले समय में मुफ्त बिजली की राजनीति का दायरा बढ़ जाएगा नहीं होना चाहिए यह स्थिति तब तक है जब तक विशेषज्ञ पहले से चेतावनी दे रहे हैं कि मुफ्त बिजली की राजनीति के 7 राज्यों की आर्थिक सहायता के लिए भी नुकसानदेह है यहां पंजाब का उदाहरण है 1997 में पंजाब सरकार ने किसानों के लिए शुरू की थी पर भी पड़ा था वर्ष 2017 में 56 वर्ष में ₹10000 तक पहुंच गया हॉस्पिटल में धान की खेती को बढ़ावा देने से मुक्त हो चुके हैं रूप में सामने आया कि को रोकने के लिए सरकार ने कानून बनाया लेकिन वोट बैंक की राजनीति के चलते इस पर सख्ती से अमल नहीं किया जा सकता था जो गुजर स्तर पहले बच्चे 30 फुट था पर था अब वह दिन से अभी तक पहुंच गया इससे ना सिर्फ खेती की लागत बढ़ रही है बल्कि भोजन को भी बढ़ावा मिल रहा है ©Ek villain # सिर्फ उठती मुकद खोरी की राजधानी #makarsakranti
# सिर्फ उठती मुकद खोरी की राजधानी #makarsakranti #Society
read moreSumit Gupta
आदरणीय राष्ट्रपति जी, जहाँ से शुरू होती शेरशाह सूरी और सम्राट अशोक की कहानी जहाँ बर्षो से होते आयी है प्रशासन की मनमानी जहाँ पहली महिला मेयर बनी हैं सीता साहू अभिमानी उसी पटना राजधानी की सुना रहा हूं कहानी.. जहाँ 75 वार्ड हैं 10 लाख की है आबादी कुछ दिन की बारिश ने कर दी लाखों की बरबादी नही है कुछ खाने को नहीं है पीने को पानी राष्ट्रपति जी यही है राजधानी पटना की कहानी #यही है #राजधानी#पटना की#कहानी#nojoto#hindi
Ek villain
यह सही है कि विधानसभा चुनाव में राज्य से संबंधित मुद्दे समस्या उम्मीदवार नेतृत्व आदि लोगों के मध्य निर्धारण में प्रमुख कारक होते हैं किंतु राष्ट्रीय मुद्दे पर बल हो तो वह भी व्यापक स्तर पर लोगों की मानसिकता प्रभावित करते हैं कई बार स्थानीय प्रदर्शन मुद्दे उनके प्रभाव में हादसे पर चले जाते हैं इस बार भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर नहीं लड़े जा रहे हैं जो लोग सामान्य मुद्दा यानी बेरोजगार कानून व्यवस्था समुदाय संप्रदाय समीकरण आधी आधी अपना विश्लेषण समृद्धि रखने पर उनके निष्काम में दोषी उसी कारण है वह राष्ट्रीय मुद्दों के प्रभाव का सही आंकलन नहीं कर पाते चुनाव वाले सभी राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में विद्यमान है योगी आदित्यनाथ प्रमुख मंत्री प्रदेश के हैं लेकिन उत्तराखंड पंजाब मणिपुर और यहां तक कि गोवा में अभी तक व्यक्ति एक कार्य की चर्चा व्यापक तौर पर हो रही है राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद हर जगह लोगों के बीच बहस के विषय बने हुए हैं चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव तथा उसके अनुरूप केंद्र सरकार की नीति पर लोगों की बातें करते सुनता जा रहा है पंजाब के साथ उत्तराखंड और मणिपुर सभी सीमाएं राज्य है यहां राष्ट्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ संबंध का असर मतदान पर होंगे अनेक ऐसे मुद्दे जो राष्ट्रीय और केंद्र सरकार की नीतियों से संबंधित है राज्यों के चुनाव पर दौड़ रहे हैं जैसे अनुच्छेद 370 का अंतिम राजा मुकदमे से जुड़ा हुआ है ©Ek villain # राज्यों के चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों की भूमिका #BookLife