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Dr Ashish Vats
Sunil Kumar Maurya Bekhud
कहते हैं लोग आधुनिक हम आज हो गए होते हैं ख्वाब पूरे जो हम संजो रहे ख्वाबों में ऐसे डूबे हकीकत से दूर है हर कोई खता करके कहे बेकुशुर हैं रब का न खौफ कोई आजाद हो गए लंबी उमर थी अपनी पीकर कुंए का पानी आया है जब से आरो दुनिया हुई दीवानी दूषित जमीन का जल बीमार हो रहे आएगा एक दिन जब होगी हवा विषैली निकलेंगे साथ लेकर ताजी हवा की थैली काटेंगे हम फसल कल जो आज बो रहे सुनील कुमार मौर्य बेखुद ©Sunil Kumar Maurya Bekhud प्रदूषण और हम
Mamta kumari
ये शहर का प्रदूषण भी न शहर को ओर भी प्रदूषित किए जा रहे है हवाओ में ज़हर फैला रहे हैं किसी को इनकी कुछ पड़ी नहीं है, प्रदूषण को ओर बढ़ावा देते जा रहे हैं। ©Mamta kumari #City प्रदूषण को बढ़ावा।
अदनासा-
ज़िंदगी तू मुश्किल ही अच्छी थी आसान और बनाने की ख़ातिर ना पूछ क्या क्या दुश्वारियां ले ली ©अदनासा- #हिंदी #प्रदूषण #जिंदगी #Alive #Instagram #Facebook #गुलामी #आज़ादी #आसान #अदनासा
Nisheeth pandey
शहर ----- कोलाहल ही कोलाहल चारो तरफ है इमारते पर इमारते पेड़ कहाँ गायब है रात भी उजालो से भरा दिन लगता है ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है सड़क पर गाड़ियां ही गाड़ियां हैं साँसों में यहां धुँआ ही धुँआ हैं घर तो प्लास्टिक के फुलों से मनमोहक हैं ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है जिक्र अपनों से फुर्सत का किया हमने जब जब हर दफ़ा बहाने मिलें बहुत लगा अपने बेवफा तब तब वक्त नहीं निभाने को रिश्ते नाते जज्बातों की क़दर कहाँ अब ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है धुंध ही धुंध यहां आँखों में हर एक इंसान में प्राकृतिक धुंध तो डरता है झाने से अब शहरों में आँखों में जलन कानो मे शोर यहां प्रदूषण का जोर है ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है @निशीथ ©Nisheeth pandey #Dhund शहर ----- कोलाहल ही कोलाहल चारो तरफ है इमारते पर इमारते पेड़ कहाँ गायब है रात भी उजालो से भरा दिन लगता है ये शहर है भईया यहां वी
#Mr.India
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खतरे जब हवाओ पर प्रदूषण चारो ओर मंडराने लगे है कूड़े के ढेर ,पैकेट प्लास्टिक से बढ़ाने लगे है विकास का दम्भ भर,केमिकल्स हवा पानी मे मिलाने लगे है तब से स्फूर्ति शरीर से तन मन रोगों से बढ़ाने लगे है टहलना और सैर करने से फायदे कम रोगों की चपेट में जन जन आने लगे है उपग्रहों की होड़ में आसमान भी असमान नजर आने लगे है तापमान क्षमता से ज्यादा बढ़ाने लगे है सुविधाओं तो हाईटेक बढ़ गयी मगर शारिरिक और मानसिक संतुलन जन जन के गड़बड़ाने लगे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #runaway प्रदूषण अब तन मन का संतुलन बिगाड़ने लगे है #nojotohindi