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पूनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी
काही लोक द्वेष करत तर काही लोक भ्रष्ट्र म्हणून मोकळी व्हायची, खर सांगतो लोकहो तुमच्यासाठी लढायचो आम्ही भावना कधीच दृष्ट नसायची.. तुम्हाला मारताना आम्हालाही व्हायचा त्रास, आम्ही ते करायचो जिवंत ठेवण्यासाठी तुमचा श्वास... आम्हालाही कुटुंब आहे तरीही फिरतो वणवण, कारण आम्ही जीवन देशाला केलय अर्पण... आम्ही लढत राहतो अन आमचा कधी जीवही जातो, बापाशिवाय जगण्याचं सामर्थ्य आमच्या लेकरासी देऊन जातो... खर सांगते लोकहो पोलीस होणं जीवन मरणाचा खेळ असतो, कधी काय होईल याचा काही मेळ नसतो... ✍️पुनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी (13/06/2020) #पोलीस #nojotomarathi
somnath gawade
अधिकारी मित्रांनो, पदाबरोबर येणारा अहंकार 'कुरवाळत' बसाल तर तुमच्या नात्यांमधील ओलावा कधी 'वाळत'जाईल हे कळणार सुद्धा नाही. विशेषतः पोलीस खात्यासाठी
raju hirave
साई मोबाईल रिपेरिग सेंटर निगडी पुणे
Swapnil Parab
Lata Sharma सखी
जिंदगी गुजरती है कई सारे स्टेशनों से, कुछ में हम ठहरते हैं कुछ हममें ठहर जाते हैं, सुनो! तुम मेरा ऐसा ही कोई स्टेशन हो, जिसमें मैं जरा ठहरी तो वो मुझमें ठहर गया। ©सखी ©Lata Sharma सखी #स्टेशन
Neelam bhola
बचपन,जवानी,बुढ़ापा जैसे स्टेशन हो कोई, रेलवे स्टेशन!! या रेलवे स्टेशन में सिमट आये हो ये दौर जिंदगी के, सुबह का स्टेशन मानो नन्हा बच्चा हो कोई, कभी शांत,कभी चाय चाय की किलकारी सा गूंजता, सौंधी सी खुशबु लिये, बच्चे कि हँसी सा, कभी खिलखिलाता,कभी चुपचाप स्टेशन, बचपन का सा स्टेशन,हल्के से आँख मूँदता-खोलता सा दिखता है, न आने-जाने की होड़ कहीं, आदमी ना भागता सा,ज़रा रुका सा दिखता है, दोपहर होते होते स्टेशन पे भीड़ बढ़ती जाती है, जवानी की ही तरह जिम्मेदारी हर तरफ नज़र आती है, कहीं कूली,कहीं चाय,कहीं लोगों का सामान, जवानी का पहर है, ये है मुश्किल,है नही आसान, चारों तरफ रिश्तों और जिम्मेदारियों की तरह लोग नज़र आते है, ना जाने कहाँ जाते है,कहाँ से लौट के आते हैं, कुछ न आने के लिये वापिस, कुछ न जाने के लिये आते है, जवानी भी कुछ इसी तरह के पहलुओं को समेटें है, कहीं खड़े हैं लोग,कहीं बेबस से लैटे हैं, बुढ़ापे की तरह ही ढलती है हर एक शाम स्टेशन पर, कुछ लोगों के लिये खास, कुछ लोगों के लिये आम स्टेशन पर, बुढ़ापे की तन्हाई की तरह, स्टेशन की शाम भी तन्हा होती जाती है, स्टेशन पे अब गाड़ी भी कुछ कम ही आती हैं, न कूली,न चाय न साजो-सामान होता है, बुढ़ापे की ही तरह तन्हा स्टेशन, हर रोज़ आम होता है।।।। ©Neelam bhola स्टेशन