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Stories related to कुल खान्दान

Satish Kumar Meena

कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां

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कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां,

विपदा जन्म से पाई है।

सहनशील है इस मतलब से क्या,,

पूरी जिंदगी गंवाई है।।


शूल बने अपने ही घर के,

मातम पसरा है उस दर पे,

जिस घर में नारी लक्ष्मी हो,

उस पर ही दोषारोपण हो,


फिर सब संपन्न संपदा की चाबियां,

अपने कमर लटकाई है। 

सहनशील है इस मतलब से क्या,,

पूरी जिंदगी गंवाई है।।


जब प्रारंभ ही शुभ जानो,

सारा लाभ बेटी को मानो,

अंतर क्यों इनमें जानों,

अपने को गर्व से तानो,


ये बेटियां प्रारंभ है कोई अंत नहीं है,

इसने घर की शान बनाई है।

सहनशील है इस मतलब से क्या,,

पूरी जिंदगी गंवाई है।।

©Satish Kumar Meena कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां

N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
माँ-बाप और माता-पिता जब
गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे
डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य 
कार, कुल की इज्ज़त बचाना 
कमाना और बचाकर आगे और 
आगे की ओर ले जाते थे, माँ-
बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और
महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे
भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध
कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े
व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े 
रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना
ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!!

©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey}
माँ-बाप और माता-पिता जब
गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे
डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य 
कार, कुल की इज्ज़त बचाना

Royal Thakur

विश्व में कुल कितने महादीप हैं whappy life quotes

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Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

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मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak #मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu

मण्डूक दोहे
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