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Jitesh soni ( Yash )
AJAY NAYAK
पहचान सब कुछ खो जाए, सब कुछ बदल जाए, बस इतना ध्यान रखना पहचान न खो पाए। गिर कर भी तुम, देखना सम्हल जाओगे। हार कर भी तुम, देखना जीत जाओगे। बस अपनी पहचान, अपने पास सम्हाले रखना। जिंदगी के हर दौर में, नई कहानी लिख जाओगे। सारे कीर्ति सम्मान, सब सब तुम्हारे हो जाएंगे। बस बनाए रखना हौसला, अपने अंत समय तक, देखना, तेरी पहचान ही, तेरी तलाश बन जाएगी। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #MainAurMaa #pahchan #nayaksblog पहचान सब कुछ खो जाए, सब कुछ बदल जाए, बस इतना ध्यान रखना पहचान न खो पाए। गिर कर भी तुम, देखना सम्हल जाओगे।
Jitesh soni ( Yash )
Veer Keh Raha
Anupam Chhama Srivastava
*उत्तरायण का सूर्य आपके स्वप्नों को नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो, आप परिजनों सहित स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों, यही कामना है।* *मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं......!!* *!!हरि ॐ!!* *जय सियाराम*🚩🙏 जय सूर्य भागवान 🌅🙏 ©Anupam Chhama Srivastava *उत्तरायण का सूर्य आपके स्वप्नों को नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो, आप परिजनों सहित स्वस्थ रहें, दीर्घायु
Sudha Tripathi
जन्मदिवस पर आपको, तिलक लगाऊँ भाल। रामजी करुँ अर्ज मैं,प्रार्थना की बने ढाल।। ध्रुव सा यश हो आपका, मिले सुखी संसार। रहे राम जी की कृपा,सुख समृद्धि हो द्वार।। भावपूर्ण है छंद ये, दोहा है उपहार। देने आई हूँ भेंट, शब्द भाव गुलजार।। शुभकामना सदा यहीं, बनो उदित आदित्य । बढे़ कीर्ति-यश रात-दिन, सहज रचे साहित्य।। मिले बधाई आपको,जन्म दिवोत्सव आज । सहज विधाता आपके,सभी सँवारे काज।। जन्मदिवस की आत्मीय अनंत अशेष शुभकामनाएँ राकेश कुमार सोनी(भैया जी) ©Sudha Tripathi #happybirthday#SunSet जन्मदिवस पर आपको, तिलक लगाऊँ भाल। रामजी करुँ अर्ज मैं,प्रार्थना की बने ढाल।। ध्रुव सा यश हो आपका, मिले सुखी संसार। र
Aditya kumar prasad
मेरी कविता हो तुम मन तो प्रगाढ़ उत्सुक, और ज्ञान की सरिता हो तुम, लेखन के नये आयाम लिए, मेरी कविता हो तुम। गीत समझ कर गा न सका, अथाह सागर हो तुम, शब्दकोश का भंडार बन, मनमोहक गागर हो तुम। जीवन पर्यन्त लिख रहा, ऐसा अजब लेख हो तुम, जो कभी समझ, सुलझा न सका, वो भेद हो तुम। कल्पनाशील हृदय का, निरंतर बहता सार हो तुम, कवि का साथ पाके, आकाश का विस्तार हो तुम। मृगनयनी दिखती हो, क्या एक मृगतृष्णा हो तुम, थर-थर काँपते हाथों की, अमोलक तृष्णा हो तुम। सरगम का सुर, तबले की ताल, संगीत हो तुम, विचारों को समग्र करती, लेखनी की मीत हो तुम। उन्मुक्त आकाश, अंर्तमन की गहरी, ध्वनि हो तुम, सुसज्जित कलाओं से सजी, एक संगिनी हो तुम। जगत से उपजी, जगत में सिमटी, फसल हो तुम, लेखकों को राह दिखाती, जग में असल हो तुम। लय में बजती, एक अमर संगीतमय वीणा हो तुम, कलाकार द्वारा रचित, अनमोल नगीना हो तुम। एक सुंदर, सद्भावना, सम्भावना, साधना हो तुम, माँ सरस्वती के चरणों में करी, आराधना हो तुम। सदियों की तपस्या, रचनात्मक संचिता हो तुम, बस अंतस् में हिलोरें लेती, मेरी कविता हो तुम। ©Aditya kumar prasad मेरी कविता हो तुम #like #comment #Nozoto #repost #viral #Tranding Pooja Udeshi Lalit Saxena Sethi Ji R Ojha Anshu writer Priyanka Dwive