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Ratan Singh Champawat
आज कुछ स्पंदन... ❤❤❤❤❤ माना कि एक कतरा भर हूं मैं .... किंतु मेरा अस्तित्व गहरा है सातों समंदरों से भी यह सारे.नदियां ,तालाब ,झीलें, महासागर ..सब के सब बने हैं मुझ ही से तो समाए हैं.यह सब मुझे ही में और एक दिन फिर से.. सिमट आएंगे मुझ ही में यह सब... एक अनछुई रुहानियत हूँ मैं.. अनकही व्यथा कथा की अभिव्यंजना हूँ..मैं स्वानुभूत पीड़ा का साक्षात्कार हूं ..मैं पवित्र..पावन..पुनीत हूं.. तभी तो सूरज भी मुझे छूकर झिलमिला उठता है..इंद्रधनुषी सतरंगी आभा से चिर मुक्त हूं मैं ..सारे तटों ,कूलों,साहिलों की परिभाषाएं कभी बांध न सकी मुझको किसी सीमा मे.. मैं समाया हूं...बस अपने ही आकार में..निराकार हो कर.. सृजना भी मेरी..मैंने ही की है इसीलिए तो मैं..विस्तृत हूं..समस्त विस्तार से परे तक ! किंतु मेरे दोस्त विडंबना यही है कि. तुम सागर की हदों में ही उलझे रहे...मुग्ध रहे..किनारों की कशमकश तक ही.. जकड़े रहे..तुच्छता के मोहपाश में.. असीम की अनकही अनुभूति का आकर्षण लय में विलय..लीन में विलीन.. हो जाने का आनंद वंचित रहे इन सब से तुम मात्र कुछ प्रवंचनाओं के कारण और मुझे अफसोस है मेरे दोस्त कि तेरी दृग देहरी पर मैं कब तक ठहरता लो मैं तो चला फिर अपने उसी निरपेक्ष पटाक्षेप की ओर मगर जा रहा हूं छोड़कर कुछ स्पन्दन अपने जो देते रहेंगे दस्तक तुम्हारे दिल की देहरी पर अक्सर.. दृग के द्वार से
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Kuldeep Singh Deep
"A" Meaning of A अ का अर्थ : अवनी ,धरा, मरुधरा । जननी , मां, दुर्गा, शक्तिस्वरूपा , शैल पुत्री कई रुप है । संक्षेप में उर्वरा , भूमि है जिसे माँ कहते हैं। ©Kuldeep Singh Comrade मां : का अर्थ
Parasram Arora
प्रेम मे बांटने का भाव होता हैँ सब कुछ लुटाने का मन होता हैँ निश्चित ही प्रेम मे विरोधाभास भी होता हैँ प्रेम क़े मार्ग मे विकास का अर्थ किसी लक्ष तक पहुंचना नहीं बल्कि चलते जाना हैँ ऊचाईया छूने मे नहीं हैँ अर्थ प्रेम मे तो सिर्फ गहराई पाना हैँ प्रेम का अर्थ......