Find the Latest Status about न्याय व्यवस्था भारतीय from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, न्याय व्यवस्था भारतीय.
व्ही.vishwas व्ही. भाले
सत्ता के डर के लालच में न्यायलय के जज को सत्ता का भूखा बना दिया।। 28/5/23 ©व्ही.vishwas व्ही. भाले ।।।आज की न्याय व्यवस्था।।
।।।आज की न्याय व्यवस्था।।
read moreअम्बुज बाजपेई"शिवम्"
:-भारतीय न्याय व्यवस्था के चरण:- ---------------------------------------- पहले अफसोस फिर आक्रोश फिर राजनीति. सब-कुछ होगा पर समय पर न्याय नहीं होगा। :-भारतीय न्याय व्यवस्था के चरण:- ---------------------------------------- पहले अफसोस फिर आक्रोश फिर राजनीति. सब-कुछ होगा पर समय पर न्याय नह
:-भारतीय न्याय व्यवस्था के चरण:- ---------------------------------------- पहले अफसोस फिर आक्रोश फिर राजनीति. सब-कुछ होगा पर समय पर न्याय नह
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी टटोलो संवेदना ,नियत नैतिकता की होनी चाहिये जो जितने ऊँचे पड़ पर हो उसे उतनी सजा होना चाहिये अपराध की स्थिति देखकर प्रावधान दन्ड का होना चाहिये समाज सुधारक बने न्याय सेवा में अपराधी को खपाना चाहिये जेल में तो आदतन अपराधी को सड़ाना चाहिये पहले व्यवस्था का चलन देखिये तब तराजू पर न्याय कसना चाहिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #justice पहले व्यवस्था का चलन देखिये,तब न्याय को कसौटी पर कसना चाहिये #nojotohindi
#justice पहले व्यवस्था का चलन देखिये,तब न्याय को कसौटी पर कसना चाहिये #nojotohindi #कविता
read moreसतीश तिवारी 'सरस'
डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर जो एक अकेला आदमी गुलमोहर की तलाश में नंगे पाँव जा रहा है व्यवस्था का सूरज सबसे अधिक उससे ही घबरा रहा है। ''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार ©सतीश तिवारी 'सरस' #व्यवस्था
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
व्यवस्था
read moreAuthor Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
व्यवस्था
read moresomnath gawade
प्रचलित व्यवस्थेविषयी 'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर 'व्यवस्था' आपल्याला व्यवस्थित जागी पोहचविते. 🤣😂 #व्यवस्था