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Suresh Kumar Kushwaha

न्याय व्यवस्था

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व्ही.vishwas व्ही. भाले

।।।आज की न्याय व्यवस्था।।

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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

:-भारतीय न्याय व्यवस्था के चरण:- ---------------------------------------- पहले अफसोस फिर आक्रोश फिर राजनीति. सब-कुछ होगा पर समय पर न्याय नह

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:-भारतीय न्याय व्यवस्था के चरण:-
----------------------------------------
पहले अफसोस
फिर आक्रोश
फिर राजनीति.

सब-कुछ होगा पर समय पर न्याय नहीं होगा।
 :-भारतीय न्याय व्यवस्था के चरण:-
----------------------------------------
पहले अफसोस
फिर आक्रोश
फिर राजनीति.

सब-कुछ होगा पर समय पर न्याय नह

Chetan Khowar

just talk -6 लाचार न्याय व्यवस्था #विचार

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Raj

न्याय के लिये आवाज बने #justice #HathrasRapeCase #HathrasTruth #youth #भारतीय

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Praveen Jain "पल्लव"

#justice पहले व्यवस्था का चलन देखिये,तब न्याय को कसौटी पर कसना चाहिये #nojotohindi #कविता

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सतीश तिवारी 'सरस'

Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था

Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था

somnath gawade

प्रचलित व्यवस्थेविषयी
'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर
 'व्यवस्था' आपल्याला
व्यवस्थित जागी पोहचविते.
      🤣😂 #व्यवस्था
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