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Asif B. Pathan

जुल्फ़े सिर्फ बाईं तरफ मत रखा करो, दायाँ झुमका खुद को महफूज़ नहीं समझता.... 💞

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जुल्फ़े सिर्फ बाईं तरफ मत रखा करो,
दायाँ झुमका खुद को महफूज़ नहीं समझता.... 💞 जुल्फ़े सिर्फ बाईं तरफ मत रखा करो,
दायाँ झुमका खुद को महफूज़ नहीं समझता.... 💞

kittuvishal1

आइना भी भला कब किसको सच बता पाया है ,  जब देखा दायाँ तो ,  बायाँ ही नज़र आया है… #आईना #शायरी

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आईना  आइना भी भला कब किसको सच बता पाया है , 
जब देखा दायाँ तो , 
बायाँ ही नज़र आया है…

©kittuvishal1 आइना भी भला कब किसको सच बता पाया है , 
जब देखा दायाँ तो , 
बायाँ ही नज़र आया है…
#आईना

Salamat Shah

انداز حکیمی ہیں ہم رند کلیمی ہیں ہم کانچ نہیں رکھتے آنکھوں سے پلاتے ہیں अंदाज हकिमी हैं हम रिंद कलिमी हैं हम कांच नहीं रखते आंखो #nojotophoto #पिक_पर_लिखा_है #आशिक_को_चार_मोजजों_से_गरज #दायारे_इश्क

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 انداز   حکیمی  ہیں   ہم  رند  کلیمی   ہیں
ہم کانچ نہیں رکھتے آنکھوں سے پلاتے ہیں 

अंदाज हकिमी हैं हम रिंद कलिमी हैं 
हम कांच नहीं रखते आंखो

REETA LAKRA

इस नाच को नाचने वाले दो दलों में विभाजित हो जाते हैं। अलग-अलग सीधी कतार में आमने-सामने, झुककर दायां फिर बायां कदम लेते गाते हुए आगे बढ़ते है #उराँव

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जदिरा (डोड़ोंग)
घर से बाहर भेली दुवार में ठाढ़
दुवार बंधनी लाइग गेल, उतरे दछिने सुया बोले,
पुरबे से उगे भगवान, तीन सै साइठ बंदुक अपने हूँ जुरे,
पलंग के बिछाय ठाकुर सिरी चौंर डोले, हो।
खेल लझैर लझैर रे....  इस नाच को नाचने वाले दो दलों में विभाजित हो जाते हैं। अलग-अलग सीधी कतार में आमने-सामने, झुककर दायां फिर बायां कदम लेते गाते हुए आगे बढ़ते है

Author kunal

(मनुष्य ) अपना अस्त्वित्व जान कर भी ईश्वर मान लेना कोई विचित्र कोई असत्य तो नहीं हलांकि ये धारणा एक युगल प्रेमी प्रेमिकाओं में अधिक पाया #Truth #yqbaba #yqdidi #Kunalpoetry #kunu #restzone #kamil_kavi

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ईश्वर होना क्या है भौतिक संसार का ज्ञान , आध्यात्मिक सत्य या शून्य अर्थात प्रेम ।
पूरी कविता पढ़े नीचे 👇 

(मनुष्य ) अपना अस्त्वित्व जान कर भी ईश्वर मान लेना कोई विचित्र कोई असत्य तो नहीं 
हलांकि ये धारणा एक युगल प्रेमी प्रेमिकाओं में अधिक पाया

Om Prakash Kumar

#इस क़दर सितम अपना मुझपे जाया ना करो। बिन मौसम बादल बन मुझपे छाया ना करो।। थोड़ा रहम खाओ ख़ुदा के वास्ते इस नादान पर। यूँ सरेआम कहर बन मु

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इस क़दर सितम अपना मुझपे जाया ना करो। 
बिन मौसम बादल बन मुझपे छाया ना करो।। 
थोड़ा रहम खाओ ख़ुदा के वास्ते इस नादान पर। 
यूँ सरेआम कहर बन मुझपे ढाया ना करो।। 
गर इश्क सच्चा है मुझसे तो इश्क कुबूल करो। 
हर रोज मेरी बातों को दायाँ-बायाँ ना करो।। 
उल्फत-ए-दुश्मन बनती है दुनिया, तो बनने दो। 
पूरी दुनिया को अपने सर पे उठाया ना करो।।
माना कि मेरा दिल तेरा गुनाहगार है मगर।
हर बार मुझसे नाराज़गी जताया ना करो।। 
बेमौत मरेंगे लाखों जो तेरे आशिक, दिवाने हैं।
यूँ अपने कंधे से दुपट्टा सरकाया ना करो।।
ये जो बिखरी जुल्फें हैं तेरी शोभा बढ़ाती हैं।
अपने चेहरे से जुल्फे हटाया ना करो।।
जो लोग यहाँ बैठे हैं शरीफ मालूम पड़ते हैं। 
बेवजह जालिम कह इनको उकसाया ना करो।।
मुझे मालूम है कि तुम्हें मुझसे प्यार नही है। 
बात-बात में मुझे अपना कह फुसलाया ना करो।। 
बड़ा ही बदनाम है मेरा नाम आजकल जमाने में।
खामखा अपनी जुबां पे मेरा नाम लाया ना करो।। 
मयकश नही है "ओम" कई जमाने से। 
यूँ अपने होठों से जाम छलकाया ना करो।। #इस क़दर सितम अपना मुझपे जाया ना करो। 
बिन मौसम बादल बन मुझपे छाया ना करो।। 
थोड़ा रहम खाओ ख़ुदा के वास्ते इस नादान पर। 
यूँ सरेआम कहर बन मु

Vikas Rawal

कल रात,फिर से शाम आई थी, मैं फिर से तन्हा था, तुम फिर से याद आई थी। कल रात, फिर से शाम आई थी, बातों की पोटली, यादों का पिटारा और एक धुंधला #Poetry

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कल रात, फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी। कल रात,फिर से शाम आई थी,
मैं फिर से तन्हा था,
तुम फिर से याद आई थी।

कल रात, फिर से शाम आई थी,
बातों की पोटली,
यादों का पिटारा और एक धुंधला

Puru

मैं ट्रेन के दरवाजे पर आ कर खड़ी हो गयी, बस दो तीन मिनट में ही मेरा स्टेशन आने वाला है। पिछ्ले एक साल की लगातार बातों के बाद आज पहली बार उस #Stories

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*वो पहली मुलाकात* मैं ट्रेन के दरवाजे पर आ कर खड़ी हो गयी, बस दो तीन मिनट में ही मेरा स्टेशन आने वाला है।

पिछ्ले एक साल की लगातार बातों के बाद आज पहली बार उस

OMG INDIA WORLD

#चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक #विचार #OMGINDIAWORLD

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प्रकृति की गोद में #चरित्रहीन
स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े !

स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो। संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वे एक गांव गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा- हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है वह जल्दी ही वृद्ध होगा फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए और आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है।आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपके द्वारा पकड़ लिया गया है। बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जबतक कि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो। अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष जिम्मेदार हैं l यह सुनकर सभी लज्जित हो गये लेकिन आजकल हमारे समाज के पुरूष लज्जित नहीं गौरवान्वित महसूस करते है क्योंकि यही हमारे "पुरूष प्रधान" समाज की रीति एवं नीति है l.  ashish

©OMG INDIA WORLD #चरित्रहीन
स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े !

स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक

N S Yadav GoldMine

#GuzartiZindagi *संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अध्ययन में कहा गया है कि 51% से अधिक बुजुर्ग सीढ़ियां चढ़ने के दौरान गिर जाते हैं। अमेरिका में #ज़िन्दगी

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