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Juhi Grover
मैंने तो सीता का अपहरण ही किया था। आज समाज में तो स्त्री की इज्ज़त तार तार करने वाले बैठे हैं। कब तक मुझे पापी का दर्जा देते रहोगे? जाओ पहले उन पापियों का वध करो। हाँ, तुम सही कह रहे हो। आज कितने भी राम हों, सब कम पड़ जायेंगे।मगर पापियों का विनाश नही हो पायेगा। विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
KRUNAL JADAV
प्रभु, एक बार तो आपने मार दिया, ये लोग हर साल क्यों जलाते है? केवल आपके भक़्त है इसलिए? मै भी शिव भक़्त था, ख़ौला मेरा भी रक्त था, जब नाक बहन की काटी गई, मेरी प्रतिष्ठा बाटी गई। त्रिलोक विजेता था, चार वेद-छह शास्त्रो का ज्ञाता था। बहन के लिए लड़ना तुम्हारा फर्ज़ था, पर अपहरण करना अपराध था। माना कि तुम बड़े ज्ञानी थे, पर साथ में अभिमानी थे। तुमने सम्मान नहीं अपमान किया। इसलिए तुम्हारा हर साल जलना फरमान किया। विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Shiwalika_SSS
ये कलियुग है राम। यहां सत्य और धर्म नष्ट हो चुका है।अब तुम्हारी मेरे ऊपर विजय असंभव है।अब इस संसार पर केवल मेरा वर्चस्व होगा।केवल मेरा। हा हा हा हा...🤣🤣🤣🤣 तुम भूल रहे हो रावण।ये संसार अब भी टिका हुआ है।केवल इसलिए क्योंकि सत्य और धर्म अब भी संसार में शेष है।अगर धर्म का नाश हो चुका होता तो ये धरती भी समाप्त हो चुकी होती।और ऐसा कोई नहीं युग जहां पाप धर्म को नष्ट कर सके। हाँ ये कलियुग है, इसलिए पाप का पलड़ा वर्तमान में भारी है किंतु ये इस युग का अंत नहीं है।मैं इस कलियुग में भी जन्म अवश्य लूंगा।तुम्हारा और पाप का अंत करूँगा। सत्य की विजय पुनः होगी और अवश्य होगी। मेरी प्रतीक्षा करो। मैं आ रहा हूँ रावण......🏹🏹 विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Vibha Katare
हर तरफ मैं ही मैं हूँ। श्री राम आप क्यों कहीं नजर नहीं आते। लौट आओ श्री राम अब इस दशहरे मुझको जलाने। मैं ही मुझको जला रहा। मुझको ही मैं राख कर खुद को श्री राम दर्शा रहा। हे लंकेश्वर, कैसे लौट पाऊं मैं , सीता और लक्ष्मण के बिना, मेरे प्रिय हनुमान बिना। विभीषण सम भ्रातृ संग तुम भी न जीत पाए महाबलशाली, तो मैं कैसे तुम्हे जलाऊँ यहाँ , घरभेदियों की विषात जहाँ । विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Divyanshu Pathak
राम और रावण की तुलना कर रहे हो! या हिमायत हो रही धनबल की दिल से। छल कपट और योग-हट से जो भी पाया! मूर्ख रावण ने उसे ही तो गंवाया। तुम सनक और शक्ति में अंतर तो समझो! राम अतुलित शील और पौरुष-पराक्रम। वेदना मानव के दिल में हो गई फिर- ढीठ बनकर लाख पुत्रों को मिटाया, दम्भ फिर भी प्रश्न पूछे श्रेष्ठता का! राम के चरणों की धूलि भी नहीं था, लाज रखली वृद्ध की बस श्रीराम ने सम्मान देकर। विष्णुपद छंद - नियम - चार चरण प्रत्येक चरण में 26 मात्राएँ , 16 - 10 पे यति , चरणांत में एक दीर्घ अनिवार्य । पामाल 'पराजित -पठ ' परंच , पा
Vivek Singh rajawat
"रावण संवाद" कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था,अब हर घर मे छाया हैं, मर के भी पुनः दशानन आया हैं, इस कलियुग में तुझे समझाने आया हैं, सतयुग में होंगे तुम मर्यादा परुषोत्तम राम, कलियुग में काल सौगंध न होगा अब विराम, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तेरे शर से आघात हुआ, मृत्यु को मैं प्राप्त हुआ, फिर पुनः कलियुग में भयंकर मैं व्याप्त हुआ, कहीं पुत्र बन अपने माँ-बाप को सताया, तो कहीं पति बन पत्नी पर जोर जताया, तब एक अपहरण कर मृत्यु को पाया, अब अनगिनत अपहरण कर भी जोर दिखाया, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, छल कपट का ये कलयुगी सम्राज्य बनाया, इस बार कोई विभीषण न होगा, जिसने मेरा भेद बताया, मृत्यु के भय को भी भयंकर भयभीत किया, लंकापति की उपाधि से खुद को पुनः मनोनीत किया, अबकी जो ये नाश बढेगा चाह कर भी तू न रोक सकेगा, तेरे शर में वो शक्ति नही जो मुझको तू रोक सकेगा, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब तू वास्तविक था,तेरे सत्य पुरुषत्व से मैं घबराया, अब तेरे भेष में अज्ञानी मनुष्य ने खुद को राम बतलाया, मैं जल रहा फिर भी असमंजस में सोच रहा था, मैं मेरा जलता शरीर तुझे ही इस कलियुग में खोज रहा था, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था अब हर घर मे छाया हैं। धन्यवाद। विवेक सिंह राजावत। रावण का संवाद
Sangeeta Chauhan
संवाद जरूरी है मौन बहुत -सी परेशानियों का निदान है। पर गलतफहमियां मिटाने को संवाद जरूरी है।। रिश्तों के सूनेपन को दूर करना जरूरी है। चाहे वाद -विवाद ही हो पर बात करना जरूरी है।। रिश्तों में बढ़ रही दूरियों को रोकना जरूरी है। अपनों को अपनेपन का अहसास कराना भी जरूरी है।। खामोशियों के मायने भी कई निकलते हैं। बात लफ़्ज़ों में कहना अब बहुत जरूरी है।। जिन्दगी है सीधी सरल और खुशनुमा। बेतरतीब सी उलझनों से इसे बचाना जरूरी है।। #संवाद