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OMG INDIA WORLD
बेईमान व्यक्ति में, ईमानदार आदमी को परखने का गजब का सेन्स होता है । ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD बेईमान व्यक्ति में, ईमानदार आदमी को परखने का गजब का सेन्स होता है ।
diaryreena
बिना शिक्षा के कामन सेन्स होना, शिक्षा प्राप्त करके भी कामन सेन्स ना होने से हज़ार गुना बेहतर है। ©Diaryreena #कॉमनसेंस बिना शिक्षा के कामन सेन्स होना, शिक्षा प्राप्त करके भी कामन सेन्स ना होने से हज़ार गुना बेहतर है। indu singh SHAYAR (RK) SACHIN
lalitha sai
ये अच्छी बात नहीं है.... वो हर बार कहते है किसी के दिल को दुःखाना ठीक नहीं है मगर वो ये नहीं सोचते की किसी का दिल नहीं दुःखाना ये समझकर कितने लोगों दिल को दुःखा रहे
Sunil itawadiya
दोस्तो प्यार कोई एक्टर डॉक्टर या कलेक्टर की पाली हुई जागीर नहीं है it is universal प्यार कोई भी कर सकता है ऑटो रिक्शा वाले से लेकर अंबानी तक सब में एक ही चीज कोमन है और वो है प्यार👉😊💐 दोस्तो प्यार कोई एक्टर डॉक्टर या कलेक्टर की पाली हुई जागीर नहीं है it is universal प्यार कोई भी कर सकता है ऑटो रिक्शा वाले से लेकर अंबानी तक
Saya
#DearZindagi गंवार कहते है घर में उसे सब (माँ) गंवार कहते है घर में उसे सब ! तुम अनपढ़ हो तुम्हें कुछ नहीं आता! तुम मेरे दोस्तों के सामने टुटी-फ़ुटी English ना बोला करो मुझे शर्म महसूस होत
atrisheartfeelings
27 September... सभी फोलोअर्स कोलेव कीजिए और अपना अवतारण दिवस बताएं ताकि हम आपके उस दिन को थोड़ा स्पेशल बनाने की कोशिश कर सकें। कोशिश करना कि जितने भी करें ज
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- अपने-पन से हरा-भरा था कैसे तुम्हें बताऊँ । आज चाँद के पास पहुँचकर क्या-क्या तुम्हें दिखाऊँ ।। अपने-पन से हरा-भरा था ... आ जाते है कुछ पक्षी अपनी साँझ बिताने को । लेकिन पीछे पड़ा शिकारी उनको मार गिराने को ।। सामर्थ्य नही है अब मुझमे कैसे उन्हें छुपाऊँ । अपने-पन से हरा-भरा था... कल तक मेरी डाली में सुंदर वह फल फूल लगे । चिड़िया मेरी डाली को कहती सुंदर भवन लगे ।। इतना कुछ देखा जीवन में कैसे उसे भुलाऊँ । अपने-पन से हरा-भरा था ..... बच्चों के प्यारे पत्थर करते मुझमें घाव बड़े । पर मुझको तो फल देना जो थे मेरी छाँव खड़े ।। उनके कोमन मन को मैं अब कैसे भला दुखाऊँ । अपने-पन से हरा-भरा था .... महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- अपने-पन से हरा-भरा था कैसे तुम्हें बताऊँ । आज चाँद के पास पहुँचकर क्या-क्या तुम्हें दिखाऊँ ।। अपने-पन से हरा-भरा था ... आ जाते है कु