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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat मशगूल रहे एहसासों को दिल से उतारने के कंबख्त दिल और तेज़ धड़कने लगा जज़बात बताने को उतार तो लिए पन्नों पर बंद पिंजरे से उसके नाम को कमबख्तं पन्नों में दफ़न क्या किया धूल भी बेताब उड़ने को कोशिशों को मुकम्मल जहां बनाने को दिल को दस्तक देकर दूर जाने को बेताबी इतनी थी कि चांद भी आज छिपा रहा तड़पने को तारे गिन गिन आंखों में जलन सी थी प्यास बुझाने को #lovequotes #realityoflife #zindagi #lifequotes #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat मशगूल रहे एहसासों को दिल से उतारने के क
INDIA CORE NEWS
Mohit Mudita Dwivedi
#08 कभी हुआ है कि बैठे हो रात में, आंखों में जलन हो पर नींद दूर तक न दिख रही हो कभी हुआ है कि मन कर रहा हो कि लिख दो सब लेकिन उंगलियाँ न
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रातों की बेचैनी को पन्नों पे उतार सी हमने ख़ामोशी के फसाने को इंतहा भी ना दी हमने अक्स शीशे की बरनी में बंद कर दिया हमने रातों को नीद में बिन बुलाया मेहमान बन चला आता है कहा हमने सोच कर तंग किया करो आंखों में जलन है कहा हमने तमाम कसमों में एक विश्वास तो दिला दिया करो कहा हमने बातों से सहमत कभी मरहम सी बात कर लिया करों कहा हमने मोहलत देते थक गए उम्र तमाम उम्मीदों में काली स्याही सी राहों में राते गुजर दी हमने ना वक़्त मिला ना मोहलत ख़त्म हुई बस धूल में लिपटी वसीयत के पन्नों में दर्ज़ किए,कभी नसीहत देते यहीं कहा हमने मोहब्बत नहीं मतलब था बस भ्रम में जीते ज़माने में सम्राट बनने को राज़ी से लगते थे तुम बस यही कहा हमने दिखावे के रिश्तों में मोहलत मांगी नहीं जाती जज़्बात ए हर्षिता की कहानी में खोखले दावों की कहानी सही नहीं जाती बस यही कहा हमने #lifequotes #zindagikasafar #yqsahitya #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat रातों की बेचैनी को पन्नों पे उतार सी हमने ख़ामोशी
Mularam Bana
#THE_BLUE_GREEN_HOPE . #दिल्ली_का_प्रदूषण दिल्ली की जनसंख्या 2करोड 90 हजार है एक परिवार में 6 लोग कुल 48 लाख 30 हजार परिवार अगर 10 परिवार भी एक पेड़ लगाएं और उसको पाले तो पेड़ होंगे 4 लाख 83 हजार पर यह काम क्यों करोगे तुम्हें तो दोष देना सबका पेट भरने वाले किसान को पेड़_लगाओ_धरा_बचाओ वातावरण बचाओ एक पौधा एक प्रयास पर्यावरण रक्षा व मानव कल्याण सेवा संघ राजस्थान दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर दिन पर दिन बढ़ता जा रहा हैं। यह प्रदूषण अपने जानलेवा स्त
Divyanshu Pathak
विज्ञान का ताण्डव - 2 आज विकास के जिस दौर से हम (विश्व) गुजर रहे हैं, वहां किसी युद्ध विराम को सफलता नहीं मिलेगी। न कोई मानवता के इस ह्रास को रोक पाएगा धन भी मिट्टी दिखाई दे जाएगा। विष और संहार के एक ही देव हैं-शिव। आने वाला काल इनके ताण्डव का साक्षी होगा। असाध्य रोगों के दो ही कारण होते हैं। एक विषैला अन्न और विषैले विचार। वैसे तो विचार भी अन्न पर ही निर्भर है। जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। अन
Upendra Dubey
क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम हैं आंकड़ों के मुताबिक 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी। ©Upendra Dubey क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान। सिंगरौली छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस