Find the Latest Status about का जीवन परिचय from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, का जीवन परिचय.
swati yadav
।।कबीरदास का जीवनपरिचय।। जन्मा ब्राह्मणी विधवा ने था काशी मे स्वर्ण त्याग दिया तुरन्त वहां नीलू नीमा ने पालन कबिरा दास किया रामानन्द के परम शिषय थे जाति -पात का भेद मिटाया पंच मेल खिचड़ी भाषा लिख महाकाल प्रभु रूप दिखाया जन्म--- 1480ई.स्वी र्मत्यु----1518ई.स्वी।। ©swati yadav कबीरदास का जीवन परिचय कविता के रूप मे😍✍️🙏
Ye Hai India
डीएम मंगेश घिल्डियाल का जीवन परिचय | DM Mangesh Ghildiyal biography http://yehaiindia.in/dm-mangesh-ghildiyal-biography-in-hindi/
Ravindra Singh
डीएम दीपक रावत का जीवन परिचय | IAS Deepak Rawat Biodata http://yehaiindia.in/dm-deepak-rawat-biography-in-hindi/
Ravindra Singh
छत्रपति शिवाजी का जीवन परिचय और रोचक तथ्य Interesting Facts About Chhatrapati Shivaji in Hindi http://yehaiindia.in/interesting-facts-about-
Ravindra Singh
महाराणा प्रताप का जीवन परिचय और रोचक तथ्य Interesting Facts about Maharana Pratap in Hindi http://yehaiindia.in/interesting-facts-about-maha
N S Yadav GoldMine
रामायण के बालि का जीवन परिचय, !वरदान, शक्तियां, युद्ध व मृत्यु आप भी जानें रोचक कथा !! 🌸🌸{Bolo Ji {Radhey Radhey} रामायण के बालि का जीवन परिचय :- 🌞 बालि रामायण का एक मुख्य पात्र, वानर प्रजाति से व किष्किन्धा नगर का राजा था। उसके जन्म को लेकर कई प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं। जैसे कि कोई उन्हें अरुण देवता के गर्भ से जन्मा तो कोई राक्षस ऋक्षराज के गर्भ से जन्मा मानते हैं किंतु उनके धर्म पिता देवराज इंद्र थे। बालि का छोटा भाई सुग्रीव था जिसके धर्म पिता सूर्य देव थे। बालि बचपन से ही अत्यधिक बलवान व शक्तिशाली था। आज हम बालि को मिले वरदान, उसकी शक्तियां व युद्ध के बारे में आपको बताएँगे। बालि का विवाह :- 🌞 बालि का विवाह तारा नाम की एक अप्सरा के साथ हुआ था। तारा का जन्म समुंद्र मंथन के समय हुआ था। जब देवताओं व दानवों के द्वारा समुंद्र मंथन किया जा रहा था तब बालि भी अपने पिता इंद्र देव के साथ समुंद्र मंथन का कार्य कर रहे थे। समुंद्र में से कई अप्सराएँ निकली थी जिसमे से एक तारा थी। बालि का उस अप्सरा के साथ विवाह हुआ था। बालि को मिला भगवान ब्रह्मा से वरदान :- 🌞 बालि को स्वयं भगवान ब्रह्मा जी से वरदान स्वरुप एक हार मिला था जिसको पहनने से उसकी शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती थी। इस वरदान के फलस्वरूप बालि जब भी युद्ध करने जाता उसे सामने वाले प्रतिद्वंदी की आधी शक्ति प्राप्त हो जाती थी। अर्थात यदि बालि में 100 हाथियों का बल है व उसके प्रतिद्वंद्वी में एक हज़ार हाथियों का तो युद्ध के समय बालि को उसकी आधी शक्ति अर्थात 500 हाथियों का बल मिल जायेगा। इस प्रकार बालि की शक्ति 600 हाथियों के बराबर व उसके प्रतिद्वंद्वी की शक्ति केवल 500 हाथियों के बराबर रह जाएगी। इसी वरदान के कारण बालि अत्यंत बलशाली हो गया था व उसे हराना असंभव था। अपने इसी वरदान के कारण बालि ने जितने भी युद्ध लड़े उसमे उसने विजय प्राप्त की। बालि को सामने से चुनौती देकर हराना किसी के लिए भी असंभव था। इसीलिए ही भगवान राम ने उसे छुपकर मारा था। बालि की शक्तियां :- 🌞 बालि की पराक्रम की कथा स्वयं रामायण में लिखी हुई हैं। उसके बारे में लिखा गया हैं कि वह पहाड़ो के साथ एक गेंद के समान खेलता था व उन्हें अपने हाथों से इधर-उधर कर देता था। प्रातः काल जल्दी उठकर वह अपनी किष्किन्धा नगरी से पूर्वी सागर से दक्षिण सागर फिर दक्षिण सागर से पश्चिम सागर तक जाता था व उसके बाद पश्चिम सागर से किष्किन्धा नगरी तक आता था लेकिन फिर भी उसे थकान अनुभव नही होती थी। बालि के युद्ध :- 🌞 बालि ने मुख्यतया 5 युद्ध लड़े जिसमे से अंतिम युद्ध में भगवान श्रीराम ने उसका वध कर दिया। आइये जानते हैं: बालि दुंदुभी युद्ध :- 🌞 दुंदुभी नाम का एक राक्षस था जिसे अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था। इसी घमंड में उसने समुंद्र देवता को युद्ध के लिए ललकारा लेकिन उन्होंने उसे पर्वत से युद्ध करने को कहा। फिर उसने पर्वत को युद्ध के लिए ललकारा तब उन्होंने बालि से युद्ध करने को कहा। जब दुंदुभी बालि से युद्ध करने गया तब बालि ने उसे पकड़कर मार डाला व अपने हाथों से उठाकर दूर फेंक डाला। उस राक्षस के रक्त की कुछ बूँदें ऋषि मतंग के आश्रम पर गिरी जिस कारण ऋषि ने बालि को श्राप दिया कि वह उनके आश्रम के आसपास की एक योजन की भूमि पर आया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। उनका आश्रम ऋषयमूक पर्वत पर स्थित था जहाँ बालि को जाने की मनाही थी। बालि रावण युद्ध :- 🌞 बालि की शक्ति का परिचय सुनकर रावण को उससे ईर्ष्या होने लगी। रावण स्वयं को इस पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली समझता था इसलिये उसने बालि को युद्ध के लिए ललकारा। बालि ने रावण को भी हरा दिया व उसे अपनी काख में 6 माह तक दबाकर रखा। अपने इस अपमान से रावण बहुत लज्जित हुआ व उसने बालि से क्षमा मांग ली व उससे मित्रता कर ली. बालि व मायावी राक्षस का युद्ध :- 🌞 दुंदुभी के बड़े भाई मायावी राक्षस ने एक बार बालि को युद्ध के लिए ललकारा। तब बालि व उस मायावी राक्षस का महीनों तक एक गुफा में युद्ध हुआ। उस गुफा के बाहर उनका भाई सुग्रीव पहरा दे रहा था। जब उसका भाई बालि कई महीनों तक बाहर नही निकला तो अपने भाई को मरा समझकर सुग्रीव गुफा के द्वार को एक विशाल चट्टान से बंद कर चला गया ताकि वह मायावी राक्षस बाहर ना आ सके किंतु उस युद्ध में बालि विजयी हुया था। कुछ समय बाद बालि उस गुफा से निकल कर वापस आया व अपने भाई सुग्रीव को राज्य से निकाला दे दिया। बालि सुग्रीव प्रथम युद्ध :- 🌞 बालि ने अपने भाई सुग्रीव का भरी सभा में अपमान करके निकाल दिया था व उससे उसकी पत्नी रुमा को भी छीन लिया था। सुग्रीव अपने भाई बालि से इसका प्रतिशोध चाहता था इसलिये उसने भगवान श्रीराम की सहायता ली। चूँकि वरदान के कारण बालि से सामने से युद्ध नही किया जा सकता था इसलिये श्रीराम ने उसे छुपकर मारने की योजना बनाई। योजना के अनुसार सुग्रीव ने बालि को ललकारा लेकिन दोनों में शरीर व व्यवहार को लेकर बहुत समानताएं थी जिस कारण भगवान राम प्रथम युद्ध में बालि को नही मार सके। उस युद्ध में बालि ने सुग्रीव को बहुत मारा व सुग्रीव किसी तरह अपना जीवन बचाकर वहां से भागा था। बालि सुग्रीव द्वितीय युद्ध व बालि वध :- 🌞 इस बार भगवान राम ने सुग्रीव की पहचान के लिए उसके गले में एक फूलों की माला पहनाई। इस बार के युद्ध में बालि की पहचान करना श्रीराम के लिए आसान था। जब बालि व सुग्रीव का भीषण युद्ध चल रहा था तब भगवान राम ने छुपकर बाण चलाकर उसका वध कर दिया। इस प्रकार बालि का अंत हो सका। भगवान राम व बालि का संवाद :- 🌞 जब बालि तीर लगने से घायल हो गया तब भगवान श्रीराम बाकियों के साथ उसके पास आये। बालि अपने सामने भगवान श्रीराम को देखकर अत्यंत क्रोधित हो गया व उस पर छुपकर वार करने का कारण पूछा। तब भगवान श्रीराम ने उसके द्वारा किये गए अधर्म के कार्य बताएं जो उसकी हत्या के कारण बने। बालि को अपने किये का पछतावा हुआ व उसने श्रीराम से क्षमा मांगी। साथ ही उसने अपने पुत्र अंगद को भगवान श्रीराम की सेवा करने को कहा। यह कहकर बालि ने अपने प्राण त्याग दिए। बालि की मृत्यु के बाद सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य भार सौंपा गया व बालि के पुत्र अंगद को किष्किन्धा का राजकुमार बनाया गया। साथ ही भगवान श्रीराम ने अंगद को अपनी सेना व कार्यों में महत्वपूर्ण स्थान दिया। ©N S Yadav GoldMine #walkalone रामायण के बालि का जीवन परिचय, !वरदान, शक्तियां, युद्ध व मृत्यु आप भी जानें रोचक कथा !! 🌸🌸{Bolo Ji {Radhey Radhey} रामायण के बालि
Rohit Kumar
blogger rohit blogger man rohit google boy rohit rohit google google rohit google writer rohit rohit bihar rohit kumar bihar
kgf Kumhar
फूलो का था रास्ता अपनो ने काटे बिछा दिए सोचा था कि इस गिरा दुगा लेकिन चलना सीखा दिया ©kgf Kumhar जीवन का परिचय