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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

वास्तव मे "यदि हम इंसान हो कर सोचे, या राजनीति,संम्प्रदाय,धर्म व जाति से ऊपर सोचे तो,,,,,,,, मोदी जी ""वास्तव"मे युग के दर्पण है सोचिए कैस

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HappyBdayPMModi,मित्रों  इतिहास आपके कदम.चुमेगा,हिंदुस्थान आपके कदम चुमेगा
देशभक्त धैर्य संन्यासी,युगो युगो तक मोदी दीप जलेगा,,,,,,, वास्तव मे "यदि हम इंसान हो कर सोचे,
या राजनीति,संम्प्रदाय,धर्म व जाति से ऊपर सोचे तो,,,,,,,,

मोदी जी ""वास्तव"मे युग के दर्पण है

सोचिए कैस

Shekh Azam

#ddlj आजम #शायरी

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Dhanraj Panwar

सहीदे आजम

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लिख रहा हूँ मैं जिसका अंजाम आज, कल उसका आगाज आयेगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लायेगा
मैं रहूँ ना रहूँ, ये वादा है तुझसे मेरा
मेरे बाद वतन पे मिटने वालों का सैलाब आयेगा सहीदे आजम

रघुराम

#scienceday आजम #शायरी

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CK JOHNY

शहीदे आजम भगत सिंह

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शहीद भगत सिंह की धन्य जननी
धन्य धन्य वीर सपूत की जन्मभूमि। 
धन्य है उसका इस धरा पर आना
आके देश की ख़ातिर शहादत चुननी। 
हृदय से नमन देश के वीर सपूत को
धन्य राष्ट्र स्वतंत्रता हेतू उसकी करनी। 
सदियों तक प्रकाश स्तंभ सी उज्जवल 
प्रेरित करेगी जन जन को तेरी जीवनी। 

शहीद भगत सिंह की धन्य जननी
धन्य धन्य वीर सपूत की जन्मभूमि। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
28.09.2020

 शहीदे आजम भगत सिंह

R D

शहीद-ए-आजम #bhagatsingh

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सपने भगत सिंह ने भी देखे थे 
परन्तु उसे तख्त  बदलना था
रक्त उसका भी बहा था
परन्तु उसे वक्त बदलना था

©R D शहीद-ए-आजम

#bhagatsingh

Rajeshwar Madhukar

ऐसे बनी मुगले आजम #फ़िल्म

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chowdhary Ritik Raja

शहीदे आजम भगत सिंह

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⚔warriors⚔

©chowdhary Ritik Raja शहीदे आजम भगत सिंह

Swapnil Gorambekar

ये शहीद-ए-आजम...! #WritersSpecial

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Rp Jhala

शहीद ए आजम सरदार भगतसिंहजी

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मोमबत्तियां बुझ गयी
चिराग तले अँधेरा छाया था
फांसी के फंदे पर जब
तीनों वीरों को झुलाया था
सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरु के
मन को कुछ और न भाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।

तीनों के साथ आज
एक बड़ा सा काफिला था
भारतवर्ष में लगा जैसे
मेला कोई रंगीला था
लेकर जन्म इस पावन धरा पर
उन्होंने अपना फर्ज निभाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।

मौत का उनको डर न था
सीने में जोश जोशीला था
परवाह नहीं थी अपने प्राण की
बसंती रंग का पहना चोला था,
छोड़ मोह माया इस जग की
अपनों को भी भुलाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था।

इंकलाब का नारा लिए
विदा लेने की ठानी थी
लटक गए फांसी पर किन्तु
मुख से उफ्फ तक न निकाली थी,
देश भक्ति को देख तुम्हारी
सबने अश्रुधार बहाया था
हँसते हँसते देश की खातिर
फांसी को गले लगाया था। शहीद ए आजम सरदार भगतसिंहजी
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