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dilkibaatwithamit
White आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं है हँसता हुआ चेहरा है दमकता हुआ पैकर गुज़रा हुआ ये मेरा ज़माना तो नहीं है आँखों ने अभी नींद का दामन नहीं छोड़ा ख़्वाबों से भरोसा अभी टूटा तो नहीं है रस्ते में अमित' उस की तबीअ'त का बिगड़ना घर जाने का इक और बहाना तो नहीं है ©dilkibaatwithamit आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं ह
आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं ह
read moreNaseem Raza
White तुम्हारी याद दिल से जाने नहीं देंगे, तुम्हारे जैसा दोस्त खोने भी नहीं देंगे, रोज़ शराफत से मैसेज किया करो वरना, एक कान के नीचे देंगे और रोने भी नहीं देंगे। 🤗😊 ©Naseem Raza #love_shayari तुम्हारी याद दिल से जाने नहीं देंगे, तुम्हारे जैसा दोस्त खोने भी नहीं देंगे, रोज़ शराफत से मैसेज किया करो वरना, एक कान के नीचे
#love_shayari तुम्हारी याद दिल से जाने नहीं देंगे, तुम्हारे जैसा दोस्त खोने भी नहीं देंगे, रोज़ शराफत से मैसेज किया करो वरना, एक कान के नीचे
read morevksrivastav
White दाग दामन में लगा हो तो छुड़ाओ उसको ज़ख़्म दिल में हुआ अगर तो छुपाओ उसको दोस्ती हो या दुश्मनी ही हो हो गई है तो निभाओ उसको ©vksrivastav दाग दामन में लगा हो तो #Shayari #Love #Life #Quotes #Quotes #vksrivastav
दाग दामन में लगा हो तो #Shayari Love Life #Quotes #Quotes #vksrivastav
read moreबेजुबान शायर shivkumar
देखों बारिश मे वो रंगीन लम्हों को मेरी हर धड़कन में तेरा नाम लिखा है हम दोनों एक साथ उस umbrella के नीचे ये पल है सच्चा , न छूटे हाथ किसी का बस थामे रखना ©बेजुबान शायर shivkumar देखों बारिश मे वो रंगीन लम्हों को मेरी हर धड़कन में तेरा नाम लिखा है हम दोनों एक साथ उस umbrella के नीचे ये पल है सच्चा , न छूटे हाथ किसी क
देखों बारिश मे वो रंगीन लम्हों को मेरी हर धड़कन में तेरा नाम लिखा है हम दोनों एक साथ उस umbrella के नीचे ये पल है सच्चा , न छूटे हाथ किसी क
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है, कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे। टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी, अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे। बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं, मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी। मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका, उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी। ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी, मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे। बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी, राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे। भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं, मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे। नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर, मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे। बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त, और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे। मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया, इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे। दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा, तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे। मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू, उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN #GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क
#GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क
read moreनवनीत ठाकुर
खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो, क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो। ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे, हर चाहत का पूरा होना न कोई इनाम हो। बस सच और मोहब्बत का दामन थाम ले, सफर का यही असली अंजाम हो। ग़म और खुशियों को बराबर समझ लो, हर लम्हा जीने का मुकम्मल मुकाम हो। जो है आज, वही सब कुछ है यार, किसे पता, कल का क्या इंतज़ाम हो। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो, क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो। ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे, हर चाहत का पूरा होना
#नवनीतठाकुर खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो, क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो। ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे, हर चाहत का पूरा होना
read moreBROKENBOY
सारी दुनिया से लड़ सकता हूं , बस एक तुझसे ना लड़ पाऊंगा, तेरे साथ की गई लड़ाई में , जीतने से अच्छा मैं हार जाऊंगा, डर लगता है तुझे खोने से, तेरे दूर होने से, मेरे लबों पर बैठी कविता तू है, तुम ही मेरे जख्मों की दवा भी , तेरे ही दिल के कोने में मिले मुझे बंदगी , भले देता रह सजा ही, जिस ख्याल से यह कलम चले वो किस्सा तूं ही है, जिसके बिना मेरी कहानी और मैं अधूरा हूं, वो हिस्सा तू ही है, दूरियों की मजबूरियों के नीचे हम दोनों की चीखें दबी है, तुझे खोने से बेहतर है हांरूगा हर जंग में, यह कहकर मैं गलत और तू सही है, ©BROKENBOY #UskeHaath सारी दुनिया से लड़ सकता हूं , बस एक तुझसे ना लड़ पाऊंगा, तेरे साथ की गई लड़ाई में , जीतने से अच्छा मैं हार जाऊंगा, डर लगता है त
#UskeHaath सारी दुनिया से लड़ सकता हूं , बस एक तुझसे ना लड़ पाऊंगा, तेरे साथ की गई लड़ाई में , जीतने से अच्छा मैं हार जाऊंगा, डर लगता है त
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था, तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश मे जाके कपड़े सुखाना ही नहीं था//२ किसी कमजर्फ से लगा अपने दिल को,फिर ये सिलसिला तुझे आगे बढ़ाना ही नहीं था//३ जब बढ़ चुके,इश्क़ मे,इश्क़ की हद से आगे,तो फिर तुझे सनम को चश्म से गिराना ही नहीं था//४ अब होके तुझपे निसार,थाम चुके तेरा दामन, के"शमा"का तो बातिल से फ़साना ही नहीं था//५ #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lovelife वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था,तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश
#lovelife वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था,तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित शायरी शीर्षक रिश्तों का शीशमहल विधा शायरीनुमा भाव वास्तविक रिश्तों का शीशमहल कब मकान में बदल गया पता न चला, भावुकता कब ईंट पत
read moreनवनीत ठाकुर
White हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे, जुबां को फलक भर नहीं आती। सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर, पर दुनिया को सहर नहीं आती। दिल की गुंजाईश है बेहिसाब, पर फिज़ा तक असर नहीं जाती। ख्वाब जलते हैं रात की आग में, सुबह उनकी खबर नहीं आती। खुद से भी गुमशुदा हैं ऐसे, जैसे राह कोई नजर नहीं आती। आईने भी सवाल करते हैं अब, पर उनकी सूरत उभर नहीं आती। ©नवनीत ठाकुर #हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे, जुबां को फलक भर नहीं आती। सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर, पर दुनिया को सहर नहीं आती। दिल की गुंजाईश है बेहिस
#हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे, जुबां को फलक भर नहीं आती। सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर, पर दुनिया को सहर नहीं आती। दिल की गुंजाईश है बेहिस
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