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Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]
New Year 2024-25 ["इंसानियत का सवाल"] जो धर्म के नाम पर जंग कराते हैं, एक भाई को दूजे से लड़ाते हैं। अपनी सियासत के खेल में अक्सर, मासूमों का खून बहाते हैं। मगर ये ज़मीं और हवा कहेगी, इंसान का धर्म इंसानियत है। नफरत को मिटाकर, प्यार बोएंगे, यही तो असली इबादत है। ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."] #NewYear2024-25 #["इंसानियत का सवाल"] sad shayari shayari on life
#Newyear2024-25 #["इंसानियत का सवाल"] sad shayari shayari on life
read moreAndy Mann
White मजहबों का हिसाब बाद में कर लेंगे..!! पहले साबित तो करो इंसान हैं हम ©Andy Mann #इंसानियत Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra अदनासा- Rajesh Arora
#इंसानियत Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra अदनासा- Rajesh Arora
read moreAnjali Jain
आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
read moreashita pandey बेबाक़
कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़ #sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार
#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार
read moreनवनीत ठाकुर
ये दौर है या इंसानियत का जनाजा, जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा। सच का चेहरा धुंध में गुम सा है, हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है। मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में, अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में। हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया, सच और झूठ का फर्क मिटा दिया। खून पसीने से जो पहचान बनाई थी, आज उसी पर सौदे की बारी आई थी। वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम, अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम। ©नवनीत ठाकुर #इंसानियत का ज़नाजा
#इंसानियत का ज़नाजा
read moreMohammad Ibraheem Sultan Mirza
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read moreDev
वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।। ©Dev दिल का अहसास
दिल का अहसास
read moreRohan Roy
White हमारी इंसानियत हमारे जीवन की, सबसे बड़ी धरोहर है। यह आज भी हमारे भीतर, बेहतर जीवन की खोज कर रहा है। लेकिन हम स्वयं ही अपने अस्वस्थ विचारों से, अपने बुरे जीवन का निर्माण कर रहे हैं। ©Rohan Roy हमारी इंसानियत हमारे जीवन की, सबसे बड़ी धरोहर है। | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #rohanroymotivation | motivational thoug
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