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Parasram Arora
Unsplash जिंदगी के साथ खेल तो तुमहे खेलना ही पढ़ेगा अब रोकर खेलो या हँस कर खेलो खेल तो तुम्हे हर हाल खेलना ही पढ़ेगा ©Parasram Arora खेल
खेल
read moreManzoor Alam Dehalvi
जिंदगी के खेल भी बड़े अजीब हैं, हर गए तो कप्तान का, जीत गए तो आवाम का। , ©Manzoor Alam Dehalvi #खेल
Mohan Sardarshahari
Unsplash दोस्तों से मुश्किल है हकीकत छुपाना जैसे हवा से अलग रवानी को रखना। जिंदगी के अनुभव बेशक अलग-अलग होंगे मुश्किल नहीं मगर एक दूजे की कहानी समझना। इशारों में समझाना बहुत कर लिया चलो दोस्तों से करते हैं वही व्यवहार बचकाना। यदि कभी कुछ सुनाना पड़े दोस्तों को बस याद उनकी एक-एक शैतानी दिलाना। मिलकर यदि किसी दोस्त से छलक जाए आंसू शाम को उड़ा देना उनको तेरे नाम के पैमाना। देखी होंगी दशकों में कई नायाब इमारतें तूने होना हो रूबरू जवानी से, बार-२ तेरे कॉलेज जरूर जाना।। ©Mohan Sardarshahari # गजल
# गजल
read moreShiv Narayan Saxena
White नयन नायिका से मिले, चैन हुआ बेचैन। मिलन दाह से दिल जले, बिना मिले नहिं चैन।। कहने को है प्यार यह, हार जीत का खेल। हारे जो जीते वही, ऐसा है यह खेल।। जानौ जोख़िम से भरा, हार जीत का खेल। खेलौ खेल हुनरभरा, हॅंसकर जीतो खेल।। 'शौक' अगर है जीत का, सीखो पहले हार। हार - जीत तो खेल का, है अनुपम उपहार।। ©Shiv Narayan Saxena #Couple प्यार: हार-जीत का खेल
#Couple प्यार: हार-जीत का खेल
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
White भाग्य बदल जाता है जब इरादे मजबूत हो.... वरना जीवन बीत जाता है किस्मत को दोष देने में.... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena #GoodMorning भाग्य
#GoodMorning भाग्य
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
भाग्य कोई कहता भाग्य बड़ा है कोई कहता कर्म बुद्धि विवेक हर कोई लगाए समझ न पाए मर्म गीता कहती कर्म करो तो लिख सकते हो भाग्य वर्ना द्वार खुला मन्दिर का अपना लो वैराग्य भाग्य भरोसे जो बैठा है लक्ष्य नहीं वो पाता समय निकल जाता है स्वर्णिम तो पीछे पछताता कहे भाग्य कि मेरे आगे वश न चले किसी का बेखुद जिससे रूठ मै जाती रहता नहीं कहीं का ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #भाग्य
Satish Deshmukh
White वाटले होते मला की वाटिका आहे जिंदगी सारी इथे शोकांतिका आहे शेतमालाची फुकट बोली तुम्ही लावा कास्तकाराला कुठे उपजीविका आहे वाटते वाचून घ्यावे मी तुला आता केवढी सुंदर तुझी अनुक्रमणिका आहे भिमरायाचा उजळ माथा बघितल्यावर वाटतो हा सूर्यही आता फिका आहे बारशाचे एवढे कौतुक नको ना रे जन्म माझा तेरवीची पत्रिका आहे ©Satish Deshmukh गजल
गजल
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