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अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3SIykjYNR #हिंदी #धर्मनिरपेक्षता #मिट्टी #कुल्हड़ #प्राकृतिक #कृतिम #Pinterest Instagr

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"मिट्टी के कुल्हड़ समान वर्तमान धर्मनिरपेक्षता"


वर्तमान भारत में धर्मनिरपेक्षता उस प्राकृतिक मिट्टी के कुल्हड़ के समान है, जो पर्यावरण, कला, रोज़गार हेतु बहुउपयोगी, सेहतमंद एवं लाभप्रद तो है।

परंतु वर्तमान सत्ता की राजनीति विध्वंसक, विनाशक, विद्वेषक एवं समाज के लिए विषैले प्लास्टिक, कांच नुमा, कृत्रिम एवं हानिप्रद तो है, साथ ही बाज़ार में पैठ इतनी है कि, बेचारे कुल्हड़ को सिमीत मात्रा में, यदा-कदा किसी कार्यक्रम के सजावट या जलपान के काम तो आता है, परंतु कार्यक्रम के समापन पश्चात उसे किसी कुडे़दान में फेंक दिया जाता है, अपितु कुड़े में रहकर भी, प्रकृत को बिना कुछ हानि के वह उपजाऊ खाद तो अवश्य बन जाती है, परंतु अंततः उसे लड़ना तो बनावटी थर्माकॉल एवं प्लास्टिक नुमा कृत्रिम राजनीति से ही है।

©अदनासा-  चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3SIykjYNR

#हिंदी #धर्मनिरपेक्षता #मिट्टी #कुल्हड़ #प्राकृतिक #कृतिम #Pinterest #Instagr

theABHAYSINGH_BIPIN

#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

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Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी,
यहाँ अब किसका इंतज़ार है।
रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती,
कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर,
बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है।
जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है,
और सपनों का आकाश साफ़ है।

ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा,
पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है।
शोर में खो जाती है पहचान अपनी,
बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है।

लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है,
ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है।
रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो,
फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है।

शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है,
पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है।
थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को,
क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl

©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife 
अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी,
यहाँ अब किसका इंतज़ार है।
रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती,
कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

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हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।

जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।
जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

बादल सिंह 'कलमगार'

मिट्टी की ये धरती सारी... #badalsinghkalamgar Poetry Love #Hindi Arshad Siddiqui Rudra magdhey Abhijeet Praveen Jain "पल्लव" vimlesh G

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N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} ताश का जोकर और अपनों की, ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं !! गुरुर किस बात का साहब आज मिट्टी के उपर तो

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
ताश का जोकर और अपनों की,
ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं !! 

गुरुर किस बात का साहब 
आज मिट्टी के उपर 
तो कल मिट्टी के निचे !!

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
ताश का जोकर और अपनों की,
ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं !! 

गुरुर किस बात का साहब 
आज मिट्टी के उपर 
तो

नवनीत ठाकुर

#दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकान

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दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा,
आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा।
मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा,
हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।।

वक़्त वक्त की बात है,
जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा।
फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा,
हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा।

जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी,
उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा।
हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है,
इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा।

©नवनीत ठाकुर #दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा,
आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा।
मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा,
हर सफर की मंज़िल यही ठिकान

Kulvant Kumar

पतंग को भी इस बात का गुरूर था कि वो आसमान छू सकती है हाथ से छुटी तो मिट्टी में मिल गई

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पतंग को भी इस बात का गुरूर था कि वो आसमान छू सकती है
हाथ से छुटी तो मिट्टी में मिल गई

©Kulvant Kumar पतंग को भी इस बात का गुरूर था कि वो आसमान छू सकती है
हाथ से छुटी तो मिट्टी में मिल गई

Shivkumar barman

एक उलझी हुई #किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही #गुनाहगार हूं मैं। मुद्दतों से #ढूंढती हूं खुद को, हर लम्हा एक नए #सवाल की बौछार हूं मैं। ज

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एक उलझी हुई किरदार हूं मैं,
शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मैं।
मुद्दतों से ढूंढती हूं खुद को,
हर लम्हा एक नए सवाल की बौछार हूं मैं।

जिंदगी के इस उलझन भरे सफर में,
खुद से कभी दूर, कभी पासगार हूं मैं।
आशा की किरणें हैं बिखरी हुई,
फिर भी गहरे अंधेरों की साजगार हूं मैं।

खुशियों की परतों के नीचे छिपा दर्द,
हर हंसी में छुपा एक गहरा राज हूं मैं।
सोचती हूं, क्या सच्चाई है मेरी?
क्या सिर्फ एक कहानी की किरदार हूं मैं?

एक उलझी हुई किरदार हूं मैं,
शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मै।

©Shivkumar barman एक उलझी हुई #किरदार  हूं मैं,
शायद खुद की ही #गुनाहगार  हूं मैं।
मुद्दतों से #ढूंढती  हूं खुद को,
हर लम्हा एक नए #सवाल  की बौछार हूं मैं।

ज

IG @kavi_neetesh

#CandleLight कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी देशभक्ति कविता देशभक्ति कविताएँ 🇨🇮 जय हिन्द 🇨🇮 *सभी परिव

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neelu

#good_night और यह #बात यहां #मिट्टी के #लिए #नहीं थी

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White सिर्फ मिट्टी का क1म नहीं है
 अपना रक्षण करना 
यह हमारा भी परम कर्तव्य है 
कि हम मिट्टी की रक्षा करे
....
और
 यह बात यहां मिट्टी के लिए नहीं थी

©neelu #good_night  और यह #बात यहां #मिट्टी के #लिए #नहीं थी
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