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Jitesh soni ( Yash )
#Demonetization हाय रे नोटबंदी तूने दिखाई अक्लमंदी अब तक नही चलती थी अठन्नी और चवन्नी अब हजार ,पाँच सौ भी हो गई है बंदी। #नोटबंदी।
Shaikh Alam
चलो भक्तगण आच्छे दिन देखते हैं, उसके भाषण पे भरोसा कर के देखते हैं ! सुना है, नोटबंदी बदली से 15लाख मिलने वाले हैं, ये बात है तो चलो नोट बदल के देखते हैं! नोटबंदी......
Anit kumar kavi
नोटबंदी का कोई प्रभाव नहीं है इस देश में काले धन का भी अभाव नहीं है अजी नोटबंदी तो एक बहाना है इसकी आड़ में काले धन को भी सफेद कर जाना है । नोटबंदी
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
कि,उछलने दो अभी और कुछ सिक्कॊं को... वक़्त आने पर नोटबंदी कर दॆंगे..। - ख़ब्तुल ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 नोटबंदी
natwar singh bhati
Funny movie memes in Hindi अरे बाबा हमें मोदी जी से मिलना है उन्होने मेरे 1000 के नोट 😖 बंद करा दिए उन्हें निकालने के लिए बैंक में गये थे अब सारे नोट गुलाबी बन गए हैं 🌹 गुलाब के फूलों जैसे #नोटबंदी # herapheri
Divyanshu Pathak
कड़ाके की धूप थी अब बारिश आगई लगता है तू मुझे याद कर मुस्कुरा गई ! अब तो राहत की हल्की हवा चली तड़पते आसमान में तू बनके बदली छा गई ! कब ऑफलाइन हुई कब ऑनलाइन आगई !
ranjit Kumar rathour
नोटबंदी ******* नोट बंदी की गई थी काले धन को ख़त्म करने के लिए दुबारा बंद किया जा रहा ये कह कर इससे काला धन बढ़ रहा था क्यो करे कोई आप पर भरोसा अभी अभी तो आपकी सरकार उसी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी है और फिर ये नोट बंदी भी बड़ा गुपचुप तरीके से पिछली बंदी तो शान से की थी लगता अब नजर नही मिला पा रहे है क्यो नही लोग समझे अब आपमे वो बाली बात रही नही या फिर अपने सभी काले खपा लिये और बंद ये सोच कर कर दिया अब जिसकी फसेंगी वो समझे क्योंकि आप इतने नासमझ नही लेकिन अब लोग समझने लगे है डराते हो डर कर भी जवाब लोग अब देने लगे है हा देने लगे है ©ranjit Kumar rathour गुपचुप नोटबंदी
Durgesh Dewan
( नोटबंदी की कहानी अपनी जुबानी) 8 नवंबर की जब आई तारीख थी.. पुराने नोट नहीं चलेंगे यह मोदी की वाणी थी... हुआ फैसला नोटबंदी का हैरान जनता सारी थी.. कई वर्षों बाद आई फिर नोटबंदी की बारी थी. घोर अंधेरा छा गया था बीत गई दिवाली थी... अब काम कैसे हो पाएंगे जो जनता ने ठानी थी... किसी के घर शादी तो किसी की तेरहवीं बाकी थी.. अब बैंकों में नोटे जमा कराने की बारी थी.. घंटों भर लाइनों में खड़ी देखी जनता सारी थी.... किसी का बाप तो किसी का बेटा तो किसी की खड़ी घरवाली थी.. किसी के जेब में भरे हुए तो किसी की जेबे खाली थी.. किसी का नोटे मिल गई तो किसी के पास कंगाली थी.. और किसानों की भी बढ़ती गंभीर समस्या जारी थी.. कैसे बीज ले पाएंगे उनकी यह लाचारी थी... आम जनता की ही नहीं नेताओं की भी आफत भारी थी.. आगामी चुनाव की जो चल रही तैयारी थी.. किसी आपदा से कम नहीं आई ये महामंदी थी... कोई फायदा हुआ नहीं कैसी है नोटबंदी थी.. ©Durgesh Dewan #8नवम्बर #कविता नोटबंदी #Poetry