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Gudia Gupta
मकानों के जंगल में हम कहीं खोते से चले गये ढूंढते किसी अपनों को हम पराये होते से चले गये रात भी अँधेरी ये जंगल भी घने होते चले गये चिराग हाथों में लिये,हम कुछ बुझते से चले गये चेहरे अंधेरों में हमें कुछ अंजाने से नज़र आये चिराग आगे बढ़ाया,अंजाने कुछ हम नज़र आये सीने में अपनों की यादों को हम लेकर चले आये देखकर उनके बदलते रूप,हम बिखरते चले गये हमें बेदर्द कहने वाले आज खुद भी बेदर्द होते चले गये दर्द हमें अपने देकर वे, खुशियां हमारी लेकर चले गये रोते बिलखते कुछ उदासी में ग़मगीन होते चले गये वे देखते-देखते हमें, हमसे ही पार होते चले गये ख़ुदा उनको सदा उनकी ही ख़ुशियों से सवाँरते चले गये हम उनके ग़मों को लेकर,ज़िन्दगी अपनी बिताते चले गये #मकानों#के#जंगल#अपने#होते#पराये#हिंदी#कविता#nojotohindi#Gudiagupta
Rahul Kushwaha
जल, जंगल और जमीन ©Rahul Kushwaha #story जल जंगल और जमीन #कविता
Rishi Tiwari Samajsevi
चलते रहो जीवन के घने जंगलों में, कोई तो रास्ता होगा । ©Rishi Tiwari Samajsevi जीवन के घने जंगल #hills
Usha Dravid Bhatt
कितनी दीवारें उठ गयी हैं एक - एक घर के दरामियां घर कहां गुम हो गये हैं बढ़ती दीवारों के दरमियां । कौन है अब इस शहर में किसकी खोज -खबरी करें , हर कोई गुम हो गया है बेखबर के दरमियां । एक चाहत थी कि सदियों तक सफर करती रहूँ , पर जख्म हम खाते रहे गुजरे लम्हे भर के दरमियां ।। वक्त के साथ बढ़ते कंकरीट के जंगल ।