Find the Latest Status about फैंसी कपड़े from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, फैंसी कपड़े.
Mmm malwinder
दुनिया में लोग ऐसे बदल जाते हैं जैसे अपने तन में लपेटे हुए कपड़े। ©Mmm malwinder कपड़े
कपड़े #Life
read morePankaj R
| मैले कपडे | | मैले कपडे | जापान में एक शहर है ओसाका वंहा शहर के निकट ही एक गाँव में एक विद्वान संत रहा करते थे । एक दिन संत अपने एक अनुयायी के साथ सुबह की सैर कर रहे थे । अचानक ही एक व्यक्ति उनके निकट आया और उन्हें बुरा भला कहने लगा । उसने संत के लिए बहुत सारे अपशब्द कहे लेकिन संत फिर भी मुस्कुराते हुए चलते रहे । उस व्यक्ति ने देखा कि संत पर कोई असर नहीं हुआ तो वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उनके पूर्वजो तक को गालियाँ देने लगा । संत फिर भी मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते रहे और संत पर कोई असर नहीं होते देख वो व्यक्ति निराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया । उस व्यक्ति के जाते ही संत के अनुयायी ने उस संत से पूछा कि अपने उस दुष्ट की बातों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया वो बोलता रहा और आप मुस्कुराते रहे क्या आपको उसकी बातों से जरा भी कष्ट नहीं हुआ । संत कुछ नहीं बोले और अपने अनुयायी को अपने पीछे आने का इशारा किया । कुछ देर चलने के बाद वो दोनों संत के कक्ष तक पहुँच गये । उस से संत बोले तुम यही रुको मैं अंदर से अभी आया । कुछ देर बाद संत अपने कमरे से निकले तो उनके हाथों में कुछ मैले कपडे थे उन्होंने बाहर आकर उस अनुयायी से कहा ” ये लो तुम अपने कपडे उतारकर ये कपडे धारण कर लों इस पर उस व्यक्ति ने देखा कि उन कपड़ों में बड़ी तेज अजीब सी दुर्गन्ध आ रही थी इस पर उसने हाथ में लेते ही उन कपड़ों को दूर फेंक दिया ।” संत बोले अब समझे जब कोई तुमसे बिना मतलब के बुरा भला कहता है तो तुम क्रोधित होकर उसके फेंके हुए अपशब्द धारण करते हो अपने साफ़ सुथरे कपड़ो की जगह । इसलिए जिस तरह तुम अपने साफ सुथरे कपड़ों की जगह ये मैले कपडे धारण नहीं कर सकते उसी तरह मैं भी उस आदमी में फेंके हुए अपशब्दों को कैसे धारण करता यही वजह थी कि मुझे उसकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा । ©Pankaj R मैंने कपड़े
मैंने कपड़े #कामुकता
read moreKrishna Kumar
| मैले कपडे | | मैले कपडे | जापान में एक शहर है ओसाका वंहा शहर के निकट ही एक गाँव में एक विद्वान संत रहा करते थे । एक दिन संत अपने एक अनुयायी के साथ सुबह की सैर कर रहे थे । अचानक ही एक व्यक्ति उनके निकट आया और उन्हें बुरा भला कहने लगा । उसने संत के लिए बहुत सारे अपशब्द कहे लेकिन संत फिर भी मुस्कुराते हुए चलते रहे । उस व्यक्ति ने देखा कि संत पर कोई असर नहीं हुआ तो वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उनके पूर्वजो तक को गालियाँ देने लगा । संत फिर भी मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते रहे और संत पर कोई असर नहीं होते देख वो व्यक्ति निराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया । उस व्यक्ति के जाते ही संत के अनुयायी ने उस संत से पूछा कि अपने उस दुष्ट की बातों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया वो बोलता रहा और आप मुस्कुराते रहे क्या आपको उसकी बातों से जरा भी कष्ट नहीं हुआ । संत कुछ नहीं बोले और अपने अनुयायी को अपने पीछे आने का इशारा किया । कुछ देर चलने के बाद वो दोनों संत के कक्ष तक पहुँच गये । उस से संत बोले तुम यही रुको मैं अंदर से अभी आया । कुछ देर बाद संत अपने कमरे से निकले तो उनके हाथों में कुछ मैले कपडे थे उन्होंने बाहर आकर उस अनुयायी से कहा ” ये लो तुम अपने कपडे उतारकर ये कपडे धारण कर लों इस पर उस व्यक्ति ने देखा कि उन कपड़ों में बड़ी तेज अजीब सी दुर्गन्ध आ रही थी इस पर उसने हाथ में लेते ही उन कपड़ों को दूर फेंक दिया ।” संत बोले अब समझे जब कोई तुमसे बिना मतलब के बुरा भला कहता है तो तुम क्रोधित होकर उसके फेंके हुए अपशब्द धारण करते हो अपने साफ़ सुथरे कपड़ो की जगह । इसलिए जिस तरह तुम अपने साफ सुथरे कपड़ों की जगह ये मैले कपडे धारण नहीं कर सकते उसी तरह मैं भी उस आदमी में फेंके हुए अपशब्दों को कैसे धारण करता यही वजह थी कि मुझे उसकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा । ©Krishna Kumar मैंने कपड़े
मैंने कपड़े #कामुकता
read more