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ATUL_NISHABD
White पत्थर दुनियां हैं सजना मैं नहीं, मैं तेरी इक नज़र चाहता हूँ,कुछ और नहीं, तूने खाएं हैं धोखे पर मेरे दिल में वफ़ा हैं, गर तू सोचे मैंने देना तुझे दगा हैं "तो" ना सजना ना सजना ये मुझसे होना नहीं ।। ©ATUL_NISHABD #love_shayari shayari on love hindi shayari 2 line love shayari in english most romantic love shayari in hindi for boyfriend Jyotilata Pari
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read moreParasram Arora
White ओशो का यह नया. मनुष्य ,'ज़ोरबा.दीं बुद्धा " एक ऐसा मनुष्य हैँ जो ज़ोरबा की भांति भौतिक जीवन का पूराआनंद मनाना जानता हैँ और जो गौतम बुद्ध की तरह मौन होकर ध्यान मे उतरनें मेभी. सक्षम हैँ और जो भौतिक व आद्यात्मिक दोनों तरह से समृद्ध हैँ ज़ोरबा दू बुद्धा एक समग्र व अविभाजित मनुष्य हैँ ओशो का ये नया मनुष्य भविष्य के लिए एक मात्र आशा हैँ और उसके बिना पृत्वी का कोई भविष्य शेष नहीं हैँ ©Parasram Arora ज़ोरबा दि बुद्धा ( osho)
ज़ोरबा दि बुद्धा ( osho)
read moreबेजुबान शायर shivkumar
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं ईश्वर ने खुद को बनाया है एक ख्याल उनके मन में आया है अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है जिसका नाम माँ बतलाया है समंदर से गहरी ममता का होती है उठते तूफान को शांत वो करती है न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है वक्त बदल जाए हालात बदल जाए पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है जब मांँ की आवाज कानों में आती है सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है घर से निकल कर सर को झुका देते है मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं बचपन में हो या हो बड़े आज भी मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है मांँ तेरी उस गोद में आ कर धनंजय शुक्ला✍ ©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
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