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कमलेश मिश्र
*कालिदास* उसी डाल को काट रहे हैं,देखो बैठे कालिदास। जिनसे विश्व लगाए बैठा, है सेवा की पूरी आस। माता पिता बड़ा करते हैं, जिन्हें काटकर अपना पेट। जिनके द्वारा बने हुए हैं, आज पुत्रगण भारी सेठ। उनकी जरा अवस्था में भी,नहीं लगाते उनको पास। उसी डाल को काट-----। जिन्हें पिता ने ऋण लेकर भी,अच्छी शिक्षा दिलवाई। वक्त पड़ा तो भूल गए सब,पीठ उन्होंने दिखलाई। बूढ़े बापू को मिलता है, अपने बच्चों से ही त्रास। उसी डाल को काट-----। मातृ पितृ ऋण चुका न पाए,देवों का आभार नहीं। वे समाज को क्या देंगे,जिन्हें परिवारों से प्यार नहीं। बीवी बच्चों से बढ़कर उन्हें,कुछ भी दिखता नहीं खास। उसी डाल को काट ------। सेवा के हित करें नौकरी, सेवकपन का नाम नहीं। बिन रिश्वत के होता अब, दफ्तर में कोई काम नहीं। मलिक जैसा रौब दिखाते, बतलाते अपने को दास। उसी डाल को काट-----। जनता के सेवक बनकर जो,हाथ जोड़कर मांगें वोट। मालिक बन जाने पर उनके,गद्दों में भी निकलें नोट। अपनी जेबें भरते उनसे, नहीं देश को कोई आस। उसी डाल को काट-----। उसी डाल को काट रहे हैं देखो बैठे कालिदास।। ©कमलेश मिश्र महाकवि कालिदास.....
रिंकी✍️
पप्पू पास हो गया 👇 कविता अनुशीर्षक में पढ़े नोवी कक्षा में नौ बार फेल होने के बाद सब बदहवास हो गए इस बार न जाने कैसे पप्पू पास हो गया खबर सुनते ही सारे देखते रहे उसे नैन फाड़े अपने
Divyanshu Pathak
महावीर ने कहा कि जीव भारी होता है प्रणतिपात से, हिंसा करने से। जीव भारी होता है हिंसा की स्मृति से। हिंसा की स्मृति ही वास्तविक हिंसा है। क्रियमाण हिंसा उतनी बड़ी नहीं है। हिंसा के संस्कार की स्मृति बड़ी हिंसा है। वही हमें भारी बनाती है। हमारी हिंसा उस स्मृति को और भारी बना देती है। यदि मन में हिंसा का संस्कार न हो और हिंसा का संस्कार स्मृति रूप में जाग्रत न हो तो वर्तमान की हिंसा संभव ही नहीं है। जो भी वर्तमान में हिंसा कर रहा है, उसके मन में हिंसा का संस्कार है। उस हिंसा के संस्कार की स्मृति जाग्रत हो रही है। अत: हिंसा का मूल वर्तमान घटना से ज्यादा हिंसा की स्मृति है। घटना तो परिणाम है। #महावीर_जयंती की सभी देश वासियों को शुभकामनाएं। #21_दिन_का_लॉक_डाउन के साथ आज हम सब corona से जूझ रहे है।एक उम्मीद है कि एक दिन इसे ख़त्म कर
pooja d
डोहात दगड पडला तरी तरंग उठले नाही। शांत झाला जीव, तरी अजून वादळ उठले नाही।। शुभ सकाळ मित्र आणि मैत्रिणींनो कसे आहात? आताचा विषय आहे अजून वादळ उठले नाही... #अजूनवादळउठलेनाही चला तर मग लिहूया. #collab #yqtaai #स्वरचित
Amit tiwari
वो कश्मीर हमारा है....!! (कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) जहां हुआ करती थी जन्नत वो कश्मीर हमारा है, जिसे ऋषि कश्यप का नाम मिला है वो कश्मीर हमारा है, जहां वागभट्ट का आयुर्वेद है वो कश्मीर हमारा है,
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} समस्त महापुराणों में 'ब्रह्माण्ड पुराण' अन्तिम पुराण होते हुए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समस्त ब्रह्माण्ड का सांगोपांग वर्णन इसमें प्राप्त होने के कारण ही इसे यह नाम दिया गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से इस पुराण का विशेष महत्त्व है। विद्वानों ने 'ब्रह्माण्ड पुराण' को वेदों के समान माना है। छन्द शास्त्र की दृष्टि से भी यह उच्च कोटि का पुराण है। इस पुराण में वैदर्भी शैली का जगह-जगह प्रयोग हुआ है। उस शैली का प्रभाव प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास की रचनाओं में देखा जा सकता है। यह पुराण 'पूर्व', 'मध्य' और 'उत्तर'- तीन भागों में विभक्त है। पूर्व भाग में प्रक्रिया और अनुषंग नामक दो पाद हैं। मध्य भाग उपोद्घात पाद के रूप में है जबकि उत्तर भाग उपसंहार पाद प्रस्तुत करता है। इस पुराण में लगभग बारह हज़ार श्लोक और एक सौ छप्पन अध्याय हैं। पूर्व भाग :- पूर्व भाग में मुख्य रूप से नैमिषीयोपाख्यान, हिरण्यगर्भ-प्रादुर्भाव, देव-ऋषि की सृष्टि, कल्प, मन्वन्तर तथा कृतयुगादि के परिणाम, रुद्र सर्ग, अग्नि सर्ग, दक्ष तथा शंकर का परस्पर आरोप-प्रत्यारोप और शाप, प्रियव्रत वंश, भुवनकोश, गंगावतरण तथा खगोल वर्णन में सूर्य आदि ग्रहों, नक्षत्रों, ताराओं एवं आकाशीय पिण्डों का विस्तार से विवेचन किया गया है। इस भाग में समुद्र मंथन, विष्णु द्वारा लिंगोत्पत्ति आख्यान, मन्त्रों के विविध भेद, वेद की शाखाएं और मन्वन्तरोपाख्यान का उल्लेख भी किया गया है। मध्य भाग :- मध्य भाग में श्राद्ध और पिण्ड दान सम्बन्धी विषयों का विस्तार के साथ वर्णन है। साथ ही परशुराम चरित्र की विस्तृत कथा, राजा सगर की वंश परम्परा, भगीरथ द्वारा गंगा की उपासना, शिवोपासना, गंगा को पृथ्वी पर लाने का व्यापक प्रसंग तथा सूर्य एवं चन्द्र वंश के राजाओं का चरित्र वर्णन प्राप्त होता है। उत्तर भाग :- उत्तर भाग में भावी मन्वन्तरों का विवेचन, त्रिपुर सुन्दरी के प्रसिद्ध आख्यान जिसे 'ललितोपाख्यान' कहा जाता है, का वर्णन, भंडासुर उद्भव कथा और उसके वंश के विनाश का वृत्तान्त आदि हैं। 'ब्रह्माण्ड पुराण' और 'वायु पुराण' में अत्यधिक समानता प्राप्त होती है। इसलिए 'वायु पुराण' को महापुराणों में स्थान प्राप्त नहीं है। 'ब्रह्माण्ड पुराण' का उपदेष्टा प्रजापति ब्रह्मा को माना जाता है। इस पुराण को पाप नाशक, पुण्य प्रदान करने वाला और सर्वाधिक पवित्र माना गया है। यह यश, आयु और श्रीवृद्धि करने वाला पुराण है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, पूजा-उपासना और ज्ञान-विज्ञान की महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है। इस पुराण के प्रारम्भ में बताया गया है कि गुरु अपना श्रेष्ठ ज्ञान सर्वप्रथम अपने सबसे योग्य शिष्य को देता है। यथा-ब्रह्मा ने यह ज्ञान वसिष्ठ को, वसिष्ठ ने अपने पौत्र पराशर को, पराशर ने जातुकर्ण्य ऋषि को, जातुकर्ण्य ने द्वैपायन को, द्वैपायन ऋषि ने इस पुराण को ज्ञान अपने पांच शिष्यों- जैमिनि, सुमन्तु, वैशम्पायन, पेलव और लोमहर्षण को दिया। लोमहर्षण सूत जी ने इसे भगवान वेदव्यास से सुना। फिर नैमिषारण्य में एकत्रित ऋषि-मुनियों को सूत जी ने इस पुराण की कथा सुनाई। पुराणों के विविध पांचों लक्षण 'ब्रह्माण्ड पुराण' में उपलब्ध होते हैं। कहा जाता है कि इस पुराण का प्रतिपाद्य विषय प्राचीन भारतीय ऋषि जावा द्वीप वर्तमान में इण्डोनेशिया लेकर गए थे। इस पुराण का अनुवाद वहां के प्राचीन कवि-भाषा में किया गया था जो आज भी उपलब्ध है। 'ब्रह्माण्ड पुराण' में भारतवर्ष का वर्णन करते हुए पुराणकार इसे 'कर्मभूमि' कहकर सम्बोधित करता है। यह कर्मभूमि भागीरथी गंगा के उद्गम स्थल से कन्याकुमारी तक फैली हुई है, जिसका विस्तार नौ हज़ार योजन का है। इसके पूर्व में किरात जाति और पश्चिम में म्लेच्छ यवनों का वास है। मध्य भाग में चारों वर्णों के लोग रहते हैं। इसके सात पर्वत हैं। गंगा, सिन्धु, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी आदि सैकड़ों पावन नदियां हैं। यह देश कुरु, पांचाल, कलिंग, मगध, शाल्व, कौशल, केरल, सौराष्ट्र आदि अनेकानेक जनपदों में विभाजित है। यह आर्यों की ऋषिभूमि है। काल गणना का भी इस पुराण में उल्लेख है। इसके अलावा चारों युगों का वर्णन भी इसमें किया गया है। इसके पश्चात परशुराम अवतार की कथा विस्तार से दी गई है। राजवंशों का वर्णन भी अत्यन्त रोचक है। राजाओं के गुणों-अवगुणों का निष्पक्ष रूप से विवेचन किया गया है। राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव का चरित्र दृढ़ संकल्प और घोर संघर्ष द्वारा सफलता प्राप्त करने का दिग्दर्शन कराता है। गंगावतरण की कथा श्रम और विजय की अनुपम गाथा है। कश्यप, पुलस्त्य, अत्रि, पराशर आदि ऋषियों का प्रसंग भी अत्यन्त रोचक है। विश्वामित्र और वसिष्ठ के उपाख्यान काफ़ी रोचक तथा शिक्षाप्रद हैं। (राव साहब एन एस यादव) 'ब्रह्माण्ड पुराण' में चोरी करने को महापाप बताया गया है। ©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} समस्त महापुराणों में 'ब्रह्माण्ड पुराण' अन्तिम पुराण होते हुए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समस्त ब्रह्माण्ड का
motivation
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ नमः शिवाय:- सबसे लोकप्रिय हिन्दू मन्त्रों में से एक है और शैव सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मन्त्र है। नमः शिवाय का अर्थ "भगवान शिव को नमस्कार" या "उस मंगलकारी को प्रणाम!" है। इसे शिव पञ्चाक्षर मन्त्र या पञ्चाक्षर मन्त्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ "पाँच-अक्षर" मन्त्र (ॐ को छोड़ कर) है। अवगुण नाव की पेंदी में एक छेद के समान है, जो चाहे छोटा हो या बड़ा एक दिन उसे डुबा दे्गा। - कालिदास जब चलना ही है अपने पैरों पर तो क्यों भरोसा करें गैरों पर ,अपनी गाडी का स्टीयरिंग अपने हाथ ,आप अपनी गाडी को जितनी सावधानी सफाई से चलाएंगे ,दूसरा नहीं ....' 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ नमः शिवाय:- सबसे लोकप्रिय हिन्दू मन्त्रों में से एक है और शैव सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मन्त्र है। नमः शिवाय का अर्थ "भगवान शिव को नमस्कार"
Vikas Sharma Shivaaya'
शनि सामान्य मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः। हनुमान अष्टदशाक्षर मंत्र: नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा. दान-पुण्य केवल परलोक में सुख देता है पर योग्य संतान सेवा द्वारा इहलोक और तर्पण द्वारा परलोक दोनों में सुख देती है। - कालिदास रोज हर पल खुद को पढ़ता हूँ -फिर अपने आप को सतगुरु के हवाले छोड़ देता हूँ ..., रोज सुबह एक पन्ना जिंदगी का खोलता हूँ और रात होते ही अगले पन्ने को कल के लिए मोड़ देता हूँ ...! 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शनि सामान्य मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः। हनुमान अष्टदशाक्षर मंत्र: नमो भगवते आन्जनेयाये महाबलाये स्वाहा. दान-पुण्य केवल परलोक में सुख देता