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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
New Year 2024-25 कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 _______________________ हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024 जाते जाते कितनों के आंँखें कर गए नम माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024 भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 कपकपाती काया के रूह से पूछो- जाते जाते कितने को दर्द दे गए सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024 (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश ३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
read moreलेखक 01Chauhan1
पहली मोहब्बत की वो बातें..... हम तुम जब मिले थे पहली बार याद है हमें वो है एक पुरानी बात छुप-छुपकर तुम्हें देखना वो हसीन ख्वाब वो पास हो कर भी दुर थे कितनी हसीन भी वो पहली मुलाक़ात कहने से हम भी थोड़े थे हिचकिचाते उसे खोने से हम भी तो डर जाते दिल को हमने अब तक है संभले पहली मोहब्बत की वो बातें..... नजरें मिलते-जुलते थे हम दोनों के आस-पास बैठ जाते हम भी कभी जाके दोनों का मिलने-जुलने का ही वक्त होता था हमें देख कर वो पलकें झुकाए करते थे कई सालों तक हम दोनों साथ-साथ रहें उस के नाम हमने हरके पन्ने पर लिखें उस के लिखें नाम आज भी मौजूद है वो पेड़ अब तक कटे नहीं है पहली मोहब्बत की वो बातें.... मैंने उसे फिर से खोजना चाहा पा लूं एक बार उस की झलक इतना चाहा सब जगह तलाश की उस की मौजूदगी फिर एक दिन मिली उस की सहेली हमें वो शायद पहचान नहीं पाई उस के भाई के साथ हमने कभी वक्त बिताई नाम ही केवल याद है जो फिर मिलेंगे नहीं पहली मोहब्बत की वो बातें...... ©लेखक 01Chauhan1 मेरी कलम
मेरी कलम
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
read moreअनिल कसेर "उजाला"
Unsplash कलम की बात निराली है, तंगहाल में भी दिवाली है। धन-दौलत से क्या करना, ग़मों को करती खाली है। सुख से जो हैं सूख जाते, लाती उनमें हरियाली है। भूली-बिसरी यादों की ये, करती सदा रखवाली है। दुख-दर्द की फसल काट के, जीवन में भरती ख़ुशहाली है। ©अनिल कसेर "उजाला" #Book कलम
#Book कलम
read moreGhumnam Gautam
कभी ये नाव जैसी हैं, कभी पतवार जैसी हैं किनारा हैं कभी ये और कभी मझधार जैसी हैं इन्हें बस खेलने का तुम कोई सामान मत समझो कलम-सी लड़कियाँ ये सब खुली तलवार जैसी हैं ©Ghumnam Gautam #लड़कियाँ #कलम #तलवार #ghumnamgautam
#लड़कियाँ #कलम #तलवार #ghumnamgautam
read more- Arun Aarya
इतनी बड़ी गुस्ताखी कैसे करें , मोहब्बत में हम चालाकी कैसे करें ! तुम्हें मान चुके हैं हमसफ़र अपना ,, तो अब घर के पसंद से शादी कैसे करें..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #heartout #कैसे करें
Ghumnam Gautam
White कलम प्यारी है मुझको, आपको शमशीर प्यारी है कि जिसकी जैसी है उसको वही जागीर प्यारी है मिली 'ऊले' पे इतनी वाह, मैं "सानी" न कह पाया वो ऊला था फ़कत इतना कि ये तस्वीर प्यारी है ©Ghumnam Gautam #good_night #कलम #शमशीर #ghumnamgautam
#good_night #कलम #शमशीर #ghumnamgautam
read moreहिमांशु Kulshreshtha
कैसे सँवार लूं आज फ़िर अपने लम्हों को मैं, महज़ तसव्वुर करते ही तुम्हारे साथ गुज़रा हर मंज़र याद आता है…!!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha कैसे...
कैसे...
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