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Gunjan Agarwal

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सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

#nojotoapp #nojotohindi #decemberchallenge #day14 #Poetry मृदुवात-कोमल हवा, गुंजित स्पन्दंन - गुंजन युक्त धड़कन, रजत सपनो- सुखपुर्ण कल्पना,

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प्यार का एहसास   वो अकस्मात् नैनो का मिलना,
जैसे व्यग्र मन में मृदुवात का आना, 
वो तेरे दरस मात्र से हृदय में,
गुंजित स्पन्दंन का बढ़ना, 
रजत सपनो में पुलक चाँदनी का खुमार सा छा जाना, 
जैसे हृदय के तम पुंज में ललिततम्-आलोक का जलना, 
शायद वही है मेरे प्रीत का अहसास पहला। #nojotoApp #nojotohindi #Decemberchallenge #Day14 #poetry मृदुवात-कोमल हवा,  गुंजित स्पन्दंन - गुंजन युक्त धड़कन, रजत सपनो- सुखपुर्ण कल्पना,

Pnkj Dixit

सुप्रभात 🚩🇮🇳 रवि पूर्वांचल से करे,अंधकार का नाश। महादेव के नाम से,गुंजित भू आकाश।। ०२/०३/२०२२ 🌷👰💓💝 ...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’ कविता दोहा हिंद

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सुप्रभात 🚩🇮🇳
रवि पूर्वांचल से करे,अंधकार का नाश।
महादेव के नाम से,गुंजित भू आकाश।।
०२/०३/२०२२
🌷👰💓💝
...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’

©Pnkj Dixit सुप्रभात 🚩🇮🇳
रवि पूर्वांचल से करे,अंधकार का नाश।
महादेव के नाम से,गुंजित भू आकाश।।
०२/०३/२०२२
🌷👰💓💝
...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’
#कविता #दोहा #हिंद

Sanjay Sharma Saras

*कवित्त* निज मन की पीड़ाएँ जब भी आकुल व्याकुल हो जाती हैं अन्तस् की पीर पराई होने को जब जब अकुलाती है भीतर के चक्षु-कलश मेरे, करते जब जब अभिष

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 *कवित्त*
निज मन की पीड़ाएँ जब भी आकुल व्याकुल हो जाती हैं
अन्तस् की पीर पराई होने को जब जब अकुलाती है
भीतर के चक्षु-कलश मेरे, करते जब जब अभिष

Prakhar Kushwaha 'Dear'

कोपल, कलियाँ खिली कनक सी, हरियाली चहुं दिश छायी है, गुंजित भंवरा, पीली घरती, बयार बसंती आयी है। सूरज की किरणों संग तितली, करतब करती फूलों प

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बयार बसंती आयी है...

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 कोपल, कलियाँ खिली कनक सी,
हरियाली चहुं दिश छायी है,
गुंजित भंवरा, पीली घरती,
बयार बसंती आयी है।

सूरज की किरणों संग तितली,
करतब करती फूलों प

Richa Mishra

आप हो सुख - दुःख की संगिनी प्रिय । एक बेटी हो , एक भार्या हो हो कुशल एक गृहणी वनिता ! सादगी से परिपूर्ण हो तुम राजसी कन्या जैसी ! शान्त प्र #प्रतीक्षामें #प्रतीक्षा_में_तुम्हारी #बहू_का_घर #बहू_भी_बेटी_है #बहूनहीबेटी

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|| प्रतीक्षा में ||

मध्य में हो विराजित 
मध्यमा और कनिष्ठा के !
नाम से ही विदित होता 
आपके नारीत्व का धर्म !
आप हो प्रेणता सदन की 
हो अद्भुत खेल स्पर्धा में !
विजय परचम की 
अधिकारी हो तुम ;
हो घर का शक्ति और अभिमान !

• पढ़े अनुशीर्षक में •



 आप हो सुख - दुःख की संगिनी प्रिय ।
एक बेटी हो , एक भार्या हो
हो कुशल एक गृहणी वनिता !

सादगी से परिपूर्ण हो तुम
राजसी कन्या जैसी !
शान्त प्र
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