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ãñübhãv patel
कुछ लोग अपनी गर्लफ्रेंड के बारे मे बोलते हैं कि भैया मेरी वाली तो अलग है भैया अंडे देती है क्या कुछ लोग अपनी गर्लफ्रेंड के बारे मे बोलते हैं कि भैया मेरी वाली तो अलग है भैया अंडे देती है क्या
Vijay Tyagi
मैं वो नहीं था जो अब हो गया हूंँ परछाई में अपनी ही खो गया हूंँ भावनाओं के उद्वेग में स्थिर ठहर चंचलता को छोड़ चादर ओढ़ गंभीरता की सो गया हूँ.. कुछ देर पहले मैं वो नहीं था जो अब हो गया हूंँ.. कईं बार कुछ बात गहरी चोट देकर भविष्य के व्यवहार को हीबदल देती है...... क्या क्या घट जाता है थोड़ी सी देर में लेकिन हमारा ध्यान उस पर जाता ही
Deepak Mubarakpuri
writer of India ©D.K. Sayar Multiple articles नमस्कार दोस्तो #गुनाहों_की_सजा भाग 22 आज इस कविता के माध्यम से यह धारावाहिक एक नई मोड़ पर आती है। और इस भाग में आपको यह बताया गया है की उस
Deepti Garg
तेरी एक चुप्पी मेरी जान ले लेती है। ना जीने देती है ना मरने देती है। हर वक्त सोचने पर मजबूर कर देती है। क्या हुआ क्या नहीं हुआ परेशान कर देती। पूरी रचना कैप्शन में पड़े 👇👇👇👇👇👇 ©Deepti Garg #तेरी एक चुप्पी मेरी जान ले लेती है। ना जीने देती है ना मरने देती है। हर वक्त सोचने पर मजबूर कर देती है। क्या हुआ क्या नहीं हुआ परेशान कर
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** तेरा पता *** " क्या तु अब भी मेरे जस में शामिल हैं , हवाओं की सरसराहट तेरा पता दे रही , शायद तु भुल चुकी हैं अब मुझको , फिर कोई नाम तेरे नाम का पता दे रही , भुलाते क्या क्या याद राखा करें तेरी बातें , किसी के जस्न क्या शामिल हूं अब मैं , किसी के आरज़ू बहाने ये तेरी दवा देती है , क्या तु अब भी मेरे जस में शामिल हैं , किसी और शक्श के बहाने एक याद देती है , रुख करु तो करु तो किस का अब मैं , किसी के नाम बहाने तेरे नाम का पता देती हैं , यू भूलाना आसान नहीं तुझको , हवाओं की सरसराहट तेरा पता दे रही , किसी और के बहाने तेरा ग़म कितना मज़ा देती हैं ." --- रबिन्द्र राम *** कविता *** *** तेरा पता *** " क्या तु अब भी मेरे जस में शामिल हैं , हवाओं की सरसराहट तेरा पता दे रही , शायद तु भुल चुकी हैं अब मुझको
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** तेरा पता *** " क्या तु अब भी मेरे जस में शामिल हैं , हवाओं की सरसराहट तेरा पता दे रही , शायद तु भुल चुकी हैं अब मुझको , फिर कोई नाम तेरे नाम का पता दे रही , भुलाते क्या क्या याद राखा करें तेरी बातें , किसी के जस्न क्या शामिल हूं अब मैं , किसी के आरज़ू बहाने ये तेरी दवा देती है , क्या तु अब भी मेरे जस में शामिल हैं , किसी और शक्श के बहाने एक याद देती है , रुख करु तो करु तो किस का अब मैं , किसी के नाम बहाने तेरे नाम का पता देती हैं , यू भूलाना आसान नहीं तुझको , हवाओं की सरसराहट तेरा पता दे रही , किसी और के बहाने तेरा ग़म कितना मज़ा देती हैं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** *** तेरा पता *** " क्या तु अब भी मेरे जस में शामिल हैं , हवाओं की सरसराहट तेरा पता दे रही , शायद तु भुल चुकी हैं अब मुझको
PawanRajaG
🔸The Poem: आस में विश्वास है♥️✨ ज़िंदगी कभी टुकड़ो टुकड़ो में बड़ा ही तोड़ देती है क्या चल रहा है जीवन मे यह सोचने का नया मोड़ देती है✨ कहे क्या और किससे बोले भला कौन यहाँ समझता है इस पत्थर की दुनिया मे बस दिखावा ही बिकता है✨ हकीकत इस जहाँ की ऐसी बड़ा हताश कर देती है कितना जोश भरता है कोई मन मे उसे भी यह निराश कर देती है न जाने कितनी जिंदगियां हर रोज़ यू ही कुर्बान होती है कोई बेचता है भावनाओ को तो कहीं जवानी नीलाम होती है जिस पर बीतती है बस वही जानता है बाकी तो कौन यहाँ किसे पहचानता है सबको लगता है,की हँसने वाले बहुत ही ज़्यादा खुश होते है पर कहा वे जानते है अकेले में छिपकर कितना ये रोते है मुस्कुराहट तो होंठो की ,बस पर्दा है कुछ ज़िंदगी के जख्म उससे छिप जाते है किसी दिन खोलेंगे किताब अपनी पर ज़ख्म फिर हरे हो जाते है जीवन का सफर है कुछ ऐसा ही पर हाथ धरे बैठ नही सकते रोती है आंखे तो बहने दो आँसू कभी मगर हौंसला हम छोड़ नही सकते हालात क्या है , कुछ भी तो नही बादल है यह ,इन्हें तो हटना होगा हम भानु ,भास्कर, आफताब है भला हमे तो हर दिन जलना होगा🔥 परिस्थितियों ने चाहे बहुत हमे तोड़ा हैं लगता है कभी की,कहीं का नही छोड़ा है ऐसे खतरनाक मोड़ो पर भी जीवन के इस पीड़ा को हमे सहना होगा अपने मात पितु ,गुरुवर की खातिर दर्द के कड़वे घूँट भी हमको पीना होगा लाचार ज़िंदगी मे हल कोई होता नही आशावादी के लिये तो अमृत, खुद हलाहल हो जाता है अगर समर्पण हो सन्कल्प में मीरा जैसा तो जीवन भी अवश्य सफल हो जाता है✨ अवश्य सफल हो जाता है✨ 🔥Never Give up🔥 😊👈 ©PawanRajaG 🔸The Poem: आस में विश्वास है♥️✨ ज़िंदगी कभी टुकड़ो टुकड़ो में बड़ा ही तोड़ देती है क्या चल रहा है जीवन मे यह सोचने का नया मोड़ देती है✨
Amar Anand
-परम सत्य योगपथ- ध्यान योग - विशेष नीचे कैप्शन में ध्यान में आसपास की आवाजें बाधा देती है, क्या करें? कुछ मित्र मुझे आकर कहते हैं कि हमें सब आवाजें सुनाई पड़ती है। यह कब बंद होगी?यह कभी बंद न
AK__Alfaaz..
क्या तुम्हें ज्ञात है..? पुरुष के पुरुषार्थ से परे एक स्त्री का स्त्रीत्व..? धर्म,जगत और भय के बंधन से मुक्त.. एक स्त्री को.. उसके दृढ़ संकल्पित सतीत्व की योग साधना मे लीन.. क्या संभाल सकते हो..? एक स्त्री के जैसे.. भूमि सा हृदय लिए.. अपार अनंत दुःखद भाव को स्वयं मे समेटे.. क्या तुम्हें ज्ञात हैं..? एक स्त्री का अपनी ही इच्छाओं पर नियंत्रण रख.. बहती नदी के जैसे.. यकायक बाँध पर आकर रूक जाने की व्यथा.. हिलोरें लेती अश्रु धाराओं को.. नैनों के प्यालों मे रखकर पी जाने की कला.. एक स्त्री का श्वाँस के लिए भी.. श्वाँस की फुर्सत लिए बिना.. कभी गौर किया है तुमने..? अपने अपनों की खातिर जीवन पर्यन्त निःश्वाँस ही जीना.. सादर प्रणाम..🙏 पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे हमारी यह रचना एक अत्यंत उत्कृष्ट आदरणीय हिन्दी लेखिका #निर्मला_पुतुल_जी द्वारा रचित एक अद्भुत अद्विती