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Tulsidas Kavi
बंदउँ संत समान चित हित अनहित नहिं कोइ। अंजलि गत सुभ सुमन जिमि सम सुगंध कर दोइ।। संत सरल चित जगत हित जानि सुभाउ सनेहु। बालबिनय सुनि करि कृपा राम चरन रति देहु।। #दोहा #रामचरितमानस #तुलसीदास
HintsOfHeart.
"रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्।"¹ ( सर्वव्यापक, देवताओं के गुरू, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, हरि, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की मैं वंदना करती हूँ।) Today is Ram Navami, the birthday of Lord Ram, an avatar of Lord Vishnu. श्रीरामनवमी के पावन पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनायें। 🙏🙏 ©HintsOfHeart. 1.तुलसीदास - रामचरितमानस ( सुन्दरकाण्ड : मंगलाचरण )
1.तुलसीदास - रामचरितमानस ( सुन्दरकाण्ड : मंगलाचरण ) #भक्ति
read moreAkash Tiwari
गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्री रामचरितमानस...🌺🙏🌺
गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्री रामचरितमानस...🌺🙏🌺
read moreRimpi chaube
Mujhe toh taraz aata hai inpar aur in jaisoon par सपा नेता मौर्य:-मानस की कुछ चौपाइयों स्त्री विरोधी हैं, इसलिए इन चौपाइयों को हटा दिया जाए! मैं:- . ©Rimpi chaube #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 450 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 450 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ...........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 450 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 450 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ...........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 700 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 700 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। और सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ......कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस