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S R S Khan
मेरा हाथ नहीं कपा तेरा नंबर डिलिट करते हुऐ पर मैं रो पाड़ा यह ट्वीट करते हु ©S R S Khan #be जुबा शायरी #ro पाड़ा यह ट्वीट
Diwaker Kumar Prashant
उन्होंने आपने नाज़ुक हाथों से बड़े प्यार से पकड़ें मेरे हाथ और उन्हें अपने होटों तक लें गए सिगरेट की बदबु आ रही हैं ये बोल कर छोड़ दिए मेरे हाथ प्रशांत #NojotoQuote #धू्म्रपान प्यार के लिए पाड़ा महंगा
Mr.Dilesh Uikey✔️
गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती मड़ावी जी की 456वीं शहादत दिवस पर हम सभी सगा-समाज सादर देवांजली अर्पित करते हैं। 🙏🙏💐💐💐💐💐 🍀🍁नेटा दियां मिकुन लाय फव्व ने अनि चोखों आई।फड़ापेन ता, अनी प्रकृति शक्ति पुकराल आड़ा ता आशदान (आशीर्वाद) मिकुन पररों सदा मन्नी।🌷🌷🙏🙏🌷🌷गोंडवाना द्वीप ता चैकनें कोयावंशी विरंदा तुन जीवातल (हृदय से)सेवा-सेवा। सेवा-जोहार जी। #alone 🌾🌺🌴गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती मड़ावी जी की 456वीं शहादत दिवस पर हम सभी सगा-समाज सादर देवांजली अर्पित करते हैं। 🙏🙏💐💐💐💐💐
राजेश गुप्ता'बादल'
विधा- दोहा ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ सृष्टा ने सृष्टी रची,दिया प्रेम उपहार। मानव भूला आप में,कैसा ये व्यवहार।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 कदम कदम पर मिल रहे ,मन बैठे दुर्भाव। सृजन मात्र ही साध्य है,पार लगे जो नाव।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 तप्त हृदय भी रस चखे,सुनता जब है गीत। वाल्मीकि भी संत बने, रचना कर नवगीत।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 मिलता गौरव ज्ञान जब, होता दृष्टा भान। नर उपकारी जानिए ,सृजन करें जो प्रान।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आड़ा तिरछा मैं लिखूं, ज्यों सागर में बूंद। सृजन करूं मन भाव को, कवि धारा में कूद।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 राजेश गुप्ता'बादल' मुरैना मध्यप्रदेश (02/06/2019) विधा- दोहा ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ सृष्टा ने सृष्टी रची,दिया प्रेम उपहार। मानव भूला आप में,कैसा ये व्यवहार।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 कदम कदम पर मिल
MG Plus
चलो सुनाऊँ दिल का किस्सा क्या हुआ? जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। जख्म बन रहीं थीं थोड़ी सी सीने में फिर मजा नहीं था पहले जैसा जीने में, मैं डाल डाल पर बन्दर जैसा उछल रहा था जैसे कहती थी आड़ा तिरछा चल रहा था, देखा जितना ख्वाब सब धुआं हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। मैं डूब रहा था ख़लिश में उसको फ़र्क नहीं था क्या तुमको भी लगता है जीना नरक नहीं था, मैंने समझा दुःख दर्द में साथ निभाएगी पर पता नही था मुझको ही वो खाएगी, जब किया खिलाफ़त तो उसको गुस्सा हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। मुझको इल्ज़ामो के घेरे में किया खड़ा फिर कान पकड़ के माफ़ करो कहना पड़ा, तुम बदल गए हो मनीष ए मुझको दिख रहा है जबसे लुटा है मुझको सबकुछ बिखरा है, फिर बात बात में इज्जत का कचरा हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ।। ©MG Plus चलो सुनाऊँ दिल का किस्सा क्या हुआ? जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। जख्म बन रहीं थीं थोड़ी सी सीने में फिर मजा नहीं था पहले जैसा जीने में, मैं
Mayank Sharma
तब कि मैं ये बात सुनाऊँ A B C D सीखने के ज़ज्बात बताऊँ छोटे छोटे बच्चे हम, बड़े दिल से सीखते थे बात तब कि है जब हम पेन्सिल से लिखते थे.. पूरी कविता नीचे नासमझी से भरे पड़े खेल खेल में लड़ पड़े बचपन में सब होते बच्चे दिल से सच्चे, अकल के कच्चे तब कि मैं ये बात सुनाऊँ