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Mithun Raj Kumar
Falguni Shah©
जिन क्षणों में मुझे तुम्हारे होने का अहसास हुआ है मेरे दिमाग के शांत हिमालयी जंगल में एक वन अग्नि धधक रही है गंभीरता से उठती हुई जब मैं अपनी आंखें तुम पर रखता हूं मेरे मस्तिष्क की आंख में एक पूर्ण चंद्रमा उदय होता है और मैं संपूर्ण पुष्पित चंदन के वृक्ष से झरती महक से भर जाता हूं और तब जब आखिरी बार हम मिले थे मेरे होने का पोर-पोर एक अतुलनीय महक से भर गया था हमारे अलगाव ने मेरे जीवन के आनंद के सभी शिखरों को पिघला दिया था जो मेरे देह को झुलसाती है और मेरे सपनों को राख में बदल देती है - नरेन्द्र मोदी जिन क्षणों में मुझे तुम्हारे होने का अहसास हुआ है मेरे दिमाग के शांत हिमालयी जंगल में एक वन अग्नि धधक रही है गंभीरता से उठती हुई जब मैं अपनी
N S Yadav GoldMine
अब तो मैं केवल कर्ण के ही शोक में डूब गया हूं और इस तहर जल रहा हूं पढ़िए महाभारत !! 🌅 महाभारत: स्त्री पर्व :- सप्त़विंष अध्याय: श्लोक 21-29 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 अहो। आपने इस गूढ रहस्य को छिपाकर हम लोगों को मार डाला। कर्ण की मृत्यु से भाईयों सहित हमें बड़ी पीड़ा हो रही है। अभिमन्यु, द्रौपदी के पुत्र और पान्चालों के विनाश से और कुरूकुल इस पतन से हमें जितना दु:ख हुआ था उससे सौ गुना यह दु:ख इस समय मुझे अत्यन्त व्यथित कर रहा है। 📜 अब तो मैं केवल कर्ण के ही शोक में डूब गया हूं और इस तहर जल रहा हूं, मानो किसी ने जलती आग में रख दिया हो। यदि पहले ही यह बात मुझे मालूम हो गयी होती तो कर्ण को पाकर हमारे लिये इस जगत् में कोई स्वर्गीय वस्तु भी अलभ्य नहीं होती तथा कुरूकुल का अंत कर देने बाला यह घोर संग्राम भी नहीं हुआ होता। 📜 राजन। इस प्रकार बहुत विलाप करके धर्मराज युधिष्ठिर फूट-फूट कर रोने लगे। रोते-रोते उन्होंने धीरे-धीरे कर्ण के लिये जलदान किया। यह सब सुनकर वहां एकत्र हुई सारी स्त्रियां जो वहां जलांजलि देने के लिये सब ओर खड़ी थीं सहसा जोर-जोर से रोने लगीं। 📜 तदन्तर बुद्धिमान करूराज युधिष्ठिर ने भाई के प्रेम से कर्ण की स्त्रियों को परिवार सहित बुलवा लिया और उन सबके साथ रहकर उन धर्मात्मा बुद्धिमान धर्मराज युधिष्ठिर विधिपूर्वक कर्ण का प्रेत कृत्य सम्पन्न किया। 📜 तदन्तर वे बोले- मुझ पापी ने इस रहस्य को न जानने के कारण अपने बड़े भाई को मरवा दिया। अतः आज से स्त्रियों के मन में कोई गुप्त रहस्य नहीं छिपा रह सकेगा। ऐसा कहकर ब्याकुल इन्द्रियों वाले राजा युधिष्ठिर गंगाजी के जल से निकले और समस्त भाईयों के साथ तट पर आये। ©N S Yadav GoldMine #humanrights अब तो मैं केवल कर्ण के ही शोक में डूब गया हूं और इस तहर जल रहा हूं पढ़िए महाभारत !! 🌅 महाभारत: स्त्री पर्व :- सप्त़विंष अध्य
Ananya ThaKur
लंबे बाल 2 चोटियों में नज़र आई वो सयानी अजनबी थी फिर भी लगे जानी पहचानी कुछ इस तहर शुरू हुई ये कहानी लंबे बाल 2 चोटियों में नज़र आई वो सयानी अजनबी थी फिर भी लगे जनी पहचानी कुछ इस तहर शुरू हुई ये कहानी उसकी एक झलक पाने की रोज़ भागा भागा scho
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# मेरी येओढ़नी मेरी है।मेरी पायल मेरी है।मेरे सपने मेरे है। इस कमजोर बे मतलब के सवालों में कब तक जकड़ी र हुगी। इन खडहरो जैसे घरों में कब तक बंदी रहूंगी। कब इन पाज़ेब को पारो में बेड़ियों को तरह पहनती रहूंगी। कब तक मेरी उड़नी मेरी है।कब तक अपनी आबरू दूसरे के हाथ सो प्ती रहूंगी। कब तक अपनी अड़नी को ठीक से पहनती रहूंगी।इन नीच नज़रों से कब तक अपने को बचाती रहूंगी। कब तक इन घुग्रू की आवाज़ में अपने आंसू छुपाती रहूंगी। कब तक घर की दहलीज को ना पार करने की तोहमत सहती रहूंगी। कब तक अपने सपनों को खुद को आईने में देखने से भी कतराती रहूंगी। कतरा कतरा मै पिघल रही हूं।इस मोम की तहर ।इस मोमबत्ती की लो को मिटने नहीं दुगी। इन सपनों को मिटने नहीं दुगी।खुद को आईने में मिटने नहीं दुगी। आइने में खुद पर गुरूर करती रहूंगी। इस बेरहम दुनिया को अपने से खेलने नहीं दुगी। मै वो अश्क नहीं जो आंखो से निकाल कर बह जाते है। मै वो अश्क हूं जो आंखो में दहशत दिखा जाते है। खुद को खुदी से मिला जाते है।खुद का अस्तित्व दिखा जाते है। #aurat #bedifferent #stories #strong #dil #yqbaba #yqbaba Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# मेरी येओढ़नी मेरी है।मेरी पायल मेरी ह
Ananya ThaKur
बच्चों की तहर मुझे प्यार करना पहला नेवला आज भी वो मेरे मुंह में डालता है इस क़दर बिन बोले मुझे वो अपने प्यार का अहसास कराता है मेरे एक गम को मिटाने के लिए सारी हदें पार कर जाता है इस क़दर बिन बोले मुझे वो अपने प्यार का अहसास कराता है मुझे खोने का डर उसकी आंखों में
N S Yadav GoldMine
राजन। इस प्रकार बहुत विलाप करके धर्मराज युधिष्ठिर फूट-फूट कर रोने लगे पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: स्त्री पर्व सप्त़विंष अध्याय: श्लोक 21-29 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 अहो। आपने इस गूढ रहस्य को छिपाकर हम लोगों को मार डाला। कर्ण की मृत्यु से भाईयों सहित हमें बड़ी पीड़ा हो रही है। अभिमन्यु, द्रौपदी के पुत्र और पान्चालों के विनाश से और कुरूकुल इस पतन से हमें जितना दु:ख हुआ था उससे सौ गुना यह दु:ख इस समय मुझे अत्यन्त व्यथित कर रहा है। 📜 अब तो मैं केवल कर्ण के ही शोक में डूब गया हूं, और इस तहर जल रहा हूं, मानो किसी ने जलती आग में रख दिया हो। यदि पहले ही यह बात मुझे मालूम हो गयी होती तो कर्ण को पाकर हमारे लिये इस जगत् में कोई स्वर्गीय वस्तु भी अलभ्य नहीं होती तथा कुरूकुल का अंत कर देने बाला यह घोर संग्राम भी नहीं हुआ होता। 📜 राजन। इस प्रकार बहुत विलाप करके धर्मराज युधिष्ठिर फूट-फूट कर रोने लगे। रोते-रोते उन्होंने धीरे-धीरे कर्ण के लिये जलदान किया। यह सब सुनकर वहां एकत्र हुई सारी स्त्रियां जो वहां जलांजलि देने के लिये सब ओर खड़ी थीं सहसा जोर-जोर से रोने लगीं। 📜 तदन्तर बुद्धिमान कुरूराज युधिष्ठिर ने भाई के प्रेम से कर्ण की स्त्रियों को परिवार सहित बुलवा लिया और उन सबके साथ रहकर उन धर्मात्मा बुद्धिमान धर्मराज युधिष्ठिर विधि पूर्वक कर्ण का प्रेत कृत्य सम्पन्न किया। तदन्तर वे बोले- मुझ पापी ने इस रहस्य को न जानने के कारण अपने बड़े भाई को मरवा दिया। 📜 अतः आज से स्त्रियाँ के मन में कोई गुप्त रहस्य नहीं छिपा रह सकेगा। ऐसा कहकर ब्याकुल इन्द्रियों वाले राजा युधिष्ठिर गंगाजी के जल से निकले और समस्त भाईयों के साथ तट पर आये।। एन एस यादव।। {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 स्त्रीपर्व सम्पूर्ण।। ©N S Yadav GoldMine #Aurora राजन। इस प्रकार बहुत विलाप करके धर्मराज युधिष्ठिर फूट-फूट कर रोने लगे पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: स्त्री पर्व सप्त़विंष अध्याय: श्
#Pk_writes ✍
शीर्षक-: एक सेना के आदमी के बारे में कहानी जो एक देश के आत्म प्रेम के लिए अपने शानदार प्यार को बलिदान करता है। #Pk_writes ✍ @dilkibaate4 Read in caption ये कहानी है दो दोस्तो की , जिनका नाम है राज और ज़िया । ये दोनो एक साथ ही पले-बड़े है। दोनो की फमैली दोस्त है बहुत अच्छी। बचपन से थे दोनो साथ म