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Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 " देवलोक " में अवस्थित उस " कल्पवृक्ष " की मान्यता सही नहीं है , जिसके नीचे बैठकर मनुष्य अपनी आवशकता पूर्ण करता है !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 " देवलोक " में अवस्थित उस " कल्पवृक्ष " की मान्यता सही नहीं है , जिसके नीचे बैठकर मनुष्य अपनी आवशकता पूर्ण करता है !.i. j
Poet Shivam Singh Sisodiya
नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने | पूर्णब्रह्मस्य छत्राय नमः गोवर्धनाय च || (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक में अवस्थित तथा श्रीकृष्ण के परमधाम गोलोक के मुकुट हैं, जो पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण के छत्ररूप हैं, उन गिरिराज गोवर्धन को नमस्कार है | नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने | पूर्णब्रह्मतपत्त्राय नमः गोवर्धनाय च || (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक
Abhishek Asthana
माँ कालरात्रि देवी सप्तम तिथि नवरात्रि की, ध्यान करे सब कोई । प्रसन्न हों कालरात्रि मैया, सब शुभ मंगल होए ।। अवतारी माँ काली की, गर्दभ वाहन अतिप्रिय लगे । कंटक और कटार देखकर, राक्षस डर से भाग खड़े ।। काकवर्ण त्रिनेत्र से, लगे भयंकर स्वरूप । हृदय अवस्थित जो करे, रहे सदा भयमुक्त ।। - अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) माँ कालरात्रि देवी सप्तम तिथि नवरात्रि की, ध्यान करे सब कोई । प्रसन्न हों कालरात्रि मैया, सब शुभ मंगल होए ।। अवतारी माँ काली की, गर्दभ वाह
ABHISHEK SWASTIK
माँ कालरात्रि देवी सप्तम तिथि नवरात्रि की, ध्यान करे सब कोई । प्रसन्न हों कालरात्रि मैया, सब शुभ मंगल होए ।। अवतारी माँ काली की, गर्दभ वाहन अतिप्रिय लगे । कंटक और कटार देखकर, राक्षस डर से भाग खड़े ।। काकवर्ण त्रिनेत्र से, लगे भयंकर स्वरूप । हृदय अवस्थित जो करे, रहे सदा भयमुक्त ।। - अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) माँ कालरात्रि देवी सप्तम तिथि नवरात्रि की, ध्यान करे सब कोई । प्रसन्न हों कालरात्रि मैया, सब शुभ मंगल होए ।। अवतारी माँ काली की, गर्दभ वाह
SURAJ आफताबी
वो पूछे... प्रेम मेरा कहां अवस्थित ? (शेष प्रेम अनुशीर्षक में.....)— % & वो पूछे प्रेम तुम्हारा कहां अवस्थित ? मैं जितना भी सोचूं मगर कहां प्रेम का स्थान बताऊं वैसे तो हर जगह है भरी-भरी और वैसे हर जगह रिक्तता ही
Abhimanyu Dwivedi
**ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद र = रहस्य , रास , रमण अ = आदि , अंत , से पार अनंतव्योम म = मर्म ( मैं से मैं तक का पथ ) ह = है से हो में जाते हुए, हूँ हो जाना आ =आरम्भ का प्रारम्भ ( आयाम ) ँ = ाण्ड पूर्ण ॐकार नाँद रहस्य धारक ड = ड (न) परम निराधार शून्य **अर्थात परमबोधि मे प्रवेश पाकर पूर्ण ब्रम्ह के आयाम में स्वयं को अवस्थित कर लेना , तथापि परम रहस्य के मर्मज्ञ हो शून्य में तिरोहित हो परम शून्य हो जाना** 🌱🙏🌱अभिमन्यु ( मोक्षारिहन्त )🌱🙏🌱 ©Abhimanyu Dwivedi **ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद
Abhimanyu Dwivedi
**ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद र = रहस्य , रास , रमण अ = आदि , अंत , से पार अनंतव्योम म = मर्म ( मैं से मैं तक का पथ ) ह = है से हो में जाते हुए, हूँ हो जाना आ =आरम्भ का प्रारम्भ ( आयाम ) ँ = ाण्ड पूर्ण ॐकार नाँद रहस्य धारक ड = ड (न) परम निराधार शून्य **अर्थात परमबोधि मे प्रवेश पाकर पूर्ण ब्रम्ह के आयाम में स्वयं को अवस्थित कर लेना , तथापि परम रहस्य के मर्मज्ञ हो शून्य में तिरोहित हो परम शून्य हो जाना** 🌱🙏🌱अभिमन्यु ( मोक्षारिहन्त )🌱🙏🌱 ©Abhimanyu Dwivedi **ब्रह्माण्ड** 🌱🌱 ब्रम्ह का आयाम 🌱🌱 🌱ॐ🌱 **शून्य से महाशून्य की ओर** 🌱ॐ🌱 ब = बोधिसत्व , बोधि से संबोधि , विद(ज्ञान) से वेद
Vikas Sharma Shivaaya'
🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मां दुर्गा का स्वरूप: कुष्माण्डा नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है-इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है..., जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी- अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं, इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है-वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है- इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं..., इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं,ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है,माँ की आठ भुजाएँ हैं,अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं..., इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है-आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है,इनका वाहन सिंह है..., मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।' माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं- इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है-माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है..., श्लोक: सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥ Affirmations: 66.मेरे जीवन में इस दशा की जरूरत को में जाने देता हूं..., 67. मैं भी किसी योग्य हूं ..., 68. मै अपने जीवन के लिए धनाढयता घोषित करता हूं..., 69.मैं अपनी आंतरिक बुद्धि पर भरोसा करता हूँ ..., 70.मेरा प्रेम असीम है..., बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल
Vikas Sharma Shivaaya'
🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 मां दुर्गा का स्वरूप: कुष्माण्डा नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है-इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है..., जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी- अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं, इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है-वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है- इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं..., इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं,ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है,माँ की आठ भुजाएँ हैं,अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं..., इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है-आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है,इनका वाहन सिंह है..., मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।' माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं- इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है-माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है..., श्लोक: सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥ Affirmations: 66.मेरे जीवन में इस दशा की जरूरत को में जाने देता हूं..., 67. मैं भी किसी योग्य हूं ..., 68. मै अपने जीवन के लिए धनाढयता घोषित करता हूं..., 69.मैं अपनी आंतरिक बुद्धि पर भरोसा करता हूँ ..., 70.मेरा प्रेम असीम है..., बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा हमारा -आपका मार्गदर्शन करती रहें..., 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल
Ravendra