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seema patidar
वो नही करती ...... अब पहले सी नादानियां लगता है अब संवर गई है पर शायद वो खुद में सिमट गई है .......✍️ ©seema patidar शायद वो खुद में सिमट गई है ....✍️
शायद वो खुद में सिमट गई है ....✍️
read moreरसिक उमेश
White पैसा कहने से नही कुछ करने से आता है! ©रसिक उमेश #Thinking यही सच्चाई है
#Thinking यही सच्चाई है
read moreरसिक उमेश
White दूर रहकर कहर ढाती हो पास होती तो क्या होता? खोए रहते हैं तेरे ख्यालो में नज़र मिलती तो क्या होता ©रसिक उमेश #Thinking यही तो मजबूरी है शायद
#Thinking यही तो मजबूरी है शायद
read morePRITI Choudhary
White इस दुनिया मे कोई अपना और पराया नहीं मेरे भाई सब आपके सोच के ऊपर निर्भर करता हैं कि आप किसे क्या समझते हैं ©Biraj Choudhary #Sad_Status जीवन की सच्चाई यही है दोस्त
#Sad_Status जीवन की सच्चाई यही है दोस्त
read moreबदनाम
White तेरे जाने के बाद काश कुछ बदला होता, रोज साम ढलती है अंधेरा भी होता है या तो चिड़िया चहकना बंद कर देती या आसमान से फूल बरसते नहीं तो शरीर सास लेना बंद कर देता सब कुछ वैसा ही चलता आ रहा है जैसे चलता आ रहा था हा कभी सांसे भारी लगने लगती है और गले से निवाला नहीं निकलता शायद में बूढ़ा हो रहा हु या शायद आइना झूठी तस्वीरें दिखाता हैं ©बदनाम शायद
शायद
read morejaiveer singh
White हजारों गम छुपा लेते हैं हम मुस्कान में शायद। कोई मायूस रहता है मेरी पहचान में शायद।। मेरे बारे में लोगों को गलतफहमी सी रहती है। नहीं दुखता है मेरा दिल किसी नुकसान में शायद ।।.... ©Jaiveer Singh #sad_qoute शायद
#sad_qoute शायद
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी परिवारों की मजबूती ही समाज मे एकता का मंत्र फूंकती है पाठशाला संस्कारों की है यहाँ एक दूसरो के लिये मर मिटती है खुशहाली की पौध यही से खिलती पनपती है भले अभावो में रहते हो सदस्य मगर निश्छल प्रेम प्यार की मूर्ति यही पर गढ़ती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" खुशहाली की पौध यही पर खिलती और पनपती है #nojotohindi
खुशहाली की पौध यही पर खिलती और पनपती है #nojotohindi
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White थम गया ज़िन्दगी का एक सिलसिला शायद। कर लिया खुद का ग़लत एक फैसला शायद। मिल नहीं पा रही मंजिल तलाश थी जिसकी- चुन लिया हमने ही ग़लत एक रास्ता शायद। वक्त करने लगा अभी है कुछ दग़ा शायद। या कि होने लगा है कम ये हौसला शायद। मात खाने लगा हूँ मैं तो हर एक बाज़ी में- दाँव पड़ने लगा है सब अभी उल्टा शायद। जो कमाया था नाम हो रहा फ़ना शायद। हो गया था मैं आप ही से बदगुमा शायद। मिट रहा है वजूद धीरे-धीरे अब तो मेरा- लोग कहते है जोश अब नहीं रहा शायद। रिपुदमन झा 'पिनाकी ' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #शायद
Govind Dendor
Unsplash जीवन की एक सच्चाई ये भी है तुम्हारी बुराई वही करेगा जिसको तुमने भला किया होगा।।🫀 ©Govind Dendor #snow जीवन की यही सच्चाई है
#snow जीवन की यही सच्चाई है
read moreAnjali Srivastav
Unsplash वो भूल बैठे हमको ये हैरत की बात है।। पर मेरी मुहब्बत तो इबादत की बात है।। उनके दीदार के लिए तरसे हैं उम्र भर, शायद यही तो मेरी ज़रूरत की बात है।। अंजली श्रीवास्तव ©Anjali Srivastav वो भूल बैठे हमको ये हैरत की बात है।। पर मेरी मुहब्बत तो इबादत की बात है।। उनके दीदार के लिए तरसे हैं उम्र भर, शायद यही तो मेरी ज़रूरत की बात
वो भूल बैठे हमको ये हैरत की बात है।। पर मेरी मुहब्बत तो इबादत की बात है।। उनके दीदार के लिए तरसे हैं उम्र भर, शायद यही तो मेरी ज़रूरत की बात
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