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Sarita Kumari Ravidas
इन पर्वतों में न जाने समाएं है राज़ कितने ख़ामोश से रहते हैं, पर अपने अंदर है इक गहरा समंदर छुपाए भाषा की बोली इनकी अलग सी होती अपनी शीलाओं में अपनी इक सदी छुपाते वन्य औषधियों का भंडार रखतें गर्भ में अपने। ©Sarita Kumari Ravidas #mountainsnearme ख़ामोश पर्वत
Sundar Mohan Marndi
I am MiraJ
किसी भी पर्वत के शिखर को छुआ जा सकता है, बर्शते आप धैर्य और बुद्धिमानी से लगातार आगे बढ़ते चले जाएँ. ©I am MiraJ #MountainPeak पर्वत aur शिखर पर joh सुकून मिलता है.. वह ओर कही नही मिलता.. #Nojoto #viral #Trending #sukoon #Life
Ashutosh Mishra
White छल गया छलिया छल से मुझे,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं जान कर भी अंजान रहा वो क्या जाने ,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,इस हार में भी जीत है मेरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #mountain छल गया छलिया छल से मुझे मैं जाकर भी अंजान रहा वो क्या जाने,,,,, इस हार मे भी जीत है मेरी। #छल #छलिया KRISHNA Vaibhav's Poetry R
Ankur tiwari
White अपने मुंह मियां मिट्ठू ना बन, लंबी लंबी मत तू फेक हैं मुझे पता क्या मन में तेरे लगते तेरे इरादे नही हैं नेक जो कह रहा कि वक्त तेज़ बड़ा हैं जल्दी रुकता यह नही कहीं तो ज़रा कभी तू किसी और का इंतजार तो करके देख पता लगेगा वक्त हैं पर्वत कभी ख़त्म होता ही नही सागर सी गहराई हैं इसमें जिसे नाप कोई है सका नही ©Ankur tiwari #sad_shayari अपने मुंह मियां मिट्ठू ना बन, लंबी लंबी मत तू फेक हैं मुझे पता क्या मन में तेरे लगते तेरे इरादे नही हैं नेक जो कह रहा कि वक
DM
Sudha Tripathi
White आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।। न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम। नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।। दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान। चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।। जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो दम्भ । सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।। *सुधा त्रिपाठी* ©Sudha Tripathi #ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ । उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४ तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल । मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५ रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल । आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६ भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार । मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो
Ankur tiwari
White कभी मन से मन की बात करों कभी खुद से भी मुलाकात करो दुनियां की भीड़ में खोवो मत थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों माना कि फुर्सत नही तुम्हें दिनभर की आपाधापी से माना कि कठिन परीक्षा में दौड़ रहे हो तुम आगे बाकी से फिर भी थोड़ा सा धीर धरो खुद के मन को वश में लो कर आगे अभी और कठिनता हैं इतने भी मत बन जाओ निडर हां माना हिम्मत भी है तुझमें पर थोड़ा डरना भी होता हैं जीत की लय में मत पालो गुरुर कभी हार से भी मिलना होता हैं बस वही एक क्षण जीवन का हर मार्ग निर्धारित करता हैं पर्वत सा उठने की खातिर मिट्टी में झुकना पड़ता हैं ©Ankur tiwari #Free कभी मन से मन की बात करों कभी खुद से भी मुलाकात करो दुनियां की भीड़ में खोवो मत थोड़ा सा खुद पर ध्यान करों माना कि फुर्सत नही तुम्ह