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Bharat Sen
जब प्यार बँटा तो रामायण लिखी गयी ओर संपत्ति बँटी तो महाभारत लिखी गयी..!! #bHaraT #NojotoQuote #Pyar बाँटना ही है, तो प्यार बाँटो ना 😘🅱️✍️
stylish Farman
🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 #बाँधकर_ज़ुबान_मेरी_कह_रहा_था_वो_ज़ालिम #अब_तुम्हे_इजाज़त_है__हाले_दिल_सुनाने_की 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 बाँधकर_ज़ुबान_मेरी_कह_रहा_था_वो_ज़ालिम अब_तुम्हे_इजाज़त_है__हाले_दिल_सुनाने_की
Confidence TONIC
ख़ाली हो गई जेब साहब, खुशियां बांटते - बांटते वरना हम भी कभी खुशियां बांटने के कारोबारी हुआ करते थे. #NojotoQuote ख़ाली हो गई जेब साहब, खुशियां बांटते - बांटते वरना हम भी कभी खुशियां बांटने के कारोबारी हुआ करते थे. #pramodwrites
poetry by heart
Shravan Goud
सुख आए तो बांटना चाहिए, दुःख आए अकेले भोगना होगा, क्योंकि बांटने से बढेगा। सुख आए तो बांटना चाहिए, दुःख आए अकेले भोगना होगा, क्योंकि बांटने से बढेगा।
Shabd_siya_k
"एक स्त्री का सम्पूर्ण दुख "मां" शब्द को ना सुन पाना जो बहुत ही मार्मिक है" एक उम्र भर का दाग लग जाता है मां शब्द ना सुन पाने का आघात दिल पर कर जाता है फिर भी उस जख्म को सहती रहती है मुख से ना बोल पाती है बस अपने अंतर्मन में दुखो का सागर पीती रहती है , वो समाज का एक दयनीय शब्द जो "बांझ" के रूप में बोला जाता है, और एक स्त्री के अंतर्मन को अंदर तक चाकू की धार से छन्नी कर देता है, लेकिन कोई उसके दर्द को भी समझो जो अपनी ही कोख को सूनी देखकर बस निशब्द पड़ी रहती है, उसकी कोख का निर्जीव होने का जरिया केवल वो है क्या उसके हमसफर का भी उतना ही अधिकार होता है तो दोष केवल स्त्री को ही क्यों दिया जाता है , क्या उसका मन नहीं करता अपने आंचल में अपनी संतान को खिलाने का क्या उसका मन नहीं चाहेगा कि कोई उसे भी मां बोलो क्या उसका मन नहीं करता अपनी संतान को डाटने का , क्या वो एक स्त्री नहीं है ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है वो भी स्त्री का पूर्ण रूप लाई है बस एक गुहार वो लगाती है कोई "बांझ" ना कहे वो ये गुजारिश करती है, उसकी एक गुजारिश का इतना तो सम्मान करो उसके अंतर्मन को खुशी तो नहीं दे सकते लेकीन उसके चेहरे की मुस्कान जरुर बनो। ©Sita Kumari #बांझ #girl
pramod malakar
बांट दिया है परिवार को ############## दिल बांटा देश बांटा , बांट दिया है संसार को, लहू बांटा जमीं बांटा , बांट दिया है परिवार को । हर आंगन आज उदास है , दिल बैठा है दूर , खाट पर सोया मन , सपने देखने को है मजबूर । ऊंची उड़ान भरकर , भुला दिया है संस्कार को , लहू बांटा जमीं बांटा , बांट दिया है प्यार को । सुना है मन दिल में प्यास है , हकीकत बैठी है दूर , दर्द बिखराव का चेहरे पर , छलकती है जरूर । झूठी शान भरकर , जन्म दिया है तकरार को , लहू बांटा जमीं बांटा , बांट दिया है संसार को । ############################# प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #लहू बांटा जमीं बांटा