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Arora PR
White आज फिर न जाने क्यों जाग उठी है मेरी छोड़ी हुई पुरानी आदते और लते लगता है आज मै शराब पिए बिना चैन की नींद सौ नही पाऊँगा ©Arora PR पुरानी आदते
Anuj Ray
White पुरानी डायरी" पुरानी डायरी में मिला है आज एक ख़त, जिसने मेरी यादों के घरोंदे को कर दिया ख़तबिखत । मोहब्बत में किये प्यार के वादों को निभाने के लिए हमने, बगावत काकर लिया था फैसला। मेरी जान बचाने के लिए उसने ख़ुद की बलि दे दी, मोहब्बत की जल के चिता, ख़ुद की लाश को पहना दी सुहाग की साड़ी। ©Anuj Ray # पुरानी डायरी "
Arora PR
White पुरानी से पुरानी यादें भी आज भी मेरे मानस पटल पर आकर थिरकने लगती हैं न उन्हें कभी ह्रदय भुला पाता हैं न मेरा मन कभी इन्हे बिसार पाता हैं ©Arora PR पुरानी यादें
Jashvant
White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़' उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले ©Jashvant ग़ज़ल ( माँ )
Santosh Narwar Aligarh
आओ तुम्हें सुनाऊं कहानी एक पुरानी मैं था उसके दिल का राजा वो थी दिल की रानी दिल विच दिल की चाहत रहगी single गुजरी जवानी चाहत का वो दौर था प्यार से थी अनजानी अब यादें उसकी सताती हैं तब बन बैठे प्यार के दानी कर दिया कुर्बान प्यार अपना कर बैठे नादानी कोई दुबारा करें न ऐसा बात है समझानी अब यादें उसकी सताती हैं तब बन बैठे प्यार के दानी। ©Santosh Narwar Aligarh #कहानी एक पुरानी
Deep Aviral
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. वो सुनते हैं उनको सुनाते रहना पेड़ों को अपना दुख बताते रहना घटती हो इज़्जत तो घटे मगर तुम उसकी गली से आते जाते रहना ये समझो इक उत्सुक्ता है मुहब्बत तुमने की है सबको कराते रहना हमको मुहब्बत के ये मानी हैं बस चट्टानों को मखमल बनाते रहना ©Deep Aviral #ग़ज़ल
Dr Nutan Sharma Naval
Blue Moon ग़ज़ल रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा। धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना पड़ा। मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़। तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना पड़ा। अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले। सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा। जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है। सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा। चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं। ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा। जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर। तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा। ©Dr Nutan Sharma Naval #ग़ज़ल#रिश्ता#नूतन नवल