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Shravan Goud
अपने आपको परमात्मा के चरणों में समर्पित कर दो और उनके बताए हुए मार्ग पर अग्रसर होईए। जो भी होगा शुभ ही होगा। अपने आपको परमात्मा के चरणों में समर्पित कर दो और उनके बताए हुए मार्ग पर अग्रसर होईए। जो भी होगा शुभ ही होगा।
Mr. Anand
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“23/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 “जीवन” में जब भी “प्रेम की बात” आती है तो “लोग” किसी का “चेहरे” स्मरण कर लेते है, ऐसी “आँखें”,वैसी “मुस्कान”,“घने बाल” लेकिन क्या ये ही “प्रेम का अस्तित्व” है जिसे हमारी “आंखों” ने देखा और हमने “स्वीकार” कर लिया, परंतु “प्रेम” भिन्न है, “प्रेम” उस “वायु की भांति” है जो हमें “दिखाई” नहीं देती है किंतु वहीं हमें “जीवन” भी देती है, “संसार” कभी भी किसी भी “स्त्री” को “क्रूर” कह सकता है,क्योंकि वह उसे “तन की आखों” से देखता है,परंतु संसार उसी “माता” को सबसे “सुंदर” समझता है क्योंकि वो “भाव” से जुड़ी है, “तन की आंखों” से देखोगे वैसे “पहचान” नहीं पाओगे, इसलिए यदि “प्रेम” को समझना है तो “मन की आंखों ” से देखिए... *अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“23/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *“जीवन”* *“प्रेम की बात”*
Poonam Suyal
(अनुशीर्षक में पढ़ें) मोक्ष क्या सिर्फ जन्म मरण के बंधन से, छूट जाना मोक्ष है? इस संसार में दुबारा जन्म ना लेना क्या ये मोक्ष है? मोक्ष प्राप्ति असल में होगी
Ravendra
Mr. Anand
Devang shukla
मजहब के ठेकदारों , लोगों को मजहब का सही मतलब बताइए। उनको social distancing के बारे में बताइए। Full Read In Caption. आज हमारे देश में समाज में कुछ ऐसे लोग है जिनकी वजह से उनके पूरे समुदाय को गलत सुनना पड़ता है। कुछ गलत लोगों की वजह , से उनके पूरे समुदाय के
Sudha Tripathi
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी ट्रेन दूसरे दूरवाले नए स्टेशन पे आने वाली थी पहली बार वो स्टेशन जाना हुआ बड़ी हिम्मत करके तैयार तो हो गई लेकिन आते समय अपने याददाश्त शक्ति के क्षमता अनुसार रास्ता भूल गई एक तो इतने सारे निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से सारे रास्ते को ब्लॉक किया हुआ था सब कुछ बंद होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था किस एरिया में हूँ केवल कुत्ते की भौंकने की डरावनी आवाज हर ओर से आ रही थी मोबाइल में नेट नहीं पेट्रोल देखा तो वह भी रिजर्व..... नाइट कर्फ्यू की वजह से एक इंसान कहीं नहीं अब पूँछू भी तो किससे परिस्थितियां कुछ ऐसी थी आगे जाँऊ या पीछे जाँऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं रुक कर हर पोस्टर पर एरिया का नाम ढूंढने का प्रयास करने लगी तभी पीछे से आवाज आई क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं मेरी स्थिति क्या थी वो मैं बता नहीं सकती बहुत हिम्मत करके पीछे देखा पूरी तरह से कवर केवल आँखे दिख रही थी दोनों स्थितियां चल रही थी एक ओर आशा की किरण तो दूसरी ओर........ मैंने कहा भाई साहब रेस कोर्स अभी कितनी दूर है यहां से उन्होंने कहा बेन बहुत आगे आ गए हो आप उन्होंने मुझे समझाया मुझे नहीं पता नाईट कर्फ्यू में वो कहां से आये मैं इतनी अधिक डरी हुई थी कि जल्दी जल्दी मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके बताए गए रास्ते से जब रेसकोर्स के आसपास आई तो मेरी जान में जान आई घर पहुंच कर आधे घंटे लगे होंगे मेरी धड़कनों को सामान्य होने में और उस दिन समझ में आया अंधेरा क्या होता है? सन्नाटा क्या होता हैं?कुत्तों का भौंकना कितना भयानक होता है? अनजान रास्ते पर अकेले इंसान का मिलना क्या होता है? रास्ता भूल जाना क्या होता है? और भी बहुत सारी बातें.... ©Sudha Tripathi मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह
G PATEL
बूझो तो जाने भीमकाय सी ताकत मुझमें, चलने को दिन रात तैयार काली सी है सूरत मेरी, खाने में मै हूं होशियार ©G PATEL #उत्तर बताए