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उप्रेती जी उत्तराखंड वाले
Hrishabh Trivedi
😊निक्की की दुल्हनिया😊 (भाग4) (अनुशीर्षक में पढ़े) निक्की दादा, निक्की दादा, निक्की दादा!!! जी हां, नाम ही काफी है इनका। नहीं गलत मत समझिएगा, इनका नाम काफी है किसी भी अच्छे खासे माहौल को बिगा
Divyanshu Pathak
दशहरा के दिन हमने रावण को जलते तो नहीं देखा किन्तु इस दिन से अगले चार दिनों तक चाँदनी में रात भर नहाए हैं।टेशू और झेंझी बहुत सी जगह इसे साँझी भी कहते हैं।टेशू लड़कों के लिए और झेंझी लड़कियों के लिए।हो सकता है ये तीज त्योहार आनंद और मनोरंजन के साधन हों जिनको मोबाइल और वीडियो गेम्स ने निगल लिया है किन्तु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उस दौर में इन दिनों की रातें बहुत शानदार हुआ करतीं थी। 2009 से पहले भले हमारे पास फोन नहीं था किंतु उत्सव और त्योहार मनाने का जुनून बेहद था। लड़के और लड़कियां खेतों में होते थे। वो अपने नृत्य और गी
अभिलाष सोनी
Subscription/Unlock प्रतियोगिता-10 विषय :- ज़ख्मों की नुमाइश से ज़ख्म नहीं भर सकते हैं, इन ज़ख्मों की नुमाइश से। कुछ ना हासिल होगा अब, इस ज़ोर आजमाइश से। तकलीफ़ बहुत होती है, जब कोई हमको दगा देता है। दिल ही मत लगाओ, किसी अनजानी सी ख़्वाहिश से। खुशियों में तो अक्सर हमने, आतिशबाजी की यहाँ। क्या पता घर जल जाएगा, खुशियों की ही आतिश से। गैरों ने जब धोखा दिया, हम भी फूट-फूटकर रोये थे। क्या पता हम बर्बाद हुए हैं, अपनों की ही साज़िश से। दिल ने जिसको अपना माना, सबने दिल से खेला है। दिल में उनको जगह दी, इस दिल की ही सिफ़ारिश से। रचना का सार Subscription/Unlock प्रतियोगिता-10 विषय :- ज़ख्मों की नुमाइश से ज़ख्म नहीं भर सकते हैं, इन ज़ख्मों की नुमाइश से। कुछ ना हासिल होगा
Harshita Dawar
हम लोगो को बचपन से ही यकीन दिलाया जाता है हम परिवार और समाज के बिना जिंदा नहीं रह सकते, इसीलिए अक्सर लोग कहते है कि मैं तुम्हारे बिना जिंदा नही रह पाऊंगा.. हमेशा से एक डर के साथ पलेबड़े लोग है हम, जैसे हम बड़े होते गये हमारा डर भी बढ़ता गया...! ये डर डराता हैं हम ज़िंदा है या रोज़ मृतक हैं कैप्शन जोड़ें +++++++++ ©️ जज़्बात ए हर्षिता हम लोगो को बचपन से ही यकीन दिलाया जाता है कि हम परिवार और समाज के बिना जिंदा नहीं रह सकते, इसीलिए अक्सर लोग कहते है कि मैं तुम्हारे बिना जिं
shayar HR
कब से आकाश में ढूंढ रहा था आतिशबाजी को मै किसी गरीब के झोपड़े में दीप के रूप में मिली वो अपनी कलम से HR 1323 2nd try #दिप #आतिशबाजी Fb Page @Apni kalam se HR #yqbaba #yqdidi #shayar_hr
shayar HR
जैसे ही मेरे नाम का दीप जलाया उसने दिल मे आतिशबाजी की रौनक देखी हैं मैने अपनी कलम से HR 1322 1st try #दिप #आतिशबाजी Fb Page @Apni kalam se HR #yqbaba #yqdidi #shayar_hr
Rimpi chaube
🔥रावण_दहन 🔥 ये आतिशबाजी नही,उत्सव है उस शख्श की हार का, जो ज्ञानी होकर अज्ञानता कर गया अपने एक बुरे कर्म से, युगों युगों से लोगों के हृदय से उतर गया सीख आज के युग को देने, एक दुस्साहसी युगों पूर्व ही मर गया!! ©Rimpi chaube #रावण_दहन 🔥 ये आतिशबाजी नही,उत्सव है उस शख्श की हार का, जो ज्ञानी होकर अज्ञानता कर गया अपने एक बुरे कर्म से, युगों युगों से लोगों के हृदय
अज्ञात
पेज-90 कथाकार किसे बार बार देखता जा रहा है..? हाँ वो आँखें जो सबसे नजरें बचाते फिर रही हैं..! जिसे इज़हार तो अपनी खुशी का करना है मगर जो खोने की बेला आ रही है.. कैसे उसका सामना कर पायेगा... बार बार सबको देखकर हाथ जोड़ता और मुस्कुरा जाता है... कथाकार ने राकेश को प्रेरित किया, और राकेश उनके पास जाकर बैठ गया... उन्होंने राकेश का हाथ पकड़ लिया.. यहाँ वधु ने वरमाला पहना चुकी थी... लेकिन यहाँ तो एक पिता जाने क्यूँ अपनी बेटी के बचपन में जा चुका था...ये रस्में मानो उसके हृदय को वेध रही हों... मगर अभी उसे केवल मुस्कुराना है.. वो पिता है ना.. फिर पुरुष भी है... टूटकर बिखर जायेगा तो बेटी का क्या हाल होगा..राकेश उस पिता की मुस्कुराहट के पीछे दबी वेदना समझ रहा है उनका ध्यान वहाँ से हटाकर आगे के कार्यक्रम से जोड़ता हुआ... तभी आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज -90 पुरोहित जी का संकेत पाकर प्राजक्ता ने एक जयमाल दूल्हे राजा को दिया..आज एक जयमाल दूल्हे को विश्व विजयी कर जायेगा...