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डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
मेरे वेणु गोपाल, वेणु हूं मैं तुम्हारी तुम्हारे पवित्र करों एवं मधुर अधरों के पावन स्पर्श से प्रिय मैं ढल गई मधुर सुरीली तानों में, नहीं तो क्या औकात थी मेरी इस भरे पूरे ज़माने में । मैं बांस की पोरी, गर्म सलाखों से बिंधित, बांसुरी का रूप लिए, वन से वृंदावन आ गई। किन्हीं पुण्य कर्मों से अपने प्रियतम को भा गई मेरे मुरली मनोहर! मेरे आराध्य! ये ज्ञान ध्यान योग प्रसारित कर दो जिस को चाहो उसको दे दो, मुझे वंशी धर तुम्हारी तिरछी चितवन ही प्यारी है। वेणु की तरह तुम्हारे सान्निध्य की चाह लिए युगल चरणों में समर्पिता ये वीणा बस तुम्हारी है।। ©Veena Kapoor वेणुगोपाल बांस की पोरी वृंदावन समर्पित #DearKanha
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
मैं छोड़ भी दूं पतवार, तुम तो थाम ही लोगे सृजनहार। फिर भी तुम्हारी माया से मोहित, मैं कभी स्वयं से, कभी परिस्थितियों से लड़ती रहती हूं। निरर्थक ही लहरों से संघर्ष करती रहती हूं। मुझे तो केवल नौका के पाल ही खोलने हैं, और जड़ ग्रंथियों के बंधन ढीले करने हैं , फिर तो तुम थाम ही लोगे पतवार, मेरे वेणुगोपाल।। ©Veena Kapoor लहरें नौका पतवार सृजन हार संघर्ष वेणुगोपाल #river
प्रणव एहसास
मेरे उस कुनबे में कई जमीदार रहते है, वहां नही है एक टुकड़ा जमी, मंदिर के लिए , जहां कई धर्मराज रहते है। "प्रणव एहसास" ©प्रणव एहसास #मंदिर
Rajnish Shrivastava
महादेव के मंदिर में आज अनायास चला आया । देखकर उनका विराट रूप मन अत्यधिक हर्षाया । ©Rajnish Shrivastava #मंदिर
Ganesh Kumar Verma
सुन लो मन की आवाजों को……. मंदिर-मस्जिद क्यों दौड़ रहे, खोलो मन के दरवाजों को, बाहर इतना क्यों शोर करो, सुन लो मन की आवाजों को। बैठा है ईश्वर क्या मंदिर में? या चर्च में, या गुरुद्वारे में ? जीवनदाता जो जग का है, क्यों रहे वो किसी के सहारे में। नर- नर में है, चराचर में है, अम्बर में है और भुतालों में, क्या कैद है वो किसी मानव निर्मित दरवाजे और तालों में? नही मिलेगा वो मंदिर-मस्जिद और किसी गिरजाघर में, वो खुश ना हो पाखण्डों में , ना हीं विविध आडम्बर में। यदि उससे लगन लगानी हो, उससे गर आँख मिलानी हो , तो सुन लेना किसी लाचार ,और बेबस के फरियादों को । मंदिर-मस्जिद क्यों दौड़ रहे, खोलो मन के दरवाजों को । बाहर इतना क्यों शोर करो, सुन लो मन की आवाजों को। सारी ध्वनियां बंद करो, बस बजने दो मन की साजों को , मानव इतना क्यों शोर करो,बस सुन लो मन की आवाजों को। गणेश वर्मा ……. …..मन की कलम से ………………. ©Ganesh Kumar Verma #मंदिर