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Stories related to गैर जमानती धारा

Irfan Saeed

परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ

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परिंदा   हूं  उजाड़ोगे ,  मिटाओगे  खुदा   जाने
मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने  को 

इरफान"  किसी  गैर  से  ही  क्या   तलब  करें
मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझे बर्बाद करने को

©Irfan Saeed परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने
मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को 

इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें
मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ

Rabindra Kumar Ram

#love_shayari " जाने मैं कब कैसे तेरे सोहबत में कभी आए , इतना तो करम हो तेरे ए'तिमाद में आए ‌, रुख‌ कर की कोई दार-मदार हो ऐसे में‌ कभी , ज

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White " जाने मैं कब कैसे तेरे सोहबत में कभी आए ,
इतना तो करम हो तेरे ए'तिमाद में आए ‌, 
रुख‌ कर की कोई दार-मदार हो ऐसे में‌ कभी , 
जो मैं  कभी तेरे दस्तरस में गैर इरादतन आए ."
 
                              --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram #love_shayari " जाने मैं कब कैसे तेरे सोहबत में कभी आए ,
इतना तो करम हो तेरे ए'तिमाद में आए ‌, 
रुख‌ कर की कोई दार-मदार हो ऐसे में‌ कभी , 
ज

꧁༺Kǟjǟl༻꧂ارشد

" एक शिकवा जो बेहद हसिन हैं मेरा , जो मेरे ही दिल से हैं , एक गैर की तरह ... ruh e naaz (*мιѕs~мαнιяα*) Rakesh Srivastava Pa

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एक शिकवा जो बेहद हसिन हैं मेरा ,





          जो मेरे ही दिल से हैं  ,  एक गैर की तरह ...

©꧁༺Kǟjǟl༻꧂ " एक शिकवा जो बेहद हसिन हैं मेरा ,

          जो मेरे ही दिल से हैं  ,  एक गैर की तरह ... ruh e naaz  (*мιѕs~мαнιяα*)  Rakesh Srivastava  Pa

bina singh

White कितने झूठे होते हैं ये लोग
न तो अपने होते हैं न ही गैर होते है
वक्त बेवक्त आपको ये ज़लील करते है
कभी हँसकर तो कभी झल्लाकर 
कभी मुस्कुरा तो कभी फुसफुसा कर 
तेरे ही इर्द गिर्द तेरा तिरस्कार करते है
वैसे तो ये खुद को तुम्हारा सागा कहते है
जब होगी अपनों की जरूरत
 तो ये झूठी बातें कह ठगा करते हैं
सामने से मुस्कुरा कर मिलते हैं 
जैसे ही नज़र हटी ये जोर - जोर से तेरे ही नाम का शोर गुल करते हैं
होते तो हैं ये अपने से अपनापन सा व्यवहार करते हैं
जो चार कदम दुख में चलना हो तो गैरों से भी गैर निकलते हैं...by Bina singh

©bina singh #लोग #गैर #दिखावा #अपने #लाइफ #Life

Indian Kanoon In Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 396

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भारतीय दंड संहिता की धारा 396 :- 

* यदि ऐसे पांच या अधिक व्यक्तियों में से, जो संयुक्त होकर डकैती कर रहे हों, कोई एक व्यक्ति इस प्रकार डकैती करने में हत्या कर देगा, तो उन व्यक्तियों में से हर व्यक्ति मॄत्यु से, या आजीवन कारावास से, या कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

©Indian Kanoon In Hindi भारतीय दंड संहिता की धारा 396

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#SunSet बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है क्यू अविरल धारा

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है 
में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है 
पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है 
क्यू अविरल धारा में तू निश्चल बहता है

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #SunSet बड़ी खामोशी से ये बात समंदर कहता है 
में शांत हूं लेकिन मन अशांत रहता है 
पल पल निर्झर होके ये किनारे मुझे कहते है 
क्यू अविरल धारा

Indian Kanoon In Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 455

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भारतीय दंड संहिता की धारा 455 :- 

* भारतीय दंड संहिता की धारा 455 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाने, या किसी व्यक्ति पर हमला करने, या किसी व्यक्ति को गलत तरीके से निरोधक बनाने के लिए, या किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने या हमले या गलत तरीके से डरने के लिए तैयार करने की तैयारी करने वाले घर-दंड, या घर-तोड़ने वाले कोई भी व्यक्ति संयम, को या तो विवरण या एक कारावास के साथ दंडित किया जाएगा जो दस साल तक हो सकता है, और यह भी जुर्माना के लिए उत्तरदायी होगा।

©Indian Kanoon In Hindi भारतीय दंड संहिता की धारा 455

theABHAYSINGH_BIPIN

#Thinking कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं। राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं, अब मुझे कितना सताने लगे हैं। जिनके

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White  कभी चाह थी गले लगाने की,
गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं।

राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं,
अब मुझे कितना सताने लगे हैं।

जिनके इश्क़ की गहरी नींद में था,
वो अब रातों को जगाने लगे हैं।

खोल दिया है बहानों की किताबें,
अब वो धीरे-धीरे दूर जाने लगे हैं।

होती थी पूरी रात मोहब्बत की बातें,
अब गैर की बाहों में सोने लगे हैं।

भूल गए संजोए सपनों की कहानी,
मेरा इश्क़ अब वो भुलाने लगे हैं।

मशगूल है वो अब गैर इश्क़ में,
ख़ुद को बेहतर अब बताने लगे हैं।

तोड़ दिया मुझको बेहतर की चाह में 
अब अपना आशियाँ सजाने लगे हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Thinking 
 कभी चाह थी गले लगाने की,
गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं।

राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं,
अब मुझे कितना सताने लगे हैं।

जिनके

vish

# नदी की वो धारा

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मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, 

जो थम जाऊँ.... 

मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, 

जो साहिल से टकराकर भी, 

अपने सागर से मिल जाऊँ.... 



जिंद़गी

©vish # नदी की वो धारा

नवनीत ठाकुर

#नवनीत तेरी गैर-मौजूदगी में भी तू मेरे साथ चला है, मुझको हिम्मत तेरा एहसास दिया करता है।

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Unsplash तेरी गैर-मौजूदगी में भी तू मेरे साथ चला है,
मुझको हिम्मत तेरा एहसास दिया करता है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीत
तेरी गैर-मौजूदगी में भी तू मेरे साथ चला है,
मुझको हिम्मत तेरा एहसास दिया करता है।
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