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Rohit Sharma
एक बात पूछनी थी... ये पैंट की पिछली जेब में कंघी रखने वाले लोग अभी भी पाए जाते हैं कि विलुप्त हो गए ??? 😂 #जस्ट_पूछ_रहे ©Rohit Sharma #SunSet एक बात पूछनी थी... ये पैंट की पिछली जेब में कंघी रखने वाले लोग अभी भी पाए जाते हैं कि विलुप्त हो गए ??? 😂 #जस्ट_पूछ_रहे
Nisha Bharti Jha
जिस तरह तुम उलझे बालो को सुलझाती हो काश! उसी तरह तुम रिश्तो की उलझन भी सुलझा पाती | काश!!!! काश ये हुनर तुम्हें आता!!! #nishabharti #nisha_abd Hello resties! ❤
सुसि ग़ाफ़िल
___________________________ कविताएँ मेरी जिंदगी है..... सिलसिला - ए - जिंदगी कविताएँ है.... जो जिंदगी लिखने चला मैं कविता लिखते चला गया... अब सब मानो....मैं लेखक नहीं हूँ बल्कि अल्फ़ाज़ों का कल्पक (नाई) हूँ....कलम कविताओं की कंघी है जिससे मैं उनके बाल संवारता हूं| ___________________________ १९/०९/२०२२ सुसिल ग़ाफ़िल ___________________________ कविताएँ मेरी जिंदगी है..... सिलसिला - ए - जिंदगी कविताएँ है.... जो जिंदगी लिखने चला मैं कविता लिखते चला गया...
Mayank Sharma
आईना.. (कविता अनुशीर्षक में) बिना पढ़े लाइक मत करना बे कोई, बहुते मारेंगे नहीं तो 😄 आईना आईने के सामने खड़ा मैं जब उलझे हुये बालों को अपने उसी पुरानी कंघी से सुलझा
Harshit kashyap
माँ चाहती है, बालों को तेल लगा उसे कंघी कर सजा देना। अपने छोटे से संतान को अपना राजकुमार बना देना। माँ चाहती है कि, ना लगे नज़र किसी की इसलिए माथे पर काला, बड़ा, काजल का टीका लगा देना। हो शक्तिशाली मेरा लाल इसलिए लाल तेल से नहला देना। माँ चाहती है कि ना आए कभी कोई कष्ट उसके नन्हे से जान पर इसलिए खुद हर दुख का सामना कर सुख के सागर में सुला देना। माँ तो चाहती है..... माँ चाहती है, बालों को तेल लगा उसे कंघी कर सजा देना। अपने छोटे से संतान को अपना राजकुमार बना देना। माँ चाहती है कि, ना लगे नज़र किसी की इसलि
Atul Kaul
कई बार ऐसा महसूस किया है की लखनवी तहज़ीब खोखली दिखावटी व बनावटी बला नही है। इसमें बहुत मज़बूत सम्बल है तजुर्बे के और इनमे दानाई का ज़ख़ीरा पिन्हा है। आज मैं सिर्फ एक रुख की बात करना चाहता हूं और वो इसी समूह की किसी टिप्पणी से ही जन्मा है। जब हम देखते है की हमारी बात कोई दूसरा दोहरा रहा है इस तरह की वह उसका जना है तो हमारी मानसपटल पर दो तरह की मुदाफत होती है। एक तरफ हमें नाज़ होता है की हमारी बात इतनी पसन्द करी गई है की लोग उसे दोहरा रहे है और इस क़दर कीमती पायी गयी है की लोग उसे चुरा रहे है और हमारी वो सोच इतनी पारस है कि उन्हें भी कुंदन बना रही है। दूसरी तरफ हमे ये डाका लगता है, हमे ये लगता है हमी के सहारे चढ़ कर हमी से क़द निकाल रहे है और हममे जैसे कोई कमी कर दे रहे हैं। अब मुद्दे पर...पहली व दूसरी प्रतिक्रिया आमतौर पर कब होती है। पहली तब होती जब करने वाला आपका अपना हो, आपकी नजर में उसकी इज़्ज़त को, आपको वो अपने से ज़्यादा दानिशमंद व कामयाब दिखे। दूसरी तब जब वो मुख़ालिफीन हो, आपकी नजर में कमज़र्फ हो,व इखलाक़ी मायने में छोटा हो या नाकामयाब हो। पहली प्रतिक्रिया मसर्रत का बायस है और दूसरी... अब मूल हमारी तहज़ीब का खुलूस और दूसरे को अपने से पहला समझना व उस तरह से बरताव करना है। ये हर समय सम्भव कैसे है। Fake it till you make it इस फॉर्मूले का ये सही समय है उपयोग का। आखिरकर क्यो? सिर्फ अपनी खुशी के लिए और उसे दोबाला
Thiru
நன்றாக வாரிவிட்டால்தான் சிக்கல் அனைத்தையும் சரியாக்குகிறது சீப்பு. Hello resties! ❤ Today's Topic is " Comb/ कंघी " You can write on both the languages or choose your preferred language. Time limit ~ 24
AK__Alfaaz..
कल, साँझ ढ़ले, मंगल के मंगल को, चैत्र नवरात्रि पर, माँ का आगमन हुआ, माँ शैलपुत्री, नवमी को माँ सिद्धिदात्री संग, माँ नव कन्या रूप मे पधारी, कल, साँझ ढ़ले, मंगल के मंगल को, चैत्र नवरात्रि पर, माँ का आगमन हुआ, माँ शैलपुत्री, नवमी को माँ सिद्धिदात्री संग, माँ नव कन्या रूप मे
AK__Alfaaz..
भोर भये, महकी पुरवाई आयी, छूकर माटी का तन, दैविय सुगंध से महका गई, आँचल की ममता से, निकले नेह के मोती, झर झरकर, पाँव से लिपटी, पाजेब बजी तो, सामने माँ गंगा सी, पवित्र छवि नजर आई, भोर भये, महकी पुरवाई आयी, छूकर माटी का तन, दैविय सुगंध से महका गई, आँचल की ममता से, निकले नेह के मोती झर झरकर, पाँव से लिपटी, पाजेब ब