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Stories related to love is patient poem

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priyadharshini

love is patient love is kind #Love

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Adeeb Ahmad

this is for love patient

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तेरी आंखों की नमकीन मस्तियां, मुझे डायबिटीज़ होने नहीं देती।
लेकिन ब्लड प्रेशर बड़ा देती हैं, और फ़िर जीने नहीं देती।।


                             ------adeeb ahmad this is for love patient

Mani Khan

love patient #poem

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 love patient

Motivational_Vibes (Positive Vibes)

Natasha Noluthando

be patient anything is possible #Quote

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believe in yourself be patient anything is possible

Sanki chhora

patient of love #विचार

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Love is a great desease

©Akash Kumar patient of love

King Khan

patient of love

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तेरे इश्क़ का रोग उतरा ही नहीं....
हजारों हकीमो ने कर ली तोबा मुझ 
से..... patient of love

Lizanovia M. Hadi

Indeed, Allah is with the patient

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Di laut, aku membasuh penat yang kian larat
Biarkan ombak mengikis semua karat
Luka hati yang berulang  tersayat

Di langit, aku lepaskan segala gundah
Kosongkan sesak di dada yang membuncah
Mengangkasa serupa awan yang pecah
 Indeed, Allah is with the patient

Madhu

# saibabalovepatientsilient #Thoughts

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Kavita jayesh Panot

#Love #Nurse patient relationship

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नर्स पेशेंट  रिलेशनशिप

नर्स धरती पर माँ के जैसा कोई रिश्ता बनाता हो 
तो वो है नर्स का पेशेंट के साथ संबंध।

ये वो पवित्र बंधन है जहाँ न कोई उम्र न कोई मजहब
न कोई भेदभाव होता है।
ये अद्वितीय बंधन है जहाँ निःस्वार्थ हर कार्य होता है।
एक नर्स के रूप में हजारो भूमिका को संजोए
ये अपने फर्ज निभाती है।
दर्दो का पहाड़ हो चाहे सीने में 
लेकिन हर रोज सुबह ये उस मरीज को
 मुस्कुराहट के साथ ही  जगाती है।


अपनी तकलीफों को सह जाती है 
उसकी आह को कानो में रख
उसे मरहम लगाती है।

हर रोज सवेरे जब ये घर से निकल 
अस्पताल  में कदम बढ़ाती है
अपने सारे रिस्तो को भुला
इसकी करुणा, प्रेम, दया, उन दर्दियो संग जुड़ जाती है।

देखो तो दो शब्दों में कितनी भूमिका छुपी है-----

एक माँ बन कभी दर्दी को सहारा देती है
उसके बालो से लेकर पूरे तन को सवार देती है
जिसके चेहरे की हँसी फीकी हो गयी हो किसी मर्ज से
उस मरीज को ये अपने हाथों से सजा 
एक तरोताजा एहसास देती है।

भूख जिसकी छीन गया वो दर्द और बीमारी का दौर
माँ बन कितने प्यार से खिलाती वो एक एक कोर।

कभी बन जाती है बहन तो कभी दोस्त 
इस पहाड़ से वक्त में भी खिंच लाती है मौज।

धड़कनो को मॉनिटर और वेंटीलेटर के अलार्म के साथ जोड़े रखती है
हो किसी भी कोने में रूम के एक माँ सी
सबकुछ छोड़ दौड़ जाती 
एक जरा सी हलचल में।

हो बचपन या बुढ़ापा मर्ज
लड़खड़ाते कदमो को चलना सिखाती
क्रेच पकडा संग हर कदम साथ बढ़ाती
गिर न जाओ फिर से किसी नई चोट का न बनो शिकार
लड़खड़ाने पर लाठी बन लेती बन तुरन्त सम्हाल।

तन ही नही मन का भी रखती है पूरा ध्यान
कौन तुमसे मिलने आता है
बातो के गुलदस्ते लाता है
कही कोई हमदर्दी जता तुम्हे चोट न पहुचाये
हर बात की पूछ परख ये रखती है।

तुम सो सको निश्चिंत हो 
ये सिर्फ तुम्हारी ही नही तुम्हारे प्रियजनों
की चिंता को भी कम करती है
हर पल ये हौसलो और दुवाओ के पूल बांध
उन्हें एक विश्वास में गढ़ती है।

वक्त आने पर ये दोस्त भी बन जाती है
उदासी को पढ़ तुम्हारे चहरे की
वो बात की तह तक जाती है
और हमदर्दी  बाट तुम्हारे साथ
बखूबी से दोस्ती का रिस्ता निभाती है।

हर स्वास के साथ तुम्हारी अपनी स्वाशो को
 जोड़ लेती है
एक माँ ही कर पाती है ऐसा 
जो हर मर्ज का तोड़ देती है।

रातो में जब दर्द सताये
बेचैनी ओर घबराहटो में नींद न आये
हा  जब सब सो जाये
ये वही तो है जो तुम्हारे साथ जाग
कभी बातो से, कभी किस्से कहानियों से
तुम्हारे माथे को सहला 
तुम्हे सुलाती है
एक माँ सा एहसास दिलाती है।

आर्थिक संकट हो चाहे हो प्रश्न इलाज का
अस्पतालों की सहायताओ से तुम्हे अवगत करा
दुविधा मिटा जाती है।

यही नही पूरा हो जाता ये सफर
आखिरी स्वास तक ये अपने फर्ज निभाती है
जीवन और मौत के बीच जूझ रहे  हो जब मरीज
चाहे जो भी धर्म हो इसका  ये
धर्म ग्रंथो का पाठ सुना 
अंतिम यात्रा को भी पावन बनाती है।

ढीले पड़ गई हो काया
स्वाशो का स्पन्दन रूक गया हो
आँखो की पलको ने छोड़ दिया हो फड़कना
हृदय की धपकार मौन में बदल गयी हो
नीले पड़ने लगी हो सुनहरी काया
तब प्रियजनों को नियति का पाठ पढ़ा
तुम्ही तो अंतिम समय मे स्वेत कफन 
पहनाती हो
और दुवाओ के फूलों संग 
अंतिम विदाई में अस्को के मोती बरसा
समशान का सफर तय करवाती हो।

महज ये  व्ययसाय कह पाना उचित नही है
ये तो एक रिस्ता है फरिस्ते का इंसान से
जो बुरे वक्त में नर्स बन
दर्दियो की जिन्दगी में उनके  मर्ज में काम आती हो।

ईश्वर, माँ  के साथ एक स्थान तुम्हारा भी है जहाँ में
तुम जननी तो नही
लेकिन जननी सा किरदार निभाती हो।

कविता जयेश पनोत

Salute to all nurses ... its nobel profession
Proud to be a nurse always warrior in crisis
12 th may is birthday of ms floerence nightengle .. who stared narsing as profession ... It's celebrated as nurses day. 
Happy nurses day to all nurses . And salute your  contribution as corona warriors.








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