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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी बढ़ता अपराध और अपराधीकरण व्यवस्था सब चरमराती है शोषण की मार चहुँ और पड़ती अराजकता समाजो में घुसपैठ कर जाती है भूख भय और भ्र्ष्टाचार से जनता तड़पती माफियाओ की तूती बोलती रहती टेरर टेक्स वसूला जाता है सफेदपोश हिमायती बनते इनके सरकारी खजाने तक राजस्व पहुँच नही पाते है चोरी का दोष जनता को दे कर सरकारे मनमानी टेक्सो को बढाने में दिखाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #justice अराजकता समाज मे घुसपैठ करी जाती है
#justice अराजकता समाज मे घुसपैठ करी जाती है
read moreParasram Arora
White मेरे नाम को याद रख कर क्या करोगे अच्छा तो यही होगाकि मुझे तुमअपने दिल मे बसा कर देख को हा...अगर दिल तुम्हारा कमज़ोर है . तो तुम मुझे अपनी निगाहो मे बसा कर देख लो ©Parasram Arora दिल मे बसा कर देख लो
दिल मे बसा कर देख लो
read moreParasram Arora
White मेरी बेखुदी मे भटकता रहा मेरा खुदा न जाने कहा कहा मै उसे खोजता रहा सबज़ बगिचो मे लेकिन . मुझे वो दिखा बंजर रेगिस्तान के उजड़े हुए बिहदो मे r ©Parasram Arora मेरी बेखुदी मे
मेरी बेखुदी मे
read morePraveen Jain "पल्लव"
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset पल्लव की डायरी सबक जिंदगी के इतने है शायद परखते परखते उम्र ढ़ल जाये आँखों ने बस ख्वाब सजा लिये मंजिल तक दम ही निकल जाये अंधी भागदौड़ है अनचाहे मंजिल की सिर्फ स्टेटस पाने दौड़ लगाते है गुमराह दुनिया करती गोल गोल हम बस फसकर उसमे निधिया जीवन की गवाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #SunSet सबक जिंदगी के इतने है जीवन मे
#SunSet सबक जिंदगी के इतने है जीवन मे
read moreranjit Kumar rathour
कितना सही कितना गलत इसका हिसाब क्या करना आज के आज़ जीना कल को क्यों मरना जो अतीत को झाकूंगा तो रोना आएगा भविष्य कि सोचूँ तो और भी डराएगा वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता उसे क्यों न संभालू इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ हा थोड़ा थोड़ा ही सही दिल ने दी इज़ाज़त तो हल्का हल्का सा जाम किसी के नाम का उसके हा उसके लबों से आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ हा पी रहा हुँ अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ ©ranjit Kumar rathour आज़ मे जी रहा हुँ
आज़ मे जी रहा हुँ
read moreranjit Kumar rathour
सर्द मौसम मे भी एक गरमाहट सी है जो बाऱ बार एहसास कराती है कि कोई है जो तुम्हे यादो का लिहाफ ओढ़े याद कर रहा है और फिर लगता कि शायद वो यही कही पास ही है मेरे करीब और करीब हा बिल्कुल करीब ©ranjit Kumar rathour और करीब सर्द मौसम मे
और करीब सर्द मौसम मे
read moreParasram Arora
Unsplash जीवंन के विकास क्रम. मे आचरण की शिथिलता स्पष्ट नजर आ रहीं हैँ संवेदनाओं के स्तर धीरे धीरे शून्यता की तरफ अग्रसर होते दिख रहेहैँ और बुलंदियों की सुदौल आकृति भी लड़खड़ाती हुई दिख रहीं हैँ ©Parasram Arora जिवंन के विकास क्रम मे
जिवंन के विकास क्रम मे
read moreRavi_bhagat11
धान काटने और बढ़ने का मशीन #Youtubeshorts #Shots #Technology #Technique #Trending #machine 'अच्छे विचार'
read moreRAMLALIT NIRALA
एक माँ के दो लाल दोनो का प्यार निराला है दूनिया के रित अजिब है यारो जब हो रहा बटवारा है। मन मोह के जाल में फंस के आखो पे पट्टी छाई है बचपन कि बाते भुल गया अब देखो घर ये कैसी आई है ©RAMLALIT NIRALA भाई भाई मे बटवारा
भाई भाई मे बटवारा
read moreRAMLALIT NIRALA
एक माँ के दो लाल दोनो का प्यार निराला है दूनिया के रित अजिब है यारो जब हो रहा बटवारा है। मन मोह के जाल में फंस के आखो पे पट्टी छाई है बचपन कि बाते भुल गया अब देखो घर ये कैसी आई है ©RAMLALIT NIRALA भाई भाई मे बटवारा
भाई भाई मे बटवारा
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