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Narayan Shukla
New Year 2025 तुम्हारी बाहों में मैंने अपना घर पाया तुम्हारी बाहों में मैंने अपना घर पाया, हर दर्द, हर ग़म वहीं पर सिमट आया। वो सुकून जो दुनिया में कहीं न मिला, तुम्हारे करीब आकर, उसे जी भर के पाया। ©Narayan Shukla #Newyear2025 try to touch your heart ❤️ hindi poetry
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read moreDhrumil Virani
SathiZz
Unsplash 𝔸𝕝𝕝 𝕤𝕙𝕖 𝕨𝕒𝕟𝕥𝕖𝕕 Little does she want Her need is simple Some happiness But what to tell The thing is scarce The providers Gave all the misery Thought of love A new light Blowing it off There came one Death it was Left her a child A gift from love Got a husband A second one But why though For humiliation Narscist at peak Got a second child But nothing changed Where to reside on Her parents gone No one to rely on Her path went on Yearning for happiness Having two hopes One from the love One from the mate Hoping to smile Because of happiness ©SathiZz #library To a those mother's poetry sad poetry poetry lovers love poetry for her poetry on love
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read moreinfants_educationsomya
story of little girl going to school with her grandparents #nijotohindistories #Education #children
read moreIshita Verma
पूरी दुनियां मेरी बदलने वाली है कुछ दिनों में सब नया सा होने वाला है। अपना घर होते हुए भी मेहमान बनकर आना पड़ेगा दूसरे के घर उसकी सजनी बनकर वो घर भी संभालना पड़ेगा। अपने मम्मी पापा भाई बहन को दूर छोड़ कर मुझे अब कुछ दिनों में जाना पड़ेगा चंद दिनों में मुझे सब कुछ अपना पुराना छोड़ कर कुछ लम्हे एक सूटकेस में संजोकर साथ लेजाना पड़ेगा। अभी तो बड़ी हुई थी मैं जो शादी के बंधन में बांध दिया कुछ पल अपने पापा मम्मी के संग बिताना है मुझे यह सोच सोच कर शादी का दिन आगया। बड़े होते ही हम बेटियों को छोड़ कर अपना घर परिवार सब जाना पड़ता है, कुछ दिन परिवार के साथ बैठने का बहाना फिर ढूंढना पड़ता है। कैसे इतनी जल्दी मैं बड़ी हो गई पता ही नहीं चला। कल तक जो पढ़ रही थी मैं आज लाल जोड़ें में मुझे दुल्हन बना दिया बेटी से बहु बनने जा रही हूं सौ घबराहट के सवालों को मन्न में ला रही हूं। काश कुछ दिन और मिल जाते इतनी जल्दी हम काश नहीं बड़े हो जाते कल तक पापा के साथ खिलौने लाया करती थी जो, मम्मी से अपनी चोटी बनवाया करती थी जो, बहन के कपड़े पहन कर अपने आप को बड़ा बोलती थी, भाई के साथ लड़ाई कर पापा से उसकी दात लगवाया करती थी। ना जाने कब आगया वो दिन जो डोली उठने का समय आगया है यह नन्हीं सी गुड़िया इस आंगन की अब लाल जोड़ें में दुल्हनियां बनकर अब उसका दुल्हा लेने उसे आ रहा है।। अब उसका दुल्हा लेने उसे आ रहा हैं।। -ईशिता वर्मा @poetrysoul_999 ©Ishita Verma hindi poetry on life love poetry for her
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