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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१ यार बिन कुछ भी नहीं भाता मुझे । गम कि फिर तंहाइयाँ अच्छी लगे ।।२ आ सँवरकर सामने मेरे कभी । मुझको तेरी शोखियाँ अच्छी लगे ।।३ सुर्ख कर लो होंठ ये मेरे लिए । तुझ पे ही ये सुर्खियाँ अच्छी लगे ।।४ आ रही घर में हमारे फिर खुशी । मेम को अब इमलियाँ अच्छी लगे ।।५ एक अच्छा नाम अब मैं सोच लूँ । मुझको देखो बेटियाँ अच्छी लगे ।।६ ढ़ल रही है ये जवानी अब प्रखर । अब न वो गुस्ताखियाँ अच्छी लगे ।।७ १०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१
Ravindra Singh
माँ दुर्गा माँ तूने राह दिखाई है , तू ही मंज़िल तक पहुँचाना । मेरा तुझ पर अटूट विश्वास है , तू मेरी नैया पार लगाना । हो भूल तो अपने हाथों से दंडित करना मुझे , न करना ख़ुद से दूर कभी, क़सम है मेरी तुझे । हर चीज़ सह सकता हूँ , पर तेरा रूठना नहीं । मेरे लिये तू कोई मूर्ति नहीं , मेरी जीती जागती माँ है । तू सुनती है मेरी हर बात , तू मेरा सारा ज़हान है । तेरे दरबार में बातें करते हुए तुझ से , जैसे मैं सुकून के समंदर में चला जाता हूँ । तू भी नहीं ऊबती मेरी बातों से , तो मैं भी घंटों तुझसे बातें बतलाता हूँ । तू बेशक मुख से नहीं देती उत्तर , हर प्रश्न का उत्तर तेरे अहसास से मैंने जाना । माँ तूने राह दिखाई है , तू ही मंज़िल तक पहुँचाना । मेरा तुझ पर अटूट विश्वास है , तू मेरी नैया पार लगाना । ©Ravindra Singh #navratri माँ दुर्गा माँ तूने राह दिखाई है , तू ही मंज़िल तक पहुँचाना । मेरा तुझ पर अटूट विश्वास है , तू मेरी नैया पार लगाना ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।।२ साथ चलना तुम्हारे अलग बात है । साथ पर अजनबी का निभाती नहीं ।।३ जिनसे रिश्ता जुड़ा है यहाँ प्यार का । देख उनको कभी मैं रुलाती नहीं ।।४ प्रेम उनका करें कैसे जाहिर यहाँ । माँग सिंदूर क्या मैं सजाती नहीं ।।५ दौड़ आयेगा वो एक आवाज़ में । पर उसे भी कभी मैं बुलाती नहीं ।।६ प्यार का सोचकर आज अंज़ाम मैं । कोई रिश्ता भी देखो बनाती नहीं ।।७ है सड़क पर बहुत आज मजनूं पड़े । मैं नज़र यार उनसे मिलाती नहीं ।।८ भूल तुमसे हुई है जताकर वफ़ा । जा प्रखर केश तुझ पर लगाती नहीं ।।९ ०६/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।
Krishna
मला तुझं हसणं हवं आहे, मला तुझं रुसणं हवं आहे, तु जवळ नसतांनाही, मला तुझं असणं हवं आहे…… ©Krishna मला तुझं हसणं हवं आहे, मला तुझं रुसणं हवं आहे, तु जवळ नसतांनाही, मला तुझं असणं हवं आहे……
Rameshkumar Mehra Mehra
बिखर जाऊँ लफजो में... या कबिता में संबर जाऊँ.....! कुछ यूँ उतरुॅ,तुम में......!! तेरी हर बात में नजर आऊं... ©Rameshkumar Mehra Mehra # बिखर जाऊँ लफजो में या,कविता में सब्र जाऊँ,कुछ यूँ उतरुॅ तुझ में तेरी हर बात में नजर आऊं....💕
Suneel Nohara
मैं तुझ में खो जाऊं,, ©Suneel Nohara मैं तुझ में खो जाऊं,, Anshu writer अदनासा- Mili Saha Sethi Ji Ritu Tyagi
Rameshkumar Mehra Mehra
हर ख्वाहिश तुमसे जुडी..... हर दुआ माँगी तेरे नाम की....! हर ख्बाब सजाया तेरे साथ का....!! तुझ बिन ये दुनियाँ किस काम की... ©Rameshkumar Mehra Mehra # हर ख्वाहिश तुमसे जुडी है,हर दुआ मांगी तेरे नाम की,हर ख्बाब सजाया तेरे साथ का,तुझ बिन ये दुनियाँ किस काम की...
Prerna Singh
Village Life तन्हाइयों के सिवाय कुछ नहीं था तेरे दामन में फ़राज़ , सब लौट चुके हैं तुझ से मतलब निकाल कर , ऐसे कैसे कटेगा सफर जिंदगी का अब तू भी तो कोई जुगाड़ कर ले। बड़ा संगदिल जमाना है जालिम लूट भी लेते और दाग देकर इल्जाम भी देते हैं। मत कर अफसोस की तूने जो दिया उसका कोई हिसाब नहीं अपनो में, कुछ अपने होते ही हैं गैरों के जैसे एहसान फरामोश ये एहसान कहां मानते हैं। ©Prerna Singh तन्हाइयों के सिवाय कुछ नहीं था तेरे दामन में फ़राज़ , सब लौट चुके हैं तुझ से मतलब निकाल कर , ऐसे कैसे कटेगा सफर #जिंदगी का अब तू भी तो क