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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी हम दो हमारे दो को ही बस परिवार कहते है दादी बाबा चाचा ताऊ बस दोयम दर्जे के लगते है नैनो परिवारों का चल पड़ा है चलन जिम्मेदारी के बोझ तले दबे रहते है फर्ज सिर्फ बच्चों के प्रति माता पिता कटे कटे रहते है खुशियो और एंजॉय के लिये तरसते बच्चे बेसिक संस्कार अब नही पनपते है पति और पत्नी भी चिढ़ चिड़े हो गये परवरिश करते करते मासूमियत बच्चे खोते है लत मोबाइल गेमो की पड़ गयी भविष्य इनके डांवाडोल लगते है इस तरह परिभाषित परिवार की संरचना समाज को ले डूबेगी एकता की बानगी नही बनी तो आवारापन की आवाज पूरे भारत मे गूँजेगी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari दादी बाबा चाचा ताऊ दोयम दर्ज़े के लगते है #nojotohindi
#love_shayari दादी बाबा चाचा ताऊ दोयम दर्ज़े के लगते है #nojotohindi #कविता
read moreधाकड़ है हरियाणा
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
#बच के रहना रे बाबा
read moreRajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
#बच के रहना रे बाबा #hunarbaaz
read moreNik JAT
वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT #प्यारे बाबा
#प्यारे बाबा
read morevidushi MISHRA
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA बाबा
बाबा #विचार
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