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Sumedh Raja

फुटलेली बांगडी..... #poem

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कलाल लाभांश

कलाल की कलम #Shayari

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वो कुछ इस तरह ख्वाबो में आती है
बिन कुछ कहे सब कुछ कह जाती है
एक दोस्त ने कहा था
 दोस्त इश्क़ से दूर रहना 
आज वही बात याद आती है कलाल की कलम

कलाल लाभांश

कलाल की कलम

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manish kalal

हमेशा ज़रूरत बढ़ती रही, और हम... उसी सिलसिले में घटते रहे....!! *-मनीष कलाल*

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हमेशा ज़रूरत बढ़ती रही, 
और हम... 
उसी सिलसिले में घटते रहे....!!
           
-मनीष कलाल हमेशा ज़रूरत बढ़ती रही, और हम... 
उसी सिलसिले में घटते रहे....!!
           
          *-मनीष कलाल*

Rohan Chaturvedi

#shayri#heartbroken #Trending #Love कलाल लाभांश Aaradhana Anand Ritisha Jain #alfaz_e_shayra Aditi Joshi

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Ashok Jaiswal

विजयादशमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं जिलाध्यक्ष अशोक जायसवाल कलाल समाज युवा मोर्चा बूंदी mo.9887589718 #nojotophoto

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 विजयादशमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
जिलाध्यक्ष
अशोक जायसवाल
कलाल समाज युवा मोर्चा बूंदी
mo.9887589718

manish kalal

एक बुझा हुआ चिराग हूं में मेरी कहानी का सार हूं में मेरे शब्दों को समझा नही, एक नासमझ ही नाम हूं में *-मन

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एक बुझा हुआ चिराग हूं में
           मेरी कहानी का सार हूं में
मेरे शब्दों को समझा नही,
          एक नासमझ ही नाम हूं में
     
      -मनीष कलाल एक बुझा हुआ चिराग हूं में
           मेरी कहानी का सार हूं में
मेरे शब्दों को समझा नही,
          एक नासमझ ही नाम हूं में
     
        *-मन

manish kalal

सिलसिले ज़िन्दगी के अजीब से किस्से भी ज़िन्दगी के अजीब से कोन नही यहां मारा ज़िन्दगी का, गुबाह भी ज़िन्दगी के अजीब से *-मनीष कलाल* D

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सिलसिले ज़िन्दगी के अजीब से
किस्से भी ज़िन्दगी के अजीब से
कोन नही यहां मारा ज़िन्दगी का,
गुबाह भी ज़िन्दगी के अजीब से 

-मनीष कलाल सिलसिले ज़िन्दगी के अजीब से
किस्से भी ज़िन्दगी के अजीब से
कोन नही यहां मारा ज़िन्दगी का,
गुबाह भी ज़िन्दगी के अजीब से
   
        *-मनीष कलाल* D

manish kalal

बहुत दिनों बाद कुछ कहने को होता है, खामोश रहकर भी सब सहने को होता है, अपने क्या पराए क्या, सब ख़ामोश से है, और भीड़ में भी अकेलापन महसूस होता

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बहुत दिनों बाद कुछ कहने को होता है,
खामोश रहकर भी सब सहने को होता है,
अपने क्या पराए क्या, सब ख़ामोश से है,
और भीड़ में भी अकेलापन महसूस होता है,

-मनीष कलाल बहुत दिनों बाद कुछ कहने को होता है,
खामोश रहकर भी सब सहने को होता है,
अपने क्या पराए क्या, सब ख़ामोश से है,
और भीड़ में भी अकेलापन महसूस होता

manish kalal

बस फ़र्ज़ निभाते हुए जिंदगी गुजार रहे है, और तमाम उम्र यहीं करार कर रहे है, हर कोई इसी का हिस्सा बना हुआ है, जाने क्यों सब एक दूसरे को सता रहे #विचार

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बस फ़र्ज़ निभाते हुए जिंदगी गुजार रहे है,
और तमाम उम्र यहीं करार कर रहे है,
हर कोई इसी का हिस्सा बना हुआ है,
जाने क्यों सब एक दूसरे को सता रहे है..!!

-मनीष कलाल बस फ़र्ज़ निभाते हुए जिंदगी गुजार रहे है,
और तमाम उम्र यहीं करार कर रहे है,
हर कोई इसी का हिस्सा बना हुआ है,
जाने क्यों सब एक दूसरे को सता रहे
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