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Anuj Ray
White इश्क़ हक़ीक़त है " इश्क़ हक़ीक़त है, इसे रूह से महसूस करो तब तक। इश्क़ हक़ीक़त है, इसे में रिश्तों में क़ैद ना करो तब तक । इश्क़ हक़ीक़त है, इसे पूजा की आरती कहोगे तब तक इश्क़ हक़ीक़त है ,इसे बिना शर्त के चाहोगे जब तक। ©Anuj Ray # इश्क़ हक़ीक़त है"
Sarvesh kumar kashyap
Anjali Singhal
Rabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करत
Rabindra Kumar Ram
" कोई मिली हैं हुबहू तुमसा वो तुम नही थी , ख्वाब हक़ीक़त बनते बनते ख्वाब ही रहा , आखिर कब तक ये मलाल रखा जाये , तेरे मौजूदगी का होने और ना होने यकीनन कुछ यकीन आये मुझको . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कोई मिली हैं हुबहू तुमसा वो तुम नही थी , ख्वाब हक़ीक़त बनते बनते ख्वाब ही रहा , आखिर कब तक ये मलाल रखा जाये , तेरे मौजूदगी का होने और ना
Shivkumar
हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं । मुहब्बत को बस एक भरम जानते हैं । मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ , थकान मेरी , मेरे क़दम जानते हैं । हमें भूल जाने की आदत है लेकिन, तुम्हे , हम , तुम्हारी क़सम जानते हैं । ये छुपना कहाँ और ये बहना कहाँ है, ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं । आशु छलकती है क्यों आँख से हमको पता है , कहाँ सब लोग यु बिछड़ने का ग़म जानते हैं । दिया तो है मजबूर कैसे बताये उजालों की तकलीफ तो हम जानते हैं है जो भी कुछ हमें इस जहाँ में हम उसको खुदा का करम जानते हैं। ©Shivkumar #relaxation #हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं । #मोहब्बत को बस एक भरम जानते हैं । मैं क्या इसके बारे में #मंज़िल से पूछूँ , #थकान म
koko_ki_shayri
वक़्त के रेत फ़िसल रहे हैं, आईने भी करवटें बदल रहे हैं! फ़रेब के दाँव अब नहीं चलेंगे हमपर, तेरे हक़ीक़त से हम रूबरू हो रहें है!! ©koko_ki_shayri #तेरे हक़ीक़त से रूबरू हो रहे हैं...🙏🙏
R K
गुनगुना कर, गीत प्यार के यूं दूर ना जाया कर तेरी मौजूदगी ही, सप्त रागनी सी है ©R K # सप्त रागनी
Sarvesh kumar kashyap
BROKENBOY
हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं। मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं। मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ, थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं। हमें भूल जाने की आदत है लेकिन, तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं। है छुपना कहाँ और बहना कहाँ है, ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं। छलकती है क्यों आँख हमको पता है, कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं दिया तो है मजबूर कैसे बताये उजालों की तकलीफ तम जानते हैं है जो कुछ मयस्सर हमें इस जहाँ में हम उसको खुदा का करम जानते हैं। ©BROKENBOY #hugday हक़ीक़त को तुम और न हम जानते हैं। मुहब्बत को बस इक भरम जानते हैं। मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ, थकन मेरी मेरे क़दम जानते